बड़ी लापरवाही : जलाना था कोविड-19 मृतक का शव, जला दिया मर्डर केस के मुस्लिम युवक का शव

Edited By Manisha rana, Updated: 21 Jun, 2020 11:57 AM

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बी.के. अस्पताल में चिकित्सा अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। शनिवार को मोर्चरी में 2 शवों की अदला-बदली कर दी गई...

फरीदाबाद (सुधीर राघव) : बी.के. अस्पताल में चिकित्सा अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। शनिवार को मोर्चरी में 2 शवों की अदला-बदली कर दी गई। जिसका खामियाजा यह रहा कि एम.सी.एफ. ने कोविड-19 के मरीज समझकर जिस युवक का शव सुबह साढ़े 10 बजे अजरौंदा पीएनजी शवदाह गृह में जलाया वह युवक मुस्लिम समुदाय का था। जिसकी मौत शुक्रवार रात को चाकुओं से गोदकर कर दी गई थी।

बी.के. अस्पताल में जब परिजनों को शवों की अदला बदली का पता चला और उनके रिश्तेदार का शव जलाने की बात सामने आई। तो वह आग बबुला हो गए और अस्पताल में जोरदार हंगामा कर दिया। नौबत यहां तक पहुंच गई कि मोर्चरी, इमरजेंसी और कोविड-19 मृतक नोडल ऑफिसर डॉ. जयंत आहुजा को जान बचाकर अस्पताल से घर भागना पड़ गया। लोग नोडल ऑफिसर की लापरवाही पर मरने मारने को उतारू थे। एक बड़े चिकित्सक ने तो आई.डी.एस.पी. लैब में छुपकर अपनी जान बचाई और चोरी छुपे अस्पताल के पिछले गेट से गाड़ी लेकर निकल गए।

परिजनों के हंगामे की खबर सुनकर बड़ी संख्या में पुलिस बीके अस्पताल पहुंच गई। पुलिस की करीब दो दर्जन से अधिक गाडिय़ां अस्पताल के बाहर लगी रही। मृतक के परिवार की महिलाएं मोर्चरी के बाहर ही धरने पर बैठ गई और उन्होंने मृतक सोनू का शव उन्हें सौंपने की मांग की। लेकिन सोनू का शव नहीं मिलने पर उन्होंने चिकित्सा अधिकारी डॉ. जयंत आहूजा के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की मांग कर दी। जबकि एम.सी.एफ. सोनू के शव को पहले ही जला चुकी थी।

मौकें पर बैठे लोगों ने पुलिस अधिकारियों की एक न सुनी और फिर एन.आई.टी. ए.सी.पी. अर्पित जैन, ए.सी.पी. क्राइम अनिल कुमार मौके पर पहुंचे और उन्होंने चिकित्सक के खिलाफ एफ.आइ.आर. दर्ज करने का आश्वासन दिया। लेकिन परिजन शव नहीं मिलने की वजह से गुस्सा थे कि उनके रिश्तेदार का शव दफनाया जाना था जबकि चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही की वजह से एम.सी.एफ. ने उसे जला दिया। इस मामले पर जब मोर्चरी के नोडल आफिसर डॉ. जयंत आहूजा से दूरभाष पर बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

बी.के. चौक पर जाम लगाने का प्रयास 
पुलिस छावनी में तबदील हुए बीके अस्पताल में मुस्लिम परिवार के रिश्तेदार की बॉडी अस्पताल से नहीं मिलने से गुस्साए परिजनों ने दोपहर बाद बीके चौक को जाम करने का प्रयास किया। इसके लिए वह बड़ी संख्या में अस्पताल से होकर बीके चौक पहुंचने के लिए निकले लेकिन रास्ते में ही 200 की संख्या में तैनात पुलिस बल ने उन्हें बीके अस्पताल के गेट पर ही रोक दिया और गेट लगा दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि वह नोडल ऑफिसर पर कार्रवाई करेंगे और हत्यारों को गिरफ्तार जल्द गिरफ्तार करेंगे। फिर परिजन हंगामा नहीं करें। 

वीरवार को भी नहीं मिली थी बॉडी 
अस्पताल सूत्रों की माने तो एसजीएम थाना क्षेत्र निवासी एक आरोपी ने कोविड-19 मरीज होने की वजह से निमका जेल में ही फंदे पर लटक कर आत्महत्या कर ली थी। जिसकी बॉडी भी बीके अस्पताल की मोर्चरी में रखी गई थी। पुलिस हिरासत में मरने की वजह से मृतक की बॉडी का अंतिम संस्कार न्यायिक अधिकारी की मौजूदगी में होना चाहिए था। लेकिन न्यायिक आधिकारी के नहीं आने की वजह से मृतक के शव का वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए दाह संस्कार लाइव दिखाने था। जिसके लिए पुलिस जब बॉडी को बीके अस्पताल लेने पहुंचे उस समय भी नोडल अधिकारी को मृतक की बॉडी मोर्चरी में नहीं मिली थी। किसी अन्य अधिकारी ने इसकी पहचान कर परिजनों को बताया था कि यह वही बॉडी है जिसने आत्महत्या की है।

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