दुष्यंत चौटाला को कुर्सी प्यारी है या किसान? ये लोग ‘कुर्सीमित्र’ हैं, ‘किसानमित्र’ नहीं: रणदीप सुरजेवाला

Edited By Isha, Updated: 25 Sep, 2020 04:05 PM

is dushyant chautala a chair or a farmer

राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है की  दुष्यंत चौटाला को कुर्सी प्यारी है या किसान? सत्ता क़ी मलाई छोड़ कर दुष्यंत किसान के साथ खडा होने से पीठदिखा भाग क्यों खड़े हुए हैं? पहले खट्टर को कोस कोसकर किसान की वोट ली और फिर...

चंडीगढ़( चंद्र शेखर धरणी ): राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है की  दुष्यंत चौटाला को कुर्सी प्यारी है या किसान? सत्ता क़ी मलाई छोड़ कर दुष्यंत किसान के साथ खडा होने से पीठदिखा भाग क्यों खड़े हुए हैं? पहले खट्टर को कोस कोसकर किसान की वोट ली और फिर उन्ही की गोदी में जा बैठे और अब फिर कुर्सीको चिपके हैं। ये लोग ‘कुर्सीमित्र’ हैं, ‘ किसानमित्र’ नहीं। आज देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, परप्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी व भाजपा- जजपा सरकारें सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुननातो दूर, संसद में उनके नुमाईंदो की आवाज कोदबाया जा रहा है और सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है।संसद में संविधान का गला घोंटा जा रहा है और खेत खलिहान में किसानों-मजदूरों की आजीविका का। प्रस्तुत है रणदीप सुरजेवाला से हुए एक्सक्ल्यूसिव इंटरव्यु प्रमुख अंश-

प्रश्न--कृषि अध्यदेशों के पारित होने पर आपकी क्या राय है?
उत्तर 
-मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों के माध्यम से किसान, खेत-मज़दूर, छोटे दुकानदार, मंडी मज़दूर व कर्मचारियों की आजीविका परएक क्रूर हमला बोला है। किसान-खेत मजदूर के भविष्य को रौंदकर भाजपा हरित क्रांति को हराने की घिनौनी साज़िश कर रही है ।मोदी-खट्टर सरकारों ने किसान- खेत मज़दूर के भाग्य में बदहाली और बर्बादी लिख दी है।आज देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, परप्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी व भाजपा- जजपा सरकारें सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुननातो दूर, संसद में उनके नुमाईंदो की आवाज को दबाया जा रहा है और सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है।संसद में संविधान का गला घोंटा जा रहा है और खेत खलिहान में किसानों-मजदूरों की आजीविका का। देश में कोरोना, सीमा पर चीनऔर खेती पर मोदी सरकार हमलावर है।

प्रश्न--कृषि अधयादेश पर हरियाणा व पँजाब में लोग सड़कों पर आये क्या कारण मानते हैं?
उत्तर -
-हरियाणा- पंजाब का किसान अपना पेट काट कर देश का पेट पालता है। हमने अपने भूजल का दोहन कर, शिव जी की तरह कीटनाशकदवाइयों तथा रसायनिक खाद के ज़हर से अपनी ज़मीन व शरीर को गला कर भी देश के लिए खाद्यान्न पैदा किया है । हमने पेट में अंगारेपाले हैं ताकि देश में कोई भूखा ना सोए।आज नरेंद्र मोदी- खट्टर- दुष्यंत चौटाला और भाजपा-जजपा सरकारें किसान और मज़दूर की खेती को मुट्ठी भर पूँजीपतियों के हाथ  गिरवी रखना चाहते हैं , किसान के पुश्तैनी पेशे को छीनना चाहते हैं , तो फिर सड़क पर संघर्ष के अलावा रास्ता  ही क्या है!भाजपा सरकार अगर अनाजमंडी-सब्जीमंडी व्यवस्था यानि APMC को ही खत्म कर देगी, तो ‘कृषि उपज खरीद प्रणाली’ भी पूरी तरहनष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) कैसे मिलेगा, कहां मिलेगा और कौन देगा?क्या FCI साढ़े पंद्रह करोड़ किसानों के खेत से एमएसपी पर उनकी फसल की खरीद कर सकती है? बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा किसान कीफसल को एमएसपी पर खरीदने की गारंटी कौन देगा? एमएसपी पर फसल न खरीदने की क्या सजा होगी? मोदी- खट्टर-चौटाला इनमेंसे किसी बात का जवाब नहीं देते।मंडियां खत्म होते ही अनाज-सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों-करोड़ों मजदूरों, आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों, शेलर आदिकी रोजी रोटी और आजीविका अपने आप खत्म हो जाएगी। भाजपा शासित बिहार इसका जीता जागता उदाहरण है।

प्रश्न--हर सिमरत कौर बादल के त्यागपत्र के राजनैतिक माईने क्या हैं?
उत्तर 
-श्रीमती हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा एक राजनीतिक ढोंग है । जून से सितंबर  तक अकाली दल (बादल) किसान विरोधी क़ानूनों के साथ खड़ा रहा । मोदी मंत्रिमंडल में जब ये काले क़ानून आए तो हरसिमरत कौर बादल ने अपनी सहमतीजताई । अब जब देखा की पंजाब में किसान घुसने नहीं देगा तो आख़िर में इस्तीफ़े का प्रपंच रचा ।अगर अकाली दल किसान के साथ हैतो मोदी सरकार से समर्थन वापस क्यों नहीं लेते ? लोक सभा व राज्य सभा में अकाली दल ने कांग्रेसी व अन्य विपक्षीदलों के साथ खड़ेहो किसान विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ वोट क्यों नहीं डाला ? संसद से इस्तीफ़ा क्यों नहीं दिया? किसान विरोधी भाजपा  की गोद मेंबैठकर अकाली दल किसान के पक्ष धर  होने का दावा नहीं कर सकता ।

प्रश्न-पिपली लाठीचार्ज पर आपका स्टैंड क्या है?सरकार कहती है की कोई लाठीचार्ज नहीं  हुआ ?
उत्तर -
पीपली, कुरुक्षेत्र में किया गया निर्मम तथा निर्दयी लाठीचार्ज सत्ता के नशे में चूर भाजपा-जजपा सरकार के अहंकार को दर्शाता है ।खट्टर जी तो कहते हैं लाठीचार्ज हुआ ही नहीं और दुष्यंत चौटाला जाँच की माँग करते हैं। फिर खट्टर साहब इसे सिरे से ख़ारिज कर देतेहैं। दोनों मिल कर पूरे प्रदेश का मूर्ख बनाने में लगे हैं।किसान  व आढ़ती इस मिलींभगत को खूब समझता है।सवाल बड़ा सीधा है  - दुष्यंत चौटाला को कुर्सी प्यारी है या किसान? सत्ता क़ी मलाई छोड़ कर दुष्यंत किसान के साथ खडा होने से पीठदिखा भाग क्यों खड़े हुए हैं? पहले खट्टर को कोस कोसकर किसान की वोट ली और फिर उन्ही की गोदी में जा बैठे और अब फिर कुर्सीको चिपके हैं। ये लोग ‘कुर्सीमित्र’ हैं, ‘ किसानमित्र’ नहीं।
प्रश्न--सरकार कह रही है कि कृषि अधयादेश किसान के लाभ के है?
उत्तर
 --अगर ये क़ानून किसान के हक़ में है तो देश में किसान- मज़दूर आंदोलन क्यों कर रहे हैं ? क्या भाजपा किसानों को बेवक़ूफ़ी औरनासमझ मानती है ?तीनों कानूनों में ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ यानि MSP शब्द की चर्चा तक नहीं है। अगर मोदी सरकार व भाजपा-जज़पा सरकारों के मन मेंबेईमानी नहीं, तो वह इन कानूनों में MSP की गारंटी क्यों नहीं देते? कानून में ऐसा क्यों नहीं लिखते कि किसान को MSP देना अनिवार्यहै तथा उससे कम खरीद करने पर सरकार नुकसान की भरपाई करेगी और दोषी को सजा देगी।कारण साफ है। खेत और खलिहान को मुट्ठीभर पंजीपतियों की ड्योढ़ी की दासी बनाना है तथा उन्हें मुनाफा कमवाना है। यह तभीसंभव है जब किसान की फसल को MSP से भी कम रेट पर खरीदा जाएगा।  मोदी सरकार का दावा कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है। यह भी पूरी तरह से सफेद झूठ है। आज भी किसानअपनी फसल किसी भी प्रांत में ले जाकर बेच सकता है। परंतु वास्तविक सत्य क्या है? कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक देश का 86 प्रतिशत किसान 5 एकड़ से कम भूमि का मालिक है। जमीन की औसत मल्कियत 2 एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86 प्रतिशत किसानअपनी उपज नजदीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी के अलावा कहीं और ट्रांसपोर्ट कर न ले जा सकता न बेच सकता।इन क़ानूनों के माध्यम से किसान को ‘ठेका प्रथा’ में फंसाकर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जाएगा। क्या दो से पाँच एकड़भूमि का मालिक गरीब किसान बड़ी बड़ी कंपनियों के साथ फसल की खरीद फरोख्त का कॉन्ट्रैक्ट बनाने, समझने व साईन करने मेंसक्षम है? साफ तौर से जवाब नहीं में है। 

प्रशन -कोरोना अनलॉक में रेलिया,मीटिंग,बन्द कितने जायज हैं। माहमारी फैली हुई है?
उत्तर
-देश में कोरोना, सीमा पर चीन और खेती पर मोदी सरकार हमलावर है। किसान-खेत मजदूर की बुलंद आवाज को कोरोना की आड़ औरबहुमत की गुंडागर्दी से नहीं दबाया जा सकता। महामारी की आड़ में ‘किसानों की आपदा’ को मुट्ठीभर ‘पूंजीपतियों के अवसर’ में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को देश काअन्नदाता किसान व मजदूर कभी नहीं भूलेगा। मोदी सरकार व उसके मददगार हर राजनैतिक दल की सात पुश्तों को इस किसान विरोधीदुष्कृत्य के परिणाम भुगतने पड़ेंगे। सरकार कोरोना महामारी से लड़ने में फेल साबित हुई है। आर.टी. आई के मुताबिक़ हरियाणा में हर कोरोना मरीज़ पर 26,000 से अधिक खर्च हुए हैं। यह अपने आप में मज़ाक़ है। सवाल ये है कि करोड़ों रुपैया कहाँ और किस की जेब में गया? कोराना का इस्तेमाल सरकार के विरोध तथा घोटालों को उजागर करने वाली आवाज़ों को दबाने के लिए किया जा रहा है। कांग्रेसदेश के किसान व खेत मजदूर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर तब तक निर्णायक लड़ाई लड़ेगी जब तक इन काले कानूनों को खत्म नहींकर देंगे।

प्रश्न-जे जी पी के टोहाना से विधायक देवेन्द्र बबली ने उपमुख्यमंत्री के खिलाफ जो मोर्चा खोला है को कैसे देखते है।
उत्तर - 
सत्ता के लालच में कुर्सी से चिपके बैठे दुष्यंत चौटाला जनता के साथ साथ अपने विधायकों का विश्वास भी खो चुके हैं। पहले नारनौद से विधायक पंडित राम कुमार गौतम ने जजपा क़े खट्टर सरकार में दण्डवत होने का कच्चा चिट्ठा खोला और अब देविंदर बबली ने दुष्यंत की पोल खोली। विधायक राम कुमार काला भी खुल कर जजपा के किसान विरोधी रुख़ के ख़िलाफ़ मुखर है। साफ़ है कि अब जजपा  विश्वास और राजनीतिक आधार खो चुकी है।

प्रश्न-धान घोटाला,शराब घोटाला जैसे कई घोटालो पर आपकी पार्टी एक्टिव है,विरोध कर रही है।दुष्यंत कहते हैं कोई घोटाला नही हुया।
उत्तर -
घोटाले और गड़बड़झाले ही खट्टर सरकार की पहचान बन गए हैं। लोग कहते हैं - अब तो है इंतज़ार, कब होंगे घोटाले 75 पार! सरकारका ख़ज़ानाचोरी हो रहा है, जनता का पैसा लूटा जा रहा है और खट्टर सरकार दोषियों के साथ खड़ी है।क्या दोनों धान घोटालों में कोई दोषी पाया गया, किसी को सजा मिली? क्या शराब घोटाले में 1.20 करोड़ नाजायज़ शराब क बोतलें नहीं पाई गई? क्या जाँच कमेटी की रिपोर्ट पर FIR दर्ज हुई? क्या 13 से अधिक पेपर घोटालों में कोई दोषी पकड़ा गया? क्या रेजिस्ट्री  घोटाले में किसी को जेल भेजा गया ? क्या अरावली ज़मीन घोटाले में कोई FIR दर्ज हुई? क्या छत्रवृति घोटाले में कोई कार्रवाई हुई?सच्चाई ये है कि जब सइयाँ भए कोतवाल तो डर कहे का !

 

 

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