कर्मचारियों को राहत, सरकार ने की ऋणों की राशि में बढ़ौतरी

Edited By Deepak Paul, Updated: 06 Jul, 2018 10:07 AM

increase in the amount of government loans

हरियाणा सरकार ने 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर अपने कर्मचारियों के लिए भवन निर्माण ऋण (एच.बी.ए.), विवाह ऋण, वाहन ऋण और कम्प्यूटर ऋण जैसे विभिन्न प्रकार के ऋणों की राशि में भारी बढ़ौतरी की है।वित्तमंत्री कै.अभिमन्यु ने बताया कि अब...

चंडीगढ़(बंसल): हरियाणा सरकार ने 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर अपने कर्मचारियों के लिए भवन निर्माण ऋण (एच.बी.ए.), विवाह ऋण, वाहन ऋण और कम्प्यूटर ऋण जैसे विभिन्न प्रकार के ऋणों की राशि में भारी बढ़ौतरी की है।वित्तमंत्री कै.अभिमन्यु ने बताया कि अब कर्मचारी मकान के निर्माण या सरकारी एजेंसी या किसी अन्य पंजीकृत सोसायटी या निजी स्रोत के माध्यम से आबंटित या निर्मित मकान की खरीद के लिए अपने 34 महीनों का मूल वेतन या अधिकतम 25 लाख रुपए, जो भी कम हो, ऋण के रूप में लेने के पात्र होंगे, जबकि पहले कर्मचारियों को 40 महीने का मूल वेतन या अधिकतम 15 लाख रुपए ऋण के रूप में दिए जाते थे। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अब कर्मचारी दूसरी बार एच.बी.ए. लेने के पात्र नहीं होंगे।

उन्होंने बताया कि प्लाट की खरीद के लिए कर्मचारी भवन निर्माण ऋण की कुल स्वीकार्य राशि का 60 प्रतिशत अर्थात 20 महीने का मूल वेतन या अधिकतम 15 लाख रुपए और उसी प्लाट पर मकान के निर्माण के लिए अधिकतम 10 लाख रुपए का ऋण ले सकते हैं जबकि पहले कर्मचारियों को प्लाट की खरीद के लिए 9 लाख रुपए का ऋण मिलता था। 

इसी प्रकार, मकान के विस्तार और मकान की मुरम्मत के लिए 10 मास के मूल वेतन के बराबर राशि या अधिकतम 5 लाख रुपए का ऋण दिया जाएगा। जिन कर्मचारियों ने सरकार से एच.बी.ए. नहीं लिया है वे मकान की खरीद या कब्जा लेने की तिथि से 3 वर्ष की अवधि के बाद मकान के विस्तार के लिए और 5 वर्ष के बाद मकान की मुरम्मत के लिए ऋण लेने के लिए पात्र होंगे। इसीप्रकर, जिन कर्मचारियों ने सरकार से एच.बी.ए. लिया है वे ऋण की वसूली शुरू होने के 5 वर्ष के बाद मकान के विस्तार के लिए और 7 वर्ष के बाद मकान की मुरम्मत के लिए ऋण लेने के पात्र होंगे।

इससे पूर्व कर्मचारी मकान के विस्तार के लिए 12 मास का मूल वेतन या अधिकतम 3.50 लाख रुपए और मकान की मरम्मत के लिए 10 मास का मूल वेतन या अधिकतम 3 लाख रुपए का ऋण लेने के लिए पात्र थे। वित्तमंत्री ने बताया कि अब कर्मचारी अपने पुत्र-पुत्री, आश्रित बहनों  या स्वयं के विवाह के लिए अपने 10 मास का मूल वेतन या अधिकतम 3 लाख रुपए, जो भी कम हो, विवाह ऋण के रूप में लेने के पात्र होंगे जबकि पहले कर्मचारियों को दस मास का मूल वेतन या अधिकतम 1.25 लाख रुपए का विवाह ऋण दिया जाता था। अब विवाह ऋण केवल 2 बार दिया जाएगा।
 

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