लॉकडाउन का प्रभाव: 700 किलोमीटर पैदल चलकर जाएंगे अपने घर, वरना भूख से मर जाएंगे!

Edited By Shivam, Updated: 26 Mar, 2020 04:36 PM

immigrant workers on foot to go from haryana punjab and delhi to up bihar news

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश में 21 दिन के लॉकडाउन को लेकर उन लोगों में हड़कंप मच गया है, जो अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए दूसरे राज्यों में प्रवासी बनकर रहे हैं। हरियाणा, पंजाब व दिल्ली में काम करने वाले निम्र तबके के मजदूर, जिन्हें सही...

फरीदाबाद/अंबाला (अनिल/अमन): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश में 21 दिन के लॉकडाउन को लेकर उन लोगों में हड़कंप मच गया है, जो अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए दूसरे राज्यों में प्रवासी बनकर रहे हैं। हरियाणा, पंजाब व दिल्ली में काम करने वाले निम्र तबके के मजदूर, जिन्हें सही जानकारी व लॉकडाउन के दौरान उपयुक्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, उन्हें वापस अपने घर की ओर पलायन करना पड़ रहा है। देश में किसी भी तरह का सार्वजनिक यातायात की सुविधा न होने के चलते भूखे मरने के खौफ से डरे हुए लोग पैदल ही अपने घरों की रवाना हो गए हैं। इनमें से अधिकतर बिहार व उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।

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फरीदाबाद में दिल्ली से पैदल चलते हुए करीब 40 किलोमीटर दूर फरीदाबाद पहुंचे लोगों ने बताया कि वह दिल्ली में मजदूरी करते थे। अब सब कुछ बंद हो गया है तो उनके पास अपने और बच्चों के लिए खाना खाने तक के पैसे नहीं है। इससे पहले वह भूख से दिल्ली में ही मर जाएं, इसलिए वह अब पैदल ही झांसी जा रहे हैं। 

बता दें कि दिल्ली से झांसी की दूरी करीब 700 किलोमीटर है। इस दूरी को पैदल तय करने में दिन-रात चलते हुए लगभग 10 दिन लग सकता है। पलायन करने वाले परिवारों में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी हैं, जो पैदल यात्रा के  हालात में नहीं हैं। इसके बावजूद भी मजबूरन इन लोगों को अपने अपने गांव पैदल ही जाना पड़ रहा है।

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वहीं अंबाला जिले में सरकार द्वारा गरीब परिवारों के लिए राशन की व्यवस्था किए जाने के तमाम दावों की पोल खुलती दिखी। पंजाब के लालडू और अन्य इलाकों से कफ्र्यू के दौरान बचते बचाते, भूखे-प्यासे पैदल अपने घरों के लिए रवाना हो रहे लोगों ने बताया कि वह बड़ी मुश्किल से पुलिस से बचते हुए यहां तक पहुंचे हैं। उन्हें यूपी, बिहार और सहारनपुर जाना है। 

जहां काम किया वहां सैलरी भी नहीं मिली
उन्होंने बताया कि महीना पूरा होने से पहले जहां वह काम कर रहे थे उन्होंने हमें सैलरी भी नहीं दी। जिसके चलते उनके पास ना तो पैसे हैं और ना ही खाने पीने का सामान। साथ ही उन्होंने बताया कि अगर घरो में इमरजेंसी नहीं होती तो वह पैदल जाने का रिस्क नहीं उठाते। वहीं सरकार द्वारा जरूरत के सामानों को ढोने वाले ट्रक के ड्राइवरों ने बताया कि हमारे पास पैसे तो हैं, लेकिन होटल खुले ना होने के चलते वह मीलों का सफर भूखे पेट ही कर रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस जैसी घातक महामारी के चलते 21 दिनों तक समूचे देश में लॉक डाउन का ऐलान किया गया है। जिसके चलते हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनदं अरोड़ा ने निर्देश दिए हैं कि बेघर और दिहाड़ी मजदूरों को राशन पहुंचाना और यदि आवश्यक हो तो खाना बनाकर भी उनके घर द्वार तक पहुंचाना सुनिश्चित होना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो वीटा बूथों पर हैफेड के सहयोग से आटा, चावल, तेल इत्यादि के स्टॉक की व्यवस्था भी की जाए, ताकि लोगों में घबराहट के हालात न पैदा हों। बावजूद इसके हमें मजबूरी की यह तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। 

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