खुलेआम बिक रही गली-मोहल्लों में अवैध शराब, पुलिस प्रशासन सुस्त

Edited By Manisha rana, Updated: 10 Aug, 2020 09:54 AM

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आबकारी ठेकेदार और अवैध शराब विक्रेताओं की मिलीभगत से अवैध रूप से शराब की बिक्री जोरों पर कराई जा रही है, जिसमें पुलिस की भी मौन...

पलवल (बलराम गुप्ता) : आबकारी ठेकेदार और अवैध शराब विक्रेताओं की मिलीभगत से अवैध रूप से शराब की बिक्री जोरों पर कराई जा रही है, जिसमें पुलिस की भी मौन स्वीकृति रहती है। शहर के लगभग सभी वार्डों, गली, मोहल्लों में अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। जिससे युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में फंसती जा रही है। जब से आबकारी विभाग द्वारा एक नई तरीके से ठेके आवंटित किए गए है उस समय इन ठेकेदारों को आबकारी नियम व कानून के तहत शराब का ठेका आवंटित किया गया था, लेकिन वर्तमान में आबकारी ठेकेदार द्वारा उन सभी नियमों व शर्तों की धज्जियां उड़ाते हुए शहर में जगह जगह कमीशनखोरी पर अवैध रूप से शराब बिकवाने पर उतारू हो गए है।

इसके अलावा कुछ अवैध शराब विकेता घरों में भी एक फोन कॉल पर ही शराब की डिलीवरी कर रहे हैं। शहर में कई अंग्रेजी और देसी शराब के ठेके खुले हुए हैं, लेकिन वर्तमान में अगर देखा जाए तो शासन, प्रशासन को ठेंगा दिखाकर आबकारी ठेकेदार द्वारा हर वार्ड में अवैध रूप से शराब बिक्री कमीशन पर जोरों से कराई जा रही है। जिससे यह ज्ञात होता है कि पुलिस प्रशासन भी इस अवैध कारोबार में लिप्त है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर की नगर परिषद की सीमा  में 31 वार्ड आते हैं, जिसमें कुछ वार्डों को छोड़कर पूरी तरह यह कारोबार मकड़ जाल की तरह फैल हुआ है, अगर इस संबंध में किसी भी परेशान महिला, गरीब, बेसहारा लोगों द्वारा किसी वरिष्ठ जनों से शिकायत की जाती है तो उसकी आवाज को दबंगों द्वारा दबा दिया जाता है या फिर शिकायतकर्ता के ऊपर ही आबकारी एक्ट के तहत थाने में मुकद्दमा दर्ज करा दिया जाता है।

जिससे बेखौफ आबकारी ठेकेदार और अवैध शराब विक्रेताओं के खिलाफ अपनी जुबान खोलने को कोई तैयार नहीं होता, वहीं दूसरी तरफ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लक्ष्य पूरा करने के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन पर इस अवैध शराब के कारोबार को लेकर दबाव डाला जाता है, तो स्थानीय पुलिस व ठेकेदार द्वारा मिलकर उन चुनिंदा लोगों के खिलाफ जब्ती की कार्रवाई की जाती है जो ठेकेदार के इशारे पर कमीशन की शराब बेचते हैं, जिन्हें बाद में ठेकेदार द्वारा ही छुड़ा लिया जाता है। घरों में अवैध शराब की सप्लाई के चलते परिवारों में भी आपसी झगड़े बढ़ रहे हैं। शराबी भी शराब पीकर रोज सुबह सवेरे ही मंदिरो व स्कूलों के आसपास मंडराने लगते हैं जिससे मंदिर जाने वाली महिलाओ और स्कूल के छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

लॉकडाउन से बिगड़े हालात
लॉकडाउन के चलते प्रदेश सरकार ने शराब के विक्रय पर पूरी तरह से रोक लगाई थी। शराब पर रोक लगाए जाने के बाद भी कुछ लोग धड़ल्लेे  से अवैध शराब की बिक्री करने से नहीं चूक रहे थे। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि ऐसे लोग अवैध शराब की बिक्री करने में लगे हुए थे जो अपने वाहनों पर ऑन ड्यूटी का पर्चा चिपकाए हुए थे, जिसके चलते पुलिस भी ऐसे लोगों की किसी प्रकार से कोई जांच नहीं कर पा रही थी। प्रदेश सरकार ने शराब दुकानों को इसलिए प्रतिबंधित किया था कि शराब दुकानों पर ग्राहकों के द्वारा सुरक्षित शारीरिक दूरी का ध्यान नहीं रखा जाता है, इसके साथ ही यहां लोग मास्क लगाकर भी नहीं पहुंचते है।

शराब की दुकानें यदि खुलती तो लॉकडाउन का खुला उल्लंघन भी होता, लिहाजा शासन, प्रशासन ने इन शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया था। इसकी भनक लगते ही शराब ठेकेदारों ने भारी मात्रा में शराब का जखीरा अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर रखवा दिया था।  लॉकडाउन होते ही शराब माफिया ने अपने आदमियों को शहर के मोहल्लों सहित ग्रामीण अंचलों में सक्रिय कर दिया। बताया जाता है कि जिन लोगों की अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आने जाने के लिए ड्यूटी लगी हुई थी, उन्ही के मार्फत यह अवैध शराब संबंधित व्यक्ति तक आसानी से पहुंचाई गई, जिसमें किसी प्रकार का कोई रिस्क ही नहीं था, लेकिन पुलिस के द्वारा ऐसे किसी वाहन चालकों को रोककर उनसे कोई पूछताछ नहीं की गई।

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