भारत को भीख में नहीं बल्कि अनगिनत कुर्बानियों व बरसों के संघर्ष से मिली है आजादी: हुड्डा

Edited By Shivam, Updated: 12 Nov, 2021 05:18 PM

hooda said india got freedom not in begging but through countless sacrifices

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में पद्मश्री से पुरस्कृत एक अभिनेत्री द्वारा देश की आजादी के बारे में दिए गए बयान की कड़े शब्दों में आलोचना की है। हुड्डा ने कहा कि किसी को भी देश की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता...

चंडीगढ़ (धरणी): पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में पद्मश्री से पुरस्कृत एक अभिनेत्री द्वारा देश की आजादी के बारे में दिए गए बयान की कड़े शब्दों में आलोचना की है। हुड्डा ने कहा कि किसी को भी देश की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इतना ही नहीं, आजादी व आजादी के संघर्ष के दौरान हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को अपमानित करने वाली अभिनेत्री को जो पद्म पुरस्कार दिया गया है, उसे भी वापस लिया जाना चाहिए।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि वर्षों के संघर्ष और अनगिनत कुर्बानियों के बाद हमारे देश को स्वतंत्रता मिली है। जिन लोगों को लगता है कि देश को आजादी भीख में मिली है, उन्होंने शायद कभी स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में पढ़ा तक नहीं है। महारानी लक्ष्मी बाई, मंगल पांडे, तात्यां टोपे से लेकर महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, खुदी राम बोस, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, लाला लाजपत राय, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, अशफाकउल्ला खां समेत अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। यहां तक कि देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। तब कहीं जाकर हम एक आजाद मुल्क बन पाए हैं।

हुड्डा ने कहा कि वो खुद एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं। उनके पिता स्वर्गीय चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों का अत्याचार सहा और कई बरस विभिन्न जेलों में गुजारे। अपने निजी और पारिवारिक लाभ-हानि व सुख को त्याग कर उन्होंने अपना सब कुछ स्वतंत्रता आंदोलन में झोंक दिया था। ऐसे कितने ही हजारों लाखों जाने अनजाने महान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान ने अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागने के लिए मजबूर किया।

हुड्डा ने कहा कि जिस पीढ़ी को आजादी के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ा, जिसने गुलामी का दौर नहीं देखा और जिसको आजादी विरासत में मिली है, उसे आजादी के संघर्ष व स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी को कभी भूलना नहीं चाहिए। इस पीढ़ी के लोगों को हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा पढऩा, समझना और जानना चाहिए, ताकि उन्हें भी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन, तप, त्याग, बलिदान से देशप्रेम की प्रेरणा मिल सके।
 

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