Edited By Isha, Updated: 01 Feb, 2022 06:08 PM
केंद्रीय बजट ने नौकरीपेशा आम आदमी से लेकर किसान, कारोबारी समेत तमाम वर्गों को निराश किया है। जहाँ आसमान छूती महंगाई से राहत और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए इस बजट में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया
चंडीगढ़/रोहतक(चन्द्र शेखर धरणी/दीपक): केंद्रीय बजट ने नौकरीपेशा आम आदमी से लेकर किसान, कारोबारी समेत तमाम वर्गों को निराश किया है। जहाँ आसमान छूती महंगाई से राहत और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए इस बजट में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, वहीं नौकरीपेशा वर्ग के लोगों को इनकम टैक्स लिमिट की छूट न बढ़ाए जाने से निराशा हाथ लगी है। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस और खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगी आग ने आम आदमी के घर का बजट बुरी तरह से बिगाड़ दिया है। आंकड़ों के खेल में उलझा यह बजट पूरी तरह से खोखला है।
2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करने वाली केंद्र सरकार ने इस बजट में खेती-किसानी के साथ धोखा किया है। खाद पर 1.40 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी घटाकर 1.05 लाख करोड़ रुपये किए जाने से किसानों पर महंगी खाद का बोझ पड़ना तय है। गारेंटीड एमएसपी की चर्चा किए बगैर गेहूं व धान के लिए किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपये एमएसपी के रुप में दिए जाने का प्रावधान बजट में किया गया है पर एमएसपी के दायरे में आने वाली बाकी 21 फसलों का एमएसपी देने से सरकार पीछे क्यों हट रही है।
इससे संकेत साफ है कि सरकार की मंशा सभी फसलों पर एमएसपी देने की नहीं है। ग्रामीण इलाकों के विकास एवं रोजगार को बढ़ावा देने वाली मनरेगा स्कीम का बजट घटाकर 73,000 करोड़ रुपये कर दिया है जो 2021-22 के बजट में 98,000 करोड़ रुपये था। गरीबों को सस्ते अनाज के लिए फूड सब्सिडी बजट 2.86 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 2.06 लाख करोड़ रुपये किये जाने से गरीबों के खाने की थाली में भी केंद्र सरकार ने छेद करने का काम किया है।