Edited By Deepak Paul, Updated: 23 Nov, 2018 05:39 PM
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी जनक्रांति रथयात्रा को लेकर 25 नवंबर को बरवाला में रैली करेंगे। इस रैली में केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य और आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई के भी मंच पर होने की संभावना है। इस संभावना को इसलिए भी बल मिल रहा...
चंडीगढ़(धरणी): पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी जनक्रांति रथयात्रा को लेकर 25 नवंबर को बरवाला में रैली करेंगे। इस रैली में केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य और आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई के भी मंच पर होने की संभावना है। इस संभावना को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि हुड्डा की इस रैली का प्रभारी भजनलाल और कुलदीप के खासमखास रहे पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक को बनाया गया है। कभी एक-दूसरे के प्रमुख विरोधी रहे यह दोनों नेता अगर छह धड़ों में चल रही कांग्रेस की गुटबाजी के बीच एक साथ आ जाते हैं तो प्रदेश की सियासत के मायने बदल सकते हैं।
गौरतलब है कि साल 2005 में कांग्रेस हाईकमान द्वारा भजनलाल की जगह भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा के बाद से ही दोनों के बीच खींचतान शुरू हो गई थी। भजनलाल को साथ लेकर उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस से किनारा करके 2007 में खुद की हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन कर दिया था। करीब एक साल पहले ही कुलदीप बिश्नोई ने हजकां का कांग्रेस में विलय किया है।
हजकां बनाने पर भी कुलदीप के साथ रहे थे धर्मपाल मलिक
साल 2007 में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई द्वारा कांग्रेस से खफा होकर जनहित कांग्रेस बनाने के दौरान भी धर्मपाल मलिक भजन परिवार के साथ रहे थे। सोनीपत से दो बार सांसद रह चुके धर्मपाल मलिक हजकां के टॉप-5 नेताओं में शामिल थे और अधिकतर कमेटियों में वही फैसले लेते थे। करीब एक साल पहले कुलदीप बिश्नोई द्वारा हजकां का कांग्रेस में शामिल होने के दौरान ही धर्मपाल मलिक भी वापस कांग्रेस में आ गए।
जनक्रांति रथ को हर विधानसभा में लेकर जाएंगे हुड्डा
25 नवंबर को बरवाला में रैली के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जनक्रांति रथ यात्रा 11 दिसंबर तक के लिए रुक जाएगी। 11 दिसंबर को राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के चुनावों का परिणाम घोषित होना है। पूर्व सीएम के सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा के अनुसार 11 दिसंबर के बाद ही जनक्रांति रथ यात्रा हिसार व अन्य जिलों के सभी विधानसभा क्षेत्रों में जाएगी।
हुड्डा व बिश्नोई परिवार का राजनीतिक गठबंधन कितना मजबूत व कितना लंबा निभेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है मगर कई राजनीतिक दलों में फिलहाल "जाट-नॉन जाट" के गठबंधन प्रयास को लेकर परेशानी आवश्यक पैदा करेंगे।