हिमाचल ने छोड़ा पानी, हरियाणा ने कहा- नहीं हुआ रिसीव... आखिर कब बुझेगी दिल्ली की प्यास ?

Edited By Nitish Jamwal, Updated: 13 Jun, 2024 02:13 PM

hearing on delhi water crisis case was held in supreme court today

हिमाचल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने 137 क्यूसेक पानी दिए जाने का एफिडेविट दिया था। लेकिन अभी तक उस पानी को लेकर हिमाचल ने कोई जानकारी हरियाणा से साझा नहीं की गई, ना ही अभी तक पानी हरियाणा को रिसीव हुआ है।

यमुनानगर/दिल्ली (सुरेंद्र मेहता/कमल कंसल): हिमाचल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने 137 क्यूसेक पानी दिए जाने का एफिडेविट दिया था। लेकिन अभी तक उस पानी को लेकर हिमाचल ने कोई जानकारी हरियाणा से साझा नहीं की गई, ना ही अभी तक पानी हरियाणा को रिसीव हुआ है। हरियाणा सिंचाई विभाग के एसई आरएस मित्तल का कहना है कि पोंटा में ये पानी रिसीव होना था। इसको लेकर अपर रीवा यमुना बोर्ड की टीम दो दिन तक यमुनानगर जिला में रही। इस दौरान हिमाचल के अधिकारियों से बातचीत करने का भी प्रयास किया गया, लेकिन पानी की आपूर्ति नहीं हुई और ना ही हिमाचल ने किसी पत्र का कोई जवाब दिया।

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सिंचाई विभाग के एस ई ने बताया कि हथिनी कुंड बैराज देश के 6 राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, यूपी ,दिल्ली को पानी का बंटवारा करता है। इसी को लेकर अपर यमुना बोर्ड की टीम यमुनानगर पहुंची थी। लेकिन पानी को लेकर अभी तक कोई सूचना उनके पास उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि हथिनी कुंड बैराज पर आज पानी 2,399 क्यूसेक है। जिसमें से 1,842 क्यूसेक पानी वेस्टर्न यमुना कैनाल में जा रहा है। वहीं दिल्ली का हिस्सा 761 क्यूसेक बनता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली और एनसीआर के लिए 1,050 क्यूसेक पानी लगातार छोड़ा जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

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दिल्ली जल संकट मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को फटकार लगाई और कहा कि बेहद संवेदनशील मामले में गलत जवाब कोर्ट में दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की बात कही गई है, इतने संवेदनशील मामले में उतना हल्का जवाब दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके ऊपर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा क्यों न चलाया जाए? वहीं हिमाचल सरकार ने माफी मांगते हुए कहा कि वो हलफनामा दाखिल कर अपने जवाब को रिकॉर्ड से वापस लेंगे। साथ ही हिमाचल सरकार की ओर से कहा गया कि हमारी नियत सही थी, हालांकि जो जवाब दाखिल किया गया है उसमें कुछ कमियां है। उसको ठीक किया जाएगा और कोर्ट के सामने रिकॉर्ड को दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप अपनी बात यमुना बोर्ड के सामने रखें। तो हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हम अपना हलफनामा वापस ले रहे हैं और इसकी जगह एक नया हलफनामा दाखिल करेंगे। जिसके बाद हिमाचल सरकार के आग्रह को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

हरियाणा सरकार के बयान को रिकॉर्ड पर लिया

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के बयान को रिकॉर्ड पर लिया। कोर्ट ने कहा कि 6 जून के आदेश के मुताबिक सभी पक्षों को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था। अभिषेक मनु सिंघवी जो दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए उन्होंने कोर्ट को बताया कि वजीराबाद में पानी करार के मुताबिक मेंटेन नही किया गया। जबकि हरियाणा सरकार ने कहा की उन्होंने मुनक कैनाल के जरिए पानी को रिलीज किया है।

SC- हरियाणा सरकार ने कहा की उनके पास अतिरिक्त पानी नहीं है, लेकिन करार 1994 के करार के मुताबिक वो दिल्ली को पानी दे रहे है।

SC- सभी पक्षों को सुनने के बाद हमारा मानना है। यमुना पानी का बंटवारा एक जटिल मुद्दा है। अदालत इस विषय की विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में इस मामले को यमुना रिवर फ्रंट बोर्ड को सुनना चाहिए। इस विषय में बोर्ड ने पहले ही निर्देश जारी किए है।

SC- बोर्ड इस संबंध में शुक्रवार को संबंधित पक्षों की एक मीटिंग बुलाए। दिल्ली सरकार की याचिका का कोर्ट ने निस्तारण किया।

अभिषेक मनु सिंघवी (दिल्ली सरकार के वकील)- पानी की बर्बादी के मुद्दे पर हमने पहले ही बहुत सारे उपाय किए हैं। हम जल संकट की समस्या को हल करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

अभिषेक मनु सिंघवी- दिल्ली जल संकट के लिए हमारे पास अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय हैं।

अभिषेक मनु सिंघवी- हरियाणा का कहना है कि हम 52 फीसदी पानी का नुकसान कर ये सही नहीं है। गुरुग्राम में नुकसान अधिक है। मैं चाहता हूं कि दैनिक निगरानी हो और   इसकी निरंतर निगरानी होनी चाहिए।

SC- हिमाचल ने एक भी लीटर पानी नहीं छोड़ा और कोर्ट के सामने गलत बयान दिया। इस तरह के बयान की इजाजत नहीं दी जा सकती।
 

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