Edited By Isha, Updated: 26 Oct, 2024 04:04 PM
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कोर्ट के आदेशों के बावजूद 2003 की नीति के मद्देनजर कुछ अस्थायी कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने के लिए उनके मामलों की जांच न करने पर हरियाणा सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कोर्ट के आदेशों के बावजूद 2003 की नीति के मद्देनजर कुछ अस्थायी कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने के लिए उनके मामलों की जांच न करने पर हरियाणा सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इस मामले में राज्य सरकार ने इस वर्ष अप्रैल में हाई कोर्ट की एकल पीठ द्वारा पारित निर्देशों के अनुपालन में मामलों की जांच किए बिना ही हाई कोर्ट के समक्ष अपील दायर करने की जल्दबाजी की थी।
जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए ये आदेश पारित किए हैं। खंडपीठ ने कहा कि हमें एकल पीठ के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं दिखती, क्योंकि निर्देश केवल कर्मचारियों के मामले की जांच करने और उन्हें नियमितीकरण का लाभ देने के लिए दिया गया था, यदि वे इसके लिए पात्र पाए जाते हैं। साथ ही, सक्षम प्राधिकारी को मामलों को खारिज करने की स्वतंत्रता दी गई थी, यदि उनकी राय थी कि कर्मचारी नियमितीकरण के हकदार नहीं हैं, लेकिन उस स्थिति में, विस्तृत कारण बताए जाने थे।
सरकार ने अपनी नीति के अनुसार नियमितीकरण के लिए प्रतिवादियों के मामलों पर विचार करने और निर्णय लेने के बजाय, अपील दायर करके अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जो पूरी तरह से गलत है। इसलिए कोर्ट सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश देती है।