Edited By Manisha rana, Updated: 27 Nov, 2023 03:10 PM
मौत को कभी झुठलाया नहीं जा सकता है और यह कभी भी आ सकती है। इसके लिए दिन, समय, स्थान सब निश्चित है। वहीं फरीदाबाद में रविवार की शाम कुछ ऐसा हुआ कि गुरुघर के सेवादार भारत भूषण खरबंदा ने दस गुरुओं के ज्योति स्वरूप श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करते हुए...
फरीदाबाद (अनिल राठी) : मौत को कभी झुठलाया नहीं जा सकता है और यह कभी भी आ सकती है। इसके लिए दिन, समय, स्थान सब निश्चित है। वहीं फरीदाबाद में रविवार की शाम कुछ ऐसा हुआ कि गुरुघर के सेवादार भारत भूषण खरबंदा ने दस गुरुओं के ज्योति स्वरूप श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करते हुए प्राण त्याग दिए।
बता दें कि सोमवार यानि आज प्रथम पातशाही श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाशोत्सव है। इसके उपलक्ष्य में रविवार शाम को पांच नंबर एम ब्लॉक स्थित गुरुद्वारा श्री चंद साहिब से नगर कीर्तन निकल रहा था। नगर कीर्तन में पवित्र पालकी साहिब की सेवा हमेशा की तरह भारत भूषण खरबंदा पुत्र सरदार सिंह खरबंदा ने संभाली हुई थी। पालकी साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश करने के बाद भारत भूषण विधि पूर्वक रूमाला चढ़ा रहे थे। गुरुबाणी का पाठ करते हुए रूमाला चढ़ाने के बाद वहीं बैठ-बैठे भारत भूषण को हार्ट अटैक आया और पालकी साहिब में अपने स्थान पर बैठे-बैठे ही प्राण त्याग दिए। भारत भूषण को गिरते देख अन्य सेवादारों ने तुरंत उन्हें संभाला। उन्हें अस्पताल ले जा गया, पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
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