हरियाणा में कमजोर रोग प्रतिरोध क्षमता वाले पेशैंट्स ही बने कोरोना का ‘ग्रास’

Edited By Manisha rana, Updated: 28 Jun, 2020 10:21 AM

grass of corona made in haryana with weak disease resistance

हरियाणा में कोरोना वायरस ने कमजोर रोग प्रतिरोध क्षमता वाले लोगों को ही मौत की नींद सुलाया है। आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में कोरोना...

चंडीगढ़ (अर्चना सेठी) : हरियाणा में कोरोना वायरस ने कमजोर रोग प्रतिरोध क्षमता वाले लोगों को ही मौत की नींद सुलाया है। आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में कोरोना वायरस से 61.46 फीसदी ऐसे लोगों की मौत हुई है जो हाई ब्लड प्रैशर, शुगर, हृदय, फेफड़ों या किडनी के रोग से पहले से ग्रस्त थे। प्रदेश में अब तक 218 मौतें कोरोना की वजह से हो चुकी हैं। उनमें से 134 मौतें कॉमोरबिड पेशैंट्स की हुई,जबकि 84 लोगों को वायरस के अलावा अन्य कोई रोग नहीं था।

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों की बगैर किसी कॉमोरबिडिटी के मौत हुई है उनमें से अधिकतर लोगों की उम्र 65 साल से अधिक थी और उसके बाद 60 साल की उम्र से लेकर 65 साल की उम्र के बीच वाले लोगों की मौतें हुईं। ऐसे लोग भी थे जिनकी मौत पर उनके किसी दूसरे रोग से ग्रस्त होने का रिकार्ड नहीं लिया जा सका, क्योंकि या तो वह अनजान थे या मौत के बाद ही अस्पताल पहुंचे। मरने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले ज्यादा है। डाक्टर्स का कहना है कि जिस तरह से महिलाओं की तुलना में वायरस ने पुुरुषों को ज्यादा निशाना बनाया है, उसी तरह से वायरस की वजह से मरने वालों में भी पुरुषों की तादाद अधिक है। 158 पुरुष जबकि 60 महिलाओं की ही मौत हुई है। 

65 साल से अधिक उम्र वालों की भी हुई मौतें
हरियाणा के डायरैक्टर जनरल हैल्थ सॢवस डा.एस.बी. कंबोज का कहना है कि राज्य में अब तक हुई मौतों में से 135 मौतों का आंकलन करने पर पता चला है कि 57 प्रतिशत मौतें कॉमोरबिडिटी से संबंधित थीं। 46 प्रतिशत ऐसे लोगों की मौत हुई जिनकी उम्र 65 साल से अधिक थी। 12 प्रतिशत मरने वालों की उम्र 60 से लेकर 65 साल के बीच थी। उनका कहना है कि मरने वालों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की तादाद अधिक थी।

पी.जी.आई. रोहतक के प्रवक्ता डा. वरुण का कहना है कि प्रदेश में ज्यादा मौतें सिर्फ कोरोना की वजह से नहीं,बल्कि उनकी हुई है जिनका शुगर, ब्लड प्रैशर कंट्रोल में नहीं था और शुगर, ब्लड प्रैशर का असर उनके अंगों पर पहले से था परंतु जब वायरस ने अटैक किया तो उनका शरीर वायरस के सामने कमजोर पड़ गया। 90 फीसदी मौतें कॉमोरबिड पेशैंट्स की हुई हैं। 10 फीसदी में ऐसी मौतें भी हुईं जो अनजान थे। उनके बारे में सिर्फ इतना ही पता चल सका कि वह कोरोना पॉजिटिव थे। कुछ पेशैंट्स अस्पतालों में पहुंचते ही मर गए। उनके बारे में पता नहीं चला कि उन्हें हार्ट या ब्रेन स्ट्रोक का कोई रिकार्ड तो नहीं था। 

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