Edited By Rakhi Yadav, Updated: 02 May, 2018 09:26 AM
खट्टर सरकार की खेल पॉलिसी पर भले ही विपक्षी दल सवाल उठा रहे हों लेकिन सरकार खेल पॉलिसी में संशोधन करने के हक में नहीं है। सरकार का मानना है कि उनकी खेल पॉलिसी सभी प्रदेशों से बेहतर......
चंडीगढ़(अविनाश पांडेय): खट्टर सरकार की खेल पॉलिसी पर भले ही विपक्षी दल सवाल उठा रहे हों लेकिन सरकार खेल पॉलिसी में संशोधन करने के हक में नहीं है। सरकार का मानना है कि उनकी खेल पॉलिसी सभी प्रदेशों से बेहतर है और प्रदेश के बाहर नौकरी करने वाले खिलाडिय़ों के लिए ईनामी राशि भी उपयुक्त है।
हालांकि ऐसे पदक विजेताओं के विरोध पर सरकार के कुछ लोग ईनामी राशि में संशोधन की मांग कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस मामले में तटस्थ हैं। वहीं खेल मंत्री अनिल विज भी मुख्यमंत्री के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। सरकार की इस कवायद के कारण ही कॉमनवैल्थ खेलों के पदक विजेताओं के सम्मान समारोह की अगली तिथि पर असमंजस है। हरियाणा की खेल पॉलिसी में कॉमनवैल्थ, ओलिम्पिक और एशियाड खेलों के लिए ईनामी राशि तय करने के साथ ही प्रदेश के बाहर नौकरी करने वाले खिलाडिय़ों की ईनामी राशि भी तय की गई है।
इस बार कॉमनवैल्थ खेलों में हरियाणा के खिलाडिय़ों ने 22 पदक झटके हैं जिसमें से करीब एक दर्जन खिलाड़ी हरियाणा से बाहर यानी रेलवे और केंद्र की अन्य विभागों में नौकरी कर रहे हैं। खेल पॉलिसी के मुताबिक सरकार ने तय किया कि बाहरी खिलाडिय़ों को उनके विभाग से मिली ईनामी राशि काटकर शेष राशि दी जाएगी। इसी पॉलिसी के तहत सरकार की ओर से कॉमनवैल्थ के पदक विजेताओं का सम्मान करने के लिए पंचकूला के इंद्रधनुष ऑडियोरियम में समारोह रखा गया जो बाहरी खिलाडिय़ों के विरोध के कारण एक दिन पहले रद्द करना पड़ा। बाहरी खिलाडिय़ों ने सरकार की पॉलिसी को गलत बताते हुए कहा कि ईनामी राशि समान मिलनी चाहिए।