हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला ने मोदी को लिखा पत्र, पीएम को याद दिलाया इतिहास

Edited By Shivam, Updated: 29 Dec, 2020 03:33 PM

former haryana cm op chautala writes to modi reminds pm of history

पूर्व मुख्यमंत्री एवं इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर देशहित और किसानहित में कृषि कानूनों को वापिस लेने की अपील की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि किसानों को इस भीषण...

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी): पूर्व मुख्यमंत्री एवं इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर देशहित और किसानहित में कृषि कानूनों को वापिस लेने की अपील की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि किसानों को इस भीषण ठंड में आंदोलनरत हुए एक महीने से भी ऊपर का समय हो गया है लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। यह एक दुखद स्थिति है क्योंकि सामान्यत: किसान वर्ग के लोग किसी आंदोलन में भाग नहीं लेते और आज ऐसा हो रहा है तो उसे संवेदनात्मक दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। उन्होंने लिखा कि सम्भवत: सरकार द्वारा कृषि कानूनों के संबंध में किसानों से संवाद स्थापित करने में कोई चूक रह गई है, जिसकी वजह से टकराव की स्थिति पैदा हो गई है।



इनेलो सुप्रीमो ने प्रधानमंत्री को याद दिलाते हुए लिखा कि हमारे देश में पिछली शताब्दी में स्वतंत्रता आंदोलन के पहले दशकों में इसी प्रकार चार बड़े आंदोलन हुए थे जिनका नेतृत्व महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे नेताओं ने किया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का हवाला देते हुए लिखा कि किसानों को तीनों कृषि संबंधी कानून स्वीकृत नहीं हैं इसलिए हठधर्मिता छोड़ कर किसानों की मांग को मान लेना चाहिए।



उन्होंने बिहार के किसानों का उदाहरण देते हुए लिखा कि उनकी हालत से आप भलीभांति परिचित हैं जो जमीनों के मालिक होते हुए भी हरियाणा एवं पंजाब जैसे राज्यों में मजदूरी करने पर मजबूर हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए लिखा कि इन कृषि कानूनों को लागू करने में जल्दबाजी न की जाए और न ही इसे अहं का विषय बनाया जाए क्योंकि किसान के लिए जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा भी अपनी जान से प्यारा होता है।

इनेलो सुप्रीमो ने आशंका व्यक्त करते हुए लिखा कि किसानों का आंदोलन अभी तक शांतिप्रिय चल रहा है अगर किन्ही कारणों से उग्र हुआ तो इसके दूरगामी परिणाम देशहित में कदाचित नहीं होंगे। उन्होंने अब तक शहीद हुए लगभग 50 किसानों की मौत पर गहरा दुख  प्रकट करते हुए लिखा कि इससे ज्यादा विडंबना क्या होगी के भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान का एक विशेष स्थान है लेकिन फिर भी अपने हकों के लिए सड़क पर आंदोलन करने पर मजबूर है। 

उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री पूरे देश का होता है इसलिए उनकी लिखी बातों को ध्यान में रखते हुए इन कृषि कानूनों को या तो वापिस लिया जाए या उन्हें तब तक के लिए निलम्बित कर दिया जाए जब तक किसान संगठनों के साथ मिलकर सहमति नहीं बन जाती।

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