सरकार पिछले 5 साल से स्लो प्वाइजन देकर आढ़तियों, किसानों को खराब करने पर तुली है: धर्मवीर

Edited By vinod kumar, Updated: 26 Sep, 2020 10:03 PM

dharmveer malik attack on government

राष्ट्रीय आढ़ती एसोसिएशन के उपाध्यक्ष धर्मवीर मालिक का कहना है की मजदुर, किसान व आढ़ती के चैन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पिछले 5 सालों में सरकार ने आढ़ती को मार दिया है। हरियाणा में कुल 40 हजार आढ़ती हैं। लगभग 250 मंडियां चालू हालत में हैं। हरियाणा में...

चंडीगढ़ (धरणी): राष्ट्रीय आढ़ती एसोसिएशन के उपाध्यक्ष धर्मवीर मालिक का कहना है की मजदुर, किसान व आढ़ती के चैन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पिछले 5 सालों में सरकार ने आढ़ती को मार दिया है। हरियाणा में कुल 40 हजार आढ़ती हैं। लगभग 250 मंडियां चालू हालत में हैं। हरियाणा में 150 के करीब अस्थायी मंडियां हैं।

एक आढ़ती के साथ सौ लोग सीधे तरीके से जुड़े हुए हैं, इनके साथ ही 2 मुनीम व दस लेबर भी हैं। सरकार पिछले 5 साल से स्लो प्वाइजन देकर आढ़तियों, किसानों व लेबर को खराब करने पर तुली है। कृषि मंत्री जे पी दलाल या अन्य जो आढ़तियों को बिचौलिया या सूत खायु बतातें है, उन्हें इस बात का ज्ञान होना जरूरी है की आढ़ती मात्र दो प्रतिशत ब्याज लेता है। जिसमें से डेड प्रतिशत ब्याज उन बैंकों को देता है।

प्रस्तुत है खास बातचीत के प्रमुख अंश-

प्रश्न-
आढ़ती आंदोलनरत किस कारण हैं ?
उत्तर- धर्मवीर मालिक कहतें है की आढ़तियों में सरकार की नीतियों को लेकर रोष इसलिए है क्योंकि सरकार राजनीति कर रही है। यह सब को पता है किसान आढ़ती पर आश्रित है। लेबर आढ़ती पर आश्रित है। पुराणी परम्पराओं के किसान को डीजल भरवाने से लेकर बच्चों की शादी व किसी भी दुःख-सुख में आढ़ती पर निर्भता रहता है, इन स्थितियों में सरकार पर निर्भर कैसे रह सकता है। सरकार ने ऐसा काम कर रखा है की न कोई दलील है न कोई अपील। हड़ताल से पहले झूठे मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारियां की जाती हैं। लोकतंत्र में यह अच्छा काम नहीं है। पिछले 5 सालों में सरकार ने आढ़ती को मार दिया है। हरियाणा में कुल 40 हजार आढ़ती हैं। लगभग 250 मंडियां चालू हालत में हैं। हरियाणा में 150 के करीब अस्थायी मंडियां हैं। एक आढ़ती के साथ सौ लोग सीधे तरीके से जुड़े हुए हैं, इनके साथ ही 2 मुनीम व दस लेबर भी हैं।

प्रश्न- आढ़तियों की नाराजगी का कारण क्या है ?
उत्तर- धर्मवीर मालिक कहतें है की बीएसएनएल, एयरपोर्ट, जीवन बीमा, रेलवे स्टेशन सब बेच दिए। हरियाणा सरकार द्वारा टूरिज्म विभाग के निजीकरण की कोशिश चल रही है। एक धरोहर क्या बंसीलाल ने इस लिए बनाई थी की इसे गिरवरी रख दिया जाए। छोटूराम ने मंडियों की जप परम्परा दी थी, क्या वह इसलिए दी गई थी कल को इनको खत्म कर किसानों को लावारिस कर दिया जाए। किसान को चारों तरफ से मारा जा रहा है। पिछली बार 1509 जीरी की खरीद 2800 रुपये में की गई थी, जो अब 1600-1700 रूपये प्रति बोरी है। सरकार द्वारा फिक्स रेट 1888 रुपये है। एक किसान की एक एकड़ में 40 क्विंटल जीरी निकलती थी जो अब सरकारी नीतियों के कारण 27 क्विंटल गिनी जाती है।

प्रश्न- सरकार टी किसानों के लिए कई लाभकारी कदम उठा रही है ?
उत्तर- धर्मवीर मालिक कहतें है की कृषि मंत्री जे पी दलाल या अन्य जो आढ़तियों को बिचौलिया या सूत खायु बताते हैं, उन्हें इस बात का ज्ञान होना जरूरी है की आढ़ती मात्र दो प्रतिशत ब्याज लेता है। जिसमें से डेड प्रतिशत ब्याज उन बैंकों को देता है जिन बैंकों ने उन्हें  लिमिट बना कर दे रखी है। आढ़ती मात्र आधा प्रतिशत हो ले पाता है। मंडी में कई तरह के टैक्स देने पड़ते हैं, इंस्पेक्टरी राज को झेलना पड़ता है। सरकार कहती है की मंडी से बाहिर सब टैक्स फ्री है। सरकार इन मंडियों को ही टैक्स फ्री जोन बना दे। जब बाहर फ्री है तो अंदर भी टैक्स फ्री करना चाहिए। 

प्रश्न- किसानों को सीधी पेमेंट का विरोध क्यों ?
उत्तर- धर्मवीर मालिक कहतें है की सरकार ने 440 करोड़ का छ महीने का ब्याज आढ़तियों को नहीं दिया। नवंबर 2019 में पी आर जीरी खरीदी थी सरकार ने जिसकी पेमेंट 6 माह बाद हुई, जबकि आढ़तियों ने नवंबर में ही किसानों को भुगतान कर दिया था, चाहे इसके लिए कहीं से पैसा उधार हो जमीने तक बेची गई हैं। इस मामले को हाईकोर्ट लेकर जाएंगे। इसी साल की आढ़त अब दी है। वह भी हड़ताल के बाद। किसानों को प्राइवेट बैंक एच डी एफ सी पंचकूला के माध्यम से पेमेंट क्यों दी गई। जिसमें एक हफ्ता देरी हुई, उसका कौन जिम्मेदार है। इसका ब्याज कौन देगा। सीधी पेमेंट हमें क्यों नहीं की जाती।

प्रश्न- पेमेंट के मुद्दे पर विवाद क्या है ?
उत्तर- धर्मवीर मालिक कहतें है की आढ़तियों के 22 हजार करोड़ रूपये आढ़तियों ने मार रखें हैं, सरकार के हर अधिकारी को इसकी जानकारी है। कई मिलर खुद को दिवालिया घोषित कर गए तो कई भाग गए। चावल निर्यातक मुख्यमंत्री से मिल रहें हैं। आढ़तियों पर दवाब बनाने के लिए चावल निर्यातक काम कर रहें हैं। किसानों के लिए अब मामले एस डी एम के पास सुनवाई भी अनुचित है। एस डी एम के पास राजनैतिक दखलंदाजी चलेगी। पैरलेल बॉडी खड़ी कर किसानों के कोर्ट जाने के अधिकार छीने जा रहें है। गरीब किसान को घेरा जा रहा है। 

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