PGI में इलाज के दौरान अवैध वसूली का मामला: अधिकारियों की फूली नजर आई सांसें

Edited By vinod kumar, Updated: 14 Dec, 2019 11:33 AM

case of illegal recovery during treatment in pgi

उपभोक्ता फोरम में पी.जी.आई.एम.एस. के आर्थो विभाग में आप्रेशन के दौरान पैसे मांगने के मामला में शुक्रवार को अधिकारियों की सांसें फूली नजर आई। मामले की सुनवाई के दौरान पी.जी.आई. के अधिकारियों  ने इलाज संबंधी दस्तावेज जमा करवाए हैं। मिली जानकारी के...

रोहतक(मैनपाल): उपभोक्ता फोरम में पी.जी.आई.एम.एस. के आर्थो विभाग में आप्रेशन के दौरान पैसे मांगने के मामला में शुक्रवार को अधिकारियों की सांसें फूली नजर आई। मामले की सुनवाई के दौरान पी.जी.आई. के अधिकारियों  ने इलाज संबंधी दस्तावेज जमा करवाए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक फोरम के अधिकारियों ने मामले की सुनवाई करते हुए मरीज के उपचार संबंधी, कोर्ट में लंबित विवाद और हाईकोर्ट में यू.एच.एस. के रजिस्ट्रार द्वारा दिए गए शपथ पत्र मांगा जिस पर पी.जी.आई. अधिकारियों ने सभी दस्तावेज उपलब्ध करवाए हैं। 

हैल्थ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार का शपथ पत्र भी तलब
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उपभोक्ता फोरम में मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी चिकित्सक पर लंबित कार्रवाई का ब्यौरा तथा अवैध इंप्लांट के मामले में यू.एच.एस. रजिस्ट्रार द्वारा दिए गए शपथ पत्र को तलब किया है। अब बताया जा रहा है कि दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद फोरम द्वारा 8 जनवरी को सुनवाई करते हुए संस्थान के बड़े अधिकारियों को भी बयान दर्ज करने के लिए तलब किया जा सकता है। फोरम द्वारा मामले में दस्तावेज तलब किए जाने से आरोपी चिकित्सक समेत आर्थो विभाग के अन्य चिकित्सकों में हड़कम्प मचा हुआ है। पीड़ित ईशा अली ने बताया कि फोरम ने संस्थान के अधिकारियों को सभी दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए हैं।

यह है मामला
बता दें कि करीब 2 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के बागपत जिला निवासी ईशा अली ने अपनी बेटी शर्मा के ऑप्रेशन के लिए स्वास्थ्य मंत्री का पत्र लेकर पी.जी.आई. के आर्थो विभाग में चिकित्सकों से संपर्क किया था। मरीज के कूल्हे में परेशानी के चलते उसका कूल्हा बदला जाना था। पीड़ित ईशा अली का आरोप था कि अधिकारियों ने ऑप्रेशन से पूर्व 45 हजार रुपए में ऑप्रेशन पूरा होने की बात कही थी, लेकिन बाद में 30 हजार रुपए और मांगे थे जिसके बाद पीड़ित ने अधिकारियों को शिकायत दी थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी थी। परेशान होकर पीड़ित ने उपभोक्ता फोरम और कोर्ट में अपील दायर करते हुए न्याय की मांग की थी। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है। 

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