अलविदा-2019: सालभर सड़कों पर उतरते रहे कर्मचारी, फिर भी समाधान नहीं

Edited By Isha, Updated: 29 Dec, 2019 12:40 PM

bye 2019 employees kept on the streets all year long still no solution

सरकार के लोगों को बेहतर सेवाएं देने के दावे साल भर टूटते नजर आए। विभिन्न यूनियनें एवं विभागों के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर साल भर सड़कों पर उतरते रहे और प्रदर्शन करते रहे। साल की शुरु

ज्योतिसर: सरकार के लोगों को बेहतर सेवाएं देने के दावे साल भर टूटते नजर आए। विभिन्न यूनियनें एवं विभागों के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर साल भर सड़कों पर उतरते रहे और प्रदर्शन करते रहे। साल की शुरुआत से शुरू हुआ धरने-प्रदर्शन व हड़ताल का सिलसिला साल के अंत तक जारी है। कर्मचारियों के सड़कों पर उतरने और हड़ताल होने के बाद मांगों पर सहमति तो कई बार बनी लेकिन समाधान आज तक नहीं हो पाया। 

यही कारण है कि अब कर्मचारी यूनियनों ने 8 जनवरी की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है जिसमें सभी यूनियनें और विभागों के कर्मचारी भाग लेंगे। रोडवेज यूनियनों ने भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान रोडवेज का चक्का जाम रखने की घोषणा कर दी है। एक बार फिर आम जनता को ही पिसना पड़ेगा।

शहर की विभिन्न कर्मचारी यूनियनें साल भी सरकार पर कर्मचारी विरोधी होने का आरोप लगाती रही। यूनियनों का कहना है कि सरकार सभी विभागों का निजीकरण करने के पक्ष में हैं। यही कारण है कि आज तक जो भी योजनाएं बनाई गई, वे सभी कर्मचारी विरोधी ही रही। यूनियनों को आरोप है कि सरकार ने कर्मचारियों का शोषण किया, जिस कारण कर्मचारी साल भर सड़कों पर ही नारेबाजी करता रहा। 

सरकार पर कर्मचारी  विरोधी होने के आरोप
नगर निगम व नगर पालिका सफाई कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल की। कर्मचारियों केे हड़ताल पर चले जाने के 2 दिन बाद ही पूरा शहर कूड़े में तब्दील हो गया था। सरकार को मांगों पर सहमति जतानी पड़ी। बावजूद इसके ज्यादातर मांगे अभी भी लंबित ही पड़ी है। जिसे देखते हुए कर्मचारी संघर्ष की योजना तैयार कर रहे हैं। इन मांगों के लिए साल भर लगते रहे नारे

  1. सभी विभागों में ठेका प्रथा बंद की जाए और तमाम किस्म के ठेका एवं कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए। 
  2. जब तक कर्मचारियों को पक्का नहीं किया जाता, तब तक न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए मासिक घोषित किया जाए। 
  3. सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी जाए व 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशें लागू हों।
  4. श्रम कानूनों में किए जा रहे बदलाव रद्द किए जाएं व श्रम कानून सख्ती से लागू किए जाएं
  5. न्यू पैंशन स्कीम रद्द करते हुए पुरानी पैंशन स्कीम लागू की जाए।
  6.  एक्सग्रेसिया पॉलिसी लागू की जाए। 
  7. पंजाब के समान वेतनमान व समान काम समान वेतन लागू किया जाए।
  8. ई.एस.आई. व पी.एफ. की सुविधा लागू की जाए। 

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