Edited By kamal, Updated: 15 Apr, 2019 10:42 AM
भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा में सभी 10 लोकसभा प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। इन 10 लोकसभा प्रत्याशियों में से 3 लोकसभा...
नई दिल्ली (महावीर): भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा में सभी 10 लोकसभा प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। इन 10 लोकसभा प्रत्याशियों में से 3 लोकसभा ऐसी हैं, जहां प्रत्याशियों को भीतरघात का डर बना हुआ है। रोहतक व हिसार में जहां नए चेहरों को उतारने पर लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए परेशाानी देखने को मिल सकती है .हालांकि भाजपा जींद उपचुनाव व 5 निगम चुनावों में परचम लहराने के बाद जोश व विश्वास से लबरेज है परंतु इसके बावजूद यदि पार्टी नेताओं और भाजपा काडर ने प्रत्याशियों से दूरी बना ली तो उक्त 3 सीटों पर भाजपा को काफी परेशानी हो सकती है।
शुक्रवार को जैसे ही भाजपा द्वारा हिसार से बृजेंद्र सिंह व रोहतक से अरविंद शर्मा को टिकट दिए जाने की बात सामने आई तो अरविंद शर्मा के विरोध में भाजपा के कई बड़े नेता एकजुट होकर अलग रणनीति तैयार करने में जुट गए। सूत्रों की मानें तो वे अरविंद शर्मा को टिकट दिए जाने के खिलाफ थे। उनका कहना था कि पार्टी अपने ही किसी नेता को चुनाव मैदान में उतारे फिर चाहे वह कोई कार्यकत्र्ता ही क्यों न हो। इस मामले में जब हाईकमान ने हस्तक्षेप किया तो तब जाकर कहीं मामला शांत हुआ।
सूत्रों की मानें तो कमोबेश यही स्थिति हिसार में है। भाजपा के कार्यकत्र्ता व नेता पैराशूट से आए इन उम्मीदवारों को पचा नहीं पा रहे हैं। हालांकि बृृजेंद्र सिंह जहां राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह के पुत्र हैं वहीं अरविंद शर्मा भी राजनीति के सारे गुर जानते हैं। इतना ही नहीं वे 3 बार सांसद भी रह चुके हैं। इसके बावजूद कार्यकत्र्ताओं व स्थानीय नेताओं के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उक्त दोनों ही नेताओं को भाजपा ने टिकट को दे दिया है लेकिन उन्हें भाजपा का कितना साथ मिल पाएगा, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
उधर, फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपने पुराने चेहरे कृष्णपाल गुर्जर को ही मैदान में उतारा है। कृष्णपाल गुर्जर पिछले लोकसभा चुनावों में न केवल हरियाणा में सर्वाधिक वोटों से जीते थे बल्कि देश में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले 10 सांसदों में से एक थे। उन्होंने लगभग 4 लाख 67 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। फरीदाबाद लोकसभा सीट से उनके अपने ही मंत्री विपुल गोयल के साथ 36 का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं है।
इसके अलावा और भी भाजपा के कई बड़े नेताओं के साथ उनकी पटरी नहीं बैठ रही है। हालांकि कृष्णपाल गुर्जर राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं लेकिन भीतरघात उनके लिए परेशानी बन सकता है। हालांकि चुनाव अभी शुरूआती दौर में है इसलिए संभव है कि भाजपा इन तीनों की लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों के लिए स्थानीय नेताओं को एकजुट कर प्रसार व प्रचार में शामिल करे लेकिन मन से इन तीनों प्रत्याशियों को भाजपा के स्थानीय नेताओं का कितना साथ मिलेगा, यह एक सोचने का विषय है।