बेटे को तो नया घर मिल गया...सोच रहा हूं कि मैं पुराने घर में कब जाऊंगा, बृजेंद्र के कांग्रेस में शामिल होने के बाद बोले बीरेंद्र सिंह

Edited By Manisha rana, Updated: 11 Mar, 2024 12:13 PM

birendra singh said after brijendra joined congress

दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र डूमरखां ने कहा कि वह अपने साथियों के साथ बैठक में इस पर निर्णय लेंगे। लेकिन अगर यह फैसला लिया तो पूरे लाव-लश्कर और ताकत के साथ कांग्रेस में शामिल होंगे।

चंडीगढ़ (धरणी) : दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र डूमरखां ने कहा कि वह अपने साथियों के साथ बैठक में इस पर निर्णय लेंगे। लेकिन अगर यह फैसला लिया तो पूरे लाव-लश्कर और ताकत के साथ कांग्रेस में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि उनके पढ़े-लिखे बेटे ने राजनीति को भी समझा है और नौकरशाही को भी। यह फैसला उसने बहुत सोच समझ और विवेक से लिया होगा। कांग्रेस को बेटे का नया घर बताते हुए उन्होंने कहा कि बेटे को तो नया घर मिल गया मैं सोच रहा हूं कि मैं पुराने घर में कब जाऊंगा।

मैंने अपनी ताकत अपने साथियों के दम पर बनाई है- बीरेंद्र सिंह

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि बहुत से लोग मुख्यमंत्री व अन्य बड़े पदों पर पहुंचने के बाद अपनी ताकत को बटोरते हैं, लेकिन मैंने अपनी ताकत अपने साथियों के दम पर बनाई है। कांग्रेस में जाने का फैसला भी उनके सलाह मशवरे के बाद ही लूंगा। भाजपा पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए बीरेंद्र सिंह ने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि आप राजनीति में किसान व कमेरे वर्ग के साथ कितना खड़े हैं। क्या राजनीति में रहकर सामाजिक दृष्टि से दबे हुए लोगों को आप ऊपर उठाने की सोच रखते हैं, क्योंकि अगर किसी भी वर्ग में गरीबी रहेगी तो प्रजातंत्र अर्थवहीन हो जाता है। 1991 से अब तक चल रहे आर्थिक सुधारों के युग में  किसान ने खून पसीना एक करके देश का पेट पाला, लेकिन आर्थिक दृष्टि से उसे कितना लाभ हुआ, इस पर सरकारों को फिर से अध्ययन करने की जरूरत है।


क्या उद्योगपति-व्यापारियों को ही आर्थिक सुधार का हक है, किसान को नहीं : बीरेंद्र

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि क्या हमारा सिस्टम केवल पूंजी पत्तियों के लिए बनाया गया है, क्या उद्योगपति-व्यापारियों को ही आर्थिक सुधार का हक है। क्या किसान को आर्थिक समृद्धि की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि आज तक के इतिहास में किसानों जैसा सफल आंदोलन कभी नहीं हुआ, क्योंकि देश का पेट भरने वाले को अपने पेट की पड़ी हुई है। दूसरों का पेट भरने वाला आज खुद कई बार भूखा सोता है। उसे आर्थिक भूख है। बड़े लोग ओर बड़े होते जा रहे हैं, लेकिन मेहनत करने वाले को कुछ हासिल नहीं हो रहा। बीरेंद्र डूमरखा ने कहा कि अगर कांग्रेस में गए तो फिर आप नजारा देखना कि कितनी बड़ी ताकत के साथ घर वापसी करेंगे।

बेटे बृजेंद्र सिंह पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की राजनीति में आकर पैसा कमाने की चाहत होती है, कुछ लोग राजनीतिक रूप से स्वार्थ सिद्धि चाहते हैं, लेकिन मेरा बेटा बृजेंद्र समझता है कि भाजपा में मैं अपने विचारों की सहमति मन में रखता हूं, क्योंकि वह सहमति मुझे यहां नहीं मिलती। शायद इसीलिए मेरे बेटे ने यह निर्णय लिया होगा। ठीक लोकसभा चुनाव से पहले लिए गए निर्णय का कारण बताते हुए उन्होंने उदाहरण दिया कि 100 मीटर की रेस लगाने की शुरुआत में इतनी स्पीड से नहीं भागते जितनी रेस खत्म होने के वक्त भागते हैं।


हरियाणा को लाल मुक्त बनाने के अभियान में हुड्डा के सारथी रह चुके हैं बीरेन्द्र डूमरखा

1998 में बनाए गए 'लाल हटाओ-हरियाणा बचाओ' मोर्चे की अगुवाई भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने की थी। उस वक्त का लाल मुक्त हरियाणा अभियान तीन लांलो बंसीलाल, देवीलाल और भजनलाल के खिलाफ था। उसी दौर में हुड्डा को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से सुशोभित किया गया। यह मोर्चा 2005 तक चलता रहा। फिर कांग्रेस की बनी सरकार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया गया जबकि चुनाव कांग्रेस ने भजनलाल के चेहरे पर लड़ा था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से जब तक चौधरी बीरेंद्र सिंह डूमरखां कांग्रेस में रहे उनके खुद के मुख्यमंत्री न बनने का दर्द सदा उनकी जुबान पर रहा। सार्वजनिक मंचों से भी वह कई बार  भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाते रहे। 'लाल हटाओ-हरियाणा बचाओ' मोर्चे को ताकत देने में राव इंद्रजीत सिंह, पंडित चिरंजी लाल शर्मा (पिता कुलदीप शर्मा), कर्नल राम सिंह (अहीरवाल बेल्ट के सुपर किंग), कुमारी शैलजा, करतारी देवी (कांग्रेस की बड़ी नेत्री एवं मंत्री) भी प्रमुख रूप से शामिल थे। 


संभावना है 25 मार्च को बीरेन्द्र के कार्यक्रम में ग़ांधी परिवार का कोई बड़ा चेहरा भी पहुंचे

राजनीतिक पंडित सदा इस बात पर चिंतन- मंथन करते रहे हैं कि बीरेन्द्र कांग्रेस की गुटबाजी व अपरिपक्व निर्णयों पर बेशक बेबाक टिप्पणियां करते रहे, लेकिन भाजपा में जाने के बाद भी कभी ग़ांधी परिवार के खिलाफ एक शब्द भी नही बोले। बीरेन्द्र आधिकारिक तौर पर फिलहाल भाजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल नही हुए हैं। उनकी राजनीतिक गतिविधियों से लगता है कि वह अपने जन्मदिन 25 मार्च को कोई बड़ा आयोजन करने के बाद ऐसा निर्णय ले सकते हैं। ऐसा भी संभव हो सकता है कि बीरेन्द्र के 25 मार्च के कार्यक्रम में ग़ांधी परिवार के किसी बड़े चेहरे को देखा जाए। 


चौ. बीरेंद्र डूमरखां (78) का व्यक्तिगत जीवन व लम्बा राजनीतिक चक्र 

  • 25 मार्च 1946 को रोहतक में जन्म हुआ।
  • उनके पिता चौ0 नेकी राम संयुक्त पंजाब के एक राजनीतिज्ञ थे।
  • वह दीनबंधु सर छोटू राम के नाती हैं।
  • वह कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रहे।
  • 43 साल कांग्रेस में रहे , 10 साल भाजपा में..
  • बिजली मंत्री (1991-96),
  • 2014 से 2016 तक ग्रामीण विकास, पंचायती राज, स्वच्छता और पेयजल मंत्री।
  • एनडीए सरकार में 2016 से 2019 तक केंद्रीय इस्पात मंत्री
  • बीरेंद्र सिंह ने 16 अगस्त 2014 को भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में हरियाणा के जींद में आयोजित एक बड़ी राजनीतिक रैली में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की घोषणा की ।
  • बीरेंद्र सिंह उचाना से पांच बार जीतकर हरियाणा विधानसभा में विधायक बने (1977-82, 1982-84, 1991-96, 1996-2000 और 2005-09) और तीन बार हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने तीन बार सांसद के रूप में भी देश की सेवा की है।
  • बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव 1972 में लड़ा और 1972 से 1977 तक वह ब्लॉक समिति उचाना के अध्यक्ष रहे ।
  • उन्होंने 1977 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर उचाना कलां निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और देश में मजबूत कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद, बड़े अंतर से सीट जीती। इसने उन्हें रातों-रात भारत में एक स्टार राजनीतिक शख्सियत बना दिया।
  • हरियाणा में विधायक के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान चौ0 बीरेंद्र सिंह ने 1982 से 1984 तक हरियाणा में सहकारिता और डेयरी विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
  • 1984 में चौ. ओम प्रकाश चौटाला को भारी अंतर से हराने के बाद बीरेंद्र सिंह हिसार निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य (लोकसभा) चुने गए।
  • विधायक के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल (1991-96) के दौरान, चौ. बीरेंद्र सिंह ने 1991 से 1992 तक हरियाणा में राजस्व और योजना मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
  • विधायक के रूप में अपने पांचवें कार्यकाल (2005-09) के दौरान, चौ. बीरेंद्र सिंह ने 2005 से 2009 तक हरियाणा में वित्त, श्रम और रोजगार मंत्रालय का कार्यभार संभाला, 2007 से 2009 तक उत्पाद शुल्क और कराधान मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
  • 2010 में, बीरेंद्र सिंह को 6 साल की अवधि (2010-16) के लिए हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया था, जहां से उन्होंने भाजपा में शामिल होने से पहले 2014 में इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, बीरेंद्र सिंह ने सितंबर 2013 से अप्रैल 2014 तक मानव संसाधन, महिला एवं बाल विकास, युवा और खेल मंत्रालय पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
  • 28 अगस्त 2014 को भारत की संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा देने के बाद, बीरेंद्र सिंह 29 अगस्त 2014 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
  • शेष दो साल के कार्यकाल (2014-2016) के लिए उन्हें फिर से भाजपा सांसद के रूप में राज्यसभा के लिए चुना गया। नवंबर 2014 में, चौ. बीरेंद्र सिंह ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। और उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय , पंचायती राज मंत्रालय और पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय का प्रभार दिया गया।
  • 2014 में इनकी धर्मपत्नी प्रेमलता उचाना से भाजपा की विधायक बनीं, उन्होंने दुष्यंत चौटाला को हराया।
  • उन्हें 11 जून 2016 को छह साल के कार्यकाल (2016-2022) के लिए तीसरी बार राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया ।
  • जुलाई 2016 में, नरेंद्र मोदी मंत्रालय के दूसरे कैबिनेट फेरबदल के दौरान , चौ0 बीरेंद्र सिंह ने इस्पात मंत्री के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर की जगह ली ।
  • 2019 के आम चुनावों में उनके बेटे बृजेंद्र सिंह के हिसार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीतने के बाद, उन्होंने अपने कार्यकाल की समाप्ति से दो साल पहले इस्तीफा दे दिया। कहीं ना कहीं बेटे को मंत्री बनवाने के लिए अपनी कुर्सी छोड़ दी।
  • 2019 में उचाना से प्रेमलता को दुष्यंत चौटाला ने हरा दिया।
  • इसके बाद जेजेपी और बीजेपी ने मिलकर सरकार बना ली और बीरेंद्र की नाराजगी सातवें आसमान पर पहुंच गई।
  • भाजपा में वह कोर कमेटी के सदस्य बनाए गए।
  • कार्यकारिणी में भी रहे।
  • 2 अक्तूबर 2023 में जींद में 'मेरी आवाज सुनो' कार्यक्रम कर जेजेपी से गठबंधन तोड़ने पर भाजपा छोड़ने की चेतावनी दी।
  • 10 मार्च 2024 को बृजेंद्र सिंह भाजपा में शामिल हो गए। 


राजनीतिक जीवन- संगठनात्मक भूमिकाएं 

  • 1977 से 1980 तक, उन्होंने कांग्रेस की जिला जींद इकाई के साथ-साथ युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
  • 1980 में, उन्हें हरियाणा युवा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, इस पद पर वे 2 वर्षों तक रहे।
  • 1985 में उन्हें हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • 1986 में उनकी जगह शमशेर सिंह सुरजेवाला को अध्यक्ष बनाया गया।
  • 1987 में उन्हें कांग्रेस कार्य समिति (CWC) में विशेष आमंत्रित सदस्य नियुक्त किया गया।
  • 1990 में, उन्हें राजीव गांधी द्वारा हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • 1991 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दिलाया। उसी वर्ष के दौरान, उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस के राज्य संगठन के चुनाव प्रभारी के रूप में कार्य किया।
  • 1998 से 2002 तक, उन्होंने कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति, इसके सर्वोच्च निर्णय लेने वाले कोर ग्रुप में कार्य किया।
  • 42 साल तक पार्टी की सेवा करने के बाद 2014 में बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।

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