AJL प्लॉट आवंटन मामला: भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वोरा का मिली अंतरिम जमानत

Edited By Isha, Updated: 30 Oct, 2019 04:06 PM

AJL प्लॉट आवंटन मामले में आज भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा मोती लाल वोरा विशेष अदालत में पेश हुए। पंचकूला स्थित विशेष अदालत ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र

डेस्कः एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में सीबीआई की विशेष अदालत पंचकूला में बुधवार को भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा मोती लाल वोरा पेश हुए। एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पंचकूला स्थित विशेष अदालत ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा मोती लाल वोरा व नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक को नोटिस जारी कर 30 अक्टूबर को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए थे।

पंचकूला में स्थित हरियाणा की विशेष ईडी कोर्ट में एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में आज की सुनवाई पूरी हुूई। मामले की अगली सुनवाई 6 नवम्बर को होगी। सुनवाई के दौरान मामले के दोनों मुख्य आरोपित पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व एजेएल हाउस के चेयरमैन मोतीलाल वोरा को कोर्ट द्वारा पांच-पांच लाख के बेल बांड पर अंतरिम जमानत दी गई। बचाव पक्ष द्वारा लगाई गई रेगुलर बेल एप्लीकेशन पर 6 नवम्बर को सुनवाई होगी। 6 नवम्बर को सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बचाव पक्ष की इस याचिका पर अपना जवाब दायर किया जाएगा।
26 अगस्त को इस मामले में ईडी ने हुड्डा एवं वोरा के खिलाफ अभियोजन की शिकायत दाखिल की दी थी। हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने 64.93 करोड़ रुपये का प्लॉट एजेएल को 69 लाख 39 हजार रुपये में दिया था।

कुछ दिन पूर्व ईडी ने पंचकूला में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को एक भूखंड आवंटन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से पूछताछ की थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज किए गए थे। पंचकूला स्थित यह भूखंड सेक्टर 6 में सी-17 नंबर एजेएल को आवंटित किया गया था। इसे पिछले साल ईडी ने कुर्क कर लिया था। एजेएल को कथित तौर पर नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा संचालित किया जाता था। यह ग्रुप नेशनल हेराल्ड अखबार निकालता था। ईडी की जांच में पाया गया है कि हुड्डा ने हरियाणा का मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए यह भूखंड पुन: आवंटन की आड़ में नए सिरे से एजेएल को 1982 की दर (91 रुपये प्रति वर्ग मीटर) और ब्याज के साथ फर्जी तरीके से आवंटित कर दिया। एजेंसी ने कहा था कि 2005 में इस पुन: आवंटन से एजेएल को अनुचित फायदा हुआ।

ईडी के मुताबिक इस भूखंड का बाजार मूल्य 64.93 करोड़ रुपये था जबकि इसे हुड्डा ने 69.39 लाख रुपये में आवंटित कर दिया था। हुड्डा के खिलाफ विशेष सीबीआई अदालत में पहले ही मानेसर जमीन घोटाले, एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में आरोप तय करने के लिए बहस चल रही है। सीबीआई के विशेष जज जगदीप सिंह इन मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। एजेएल केस में ईडी द्वारा दाखिल अभियोजन की शिकायत की सुनवाई भी वही करेंगे

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