बरोदा उपचुनाव: रैलियों की बजाए इस बार घर-द्वार पर 'दस्तक' का सियासी 'फार्मूला'

Edited By Shivam, Updated: 31 Oct, 2020 12:06 AM

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बरोदा विधानसभा उपचुनाव को लेकर पिछले एक पखवाड़े से सियासी शह-मात का खेल जोरों पर हैं और अब प्रचार समाप्त होने में दो दिन और मतदान में तीन दिन का समय शेष रहने पर यह खेल चरम पर पहुंच गया है। सभी राजनीतिक दलों के बड़े चेहरों से लेकर उम्मीदवार एवं स्टार...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): बरोदा विधानसभा उपचुनाव को लेकर पिछले एक पखवाड़े से सियासी शह-मात का खेल जोरों पर हैं और अब प्रचार समाप्त होने में दो दिन और मतदान में तीन दिन का समय शेष रहने पर यह खेल चरम पर पहुंच गया है। सभी राजनीतिक दलों के बड़े चेहरों से लेकर उम्मीदवार एवं स्टार प्रचारकों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। 

खास बात यह है कि इस बार प्रचार के अंतिम दिन तमाम राजनीतिक दलों ने कोई बड़ी रैली या जलसा करने की बजाय मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क साधने की रणनीति बनाई है। हालांकि इनैलो मतदान से 2 दिन पहले 31 अक्तूबर को बरोदा गांव में एक रैली करने जा रही है। इस रैली में इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला, अभय सिंह चौटाला, पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी व भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर शिरकत करेंगे। 

गौरतलब है कि बरोदा की सीट इसी साल 12 अप्रैल को कांग्रेस के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन के बाद खाली हुई थी। बरोदा में 3 नवम्बर को उपचुनाव होना है और उसके करीब एक सप्ताह के बाद 10 नवम्बर को परिणाम आएंगे। इस उपचुनाव को लेकर सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन के अलावा कांग्रेस व इनैलो के दिग्गजों ने पूरा जोर लगाया हुआ है। स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बरोदा में हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा सहित पार्टी के बड़े चेहरे बरोदा में डेरा डाले हुए हैं। 

इनेलो की ओर से इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला भी जोर लगाए हुए हैं। अब प्रचार में महज दो दिन का समय रहा है। आमतौर पर किसी भी बड़े चुनाव में सियासी दलों की ओर से प्रचार के अंतिम दिन बड़ी रैली व जलसा रखा जाता है। हरियाणा में अतीत में हुए चुनावों में ऐसा ही होता रहा है और जनवरी 2019 में हुए जींद उपचुनाव में भी प्रचार समाप्त होने से पहले भाजपा, कांग्रेस, जजपा, लोसुपा व इनैलो आदि दलों ने रैलियों के जरिए अपनी सियासी ताकत दिखाई थी, मगर इस बार बरोदा उपचुनाव में सियासी दलों ने अपनी रणनीति में कुछ बदलाव किया है और इसके तहत रैली या जलसा करने की बजाय व्यक्तिगत तौर पर मतदाताओं से संपर्क साधने की कार्ययोजना है। 

ये रहेगी भाजपा, कांग्रेस व इनैलो की रणनीति
इस कड़ी में भाजपा की ओर से रोड शो की रणनीति तैयार की गई है। संबंधित इलाके एवं गांवों में अलग-अलग जत्थों में नेताओं की ओर से रोड शो चलाया जाएगा। इस दौरान तमाम 54 गांवों में भाजपा-जजपा के नेता और कार्यकत्र्ता घर द्वार पर जाकर मतदाताओं से समन्वय स्थापित कर वोट की अपील करेंगे। वहीं कांग्रेस की ओर से 31 अक्तूबर को गोहाना में वर्कर्स मीटिंग कर कार्यकत्र्ताओं की ड्यूटियां लगाई जाएंगी। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा, राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा सहित बड़े नेता व्यक्तिगत रूप से गांवों में दस्तक देते हुए वोटों की अपील करेंगे। इनैलो की ओर से भी 31 अक्तूबर को बरोदा में रैली करने के बाद चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी गांवों में जनसम्पर्क अभियान चलाया जाएगा। इस तरह से इस बार चुनाव प्रचार के अंतिम दिन रैलियों की रेलमपेल की बजाय डोर-टू-डोर वोट मांगने का सिलसिला चलेगा।

बम्पर वोटिंग के आसार
बरोदा विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,78,250 वोटर्स हैं। इनमें 97,819 पुरुष एवं 80,431 महिला मतदाता हैं। कुल 223 मतदान केंद्र हैं और सभी मतदान केंद्र ग्रामीण क्षेत्र में हैं। बरोदा विधानसभा क्षेत्र में करीब 54 गांव हैं। शहरी क्षेत्र न होने और गांव की संख्या सीमित होने के कारण सभी सियासी दलों के बड़े चेहरों सहित उम्मीदवार एवं अन्य स्टार प्रचारक कई-कई बार बरोदा के गांवों में दस्तक दे चुके हैं। चूंकि इस उपचुनाव में सभी दलों व दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है और सभी ने अपनी इस प्रतिष्ठा को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है, ऐसे में इस उपचुनाव में 3 नवम्बर को बम्पर वोटिंग के आसार माने जा रहे हैं। 

बरोदा विधानसभा के अक्तूबर 2019 में हुए चुनाव में 68.99 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 2014 के आम विधानसभा चुनाव में 73.92 प्रतिशत मतदान हुआ था और 2005 व 2009 के विधानसभा चुनावों में करीब 72 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार पिछले चुनावों की तुलना में इस उपचुनाव में बम्पर वोटिंग होने का अनुमान है और सियासी पर्यवेक्षकों के अनुसार पिछले आम चुनाव की तुलना में इस उपचुनाव में मतदान 10 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।

गोहाना बना चुनावी राजधानी
बरोदा प्रदेश का ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में 54 गांव हैं और कोई भी शहर या कस्बा नहीं है। ऐसे में सभी प्रमुख दलों के कार्यालय साथ लगते उपमंडल गोहाना में हैं और सभी दलों की चुनावी गतिविधियां भी गोहाना से ही संचालित हो रही हैं। यहां तक कि सभी दलों के बड़े नेताओं द्वारा की जाने वाली पत्रकार वार्ताएं भी गोहाना स्थित कार्यालयों में ही की जा रही हैं और बाहर से आने वाले तमाम बड़े व छोटे नेता गोहाना व आसपास के शहरी क्षेत्रों में ही डेरा डाले हुए हैं। इस उपचुनाव के चलते गोहाना में इन दिनों इस कदर रौनक है कि बड़ी-बड़ी लग्जरी गाडिय़ां गोहाना में नजर आ रही हैं और यहां के तमाम होटलों से लेकर रिजोर्ट, पैलेस व गैस्ट हाऊस तक विभिन्न पाॢटयों द्वारा अपने नेताओं व कार्यकत्र्ताओं के ठहरने के लिए पिछले काफी दिनों से बुक हैं। इस प्रकार प्रदेश का यह उपमंडल उपचुनाव के चलते एक तरह से चुनावी राजधानी सा बन गया है।

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