बैंक बंद कर हड़ताल पर गए कर्मचारी, सरकार को दी चेतावनी

Edited By Deepak Paul, Updated: 26 Dec, 2018 02:43 PM

bank employees on strike

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर आज देशभर के साथ रेवाड़ी में भी बैंक कर्मी हड़ताल पर हैं, जो बैंक की नीतियों के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा क्रमियों ने  शहर में जलूस निकालकर रोष जताया। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि...

रेवाड़ी(मोहिंद्र भारती): यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर आज देशभर के साथ रेवाड़ी में भी बैंक कर्मी हड़ताल पर हैं, जो बैंक की नीतियों के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा क्रमियों ने  शहर में जलूस निकालकर रोष जताया। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर समय रहते बैंकों ने अपनी नीतियों को नहीं बदला तो आने वाले दिनों में एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा। 
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प्रदर्शनकारी बैंक कर्मचारियों का कहना है कि सरकार एक-एक करके सभी बैंकों का निजीकरण करने पर उतारू हुई है और वित्तीय घाटे की बात कहकर बैंकों का विलय किया जा रहा है। तीन बड़े बैंक विजया बैंक, देना बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत सरकार बैंकों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपना चाहती है, जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगली बार बड़े सत्र पर आंदोलन किया जाएगा। 
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बैंक कर्मियों ने कहा कि वे हड़ताल करके ग्राहकों को परेशान करना नहीं चाहते। यह तो सिर्फ उनकी मजबूरी है। जहां तक एनपीए का सवाल है तो एनपीए सरकार ने बढ़ा रखा है। इसमें बैंकों का कोई कसूर नहीं है, क्योंकि सरकारी योजनाओं पर ध्यान देने से बैंकों का लाभ नहीं बढ़ सकता। वहीं उन्होंने कहा कि वित्तीय घाटा बैंकों की वजह से नहीं, बल्कि कॉरपोरेट सेक्टर की वजह से बढ़ रहा है। 

इसके अलावा वेतनवृद्धि को लेकर उन्होंने कहा कि वे काफी लंबे समय से रूकी हुई है। जो एक बड़ी समस्या है। वहीं पेंशन भी केवल नाममात्र दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया और अपनी नीति में बदलाव नहीं किया गया तो बैंक कर्मचारी चुप नहीं बैठेंगे।

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यमुनानगर(सुमित ओबरॉय): यमुनानगर में भी सरकारी बैंक कर्मी बैंक को बाहर से ताला लगाकर हड़ताल पर गए हैं। जो सरकार की मर्ज पॉलिसी के विरोध में सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। बात दें एक सप्ताह से भी कम समय में बैंक कर्मचारियों की दूसरी हड़ताल है। बैंक कर्मचारियों का कहना है कि यदि विलय कर दिया गया तो जो इन बैंको के कर्मचारी है वो बेरोजगार हो जाएंगे। 
 

यूनियनों ने दावा किया कि सरकार विलय के जरिए बैंकों का आकार बढ़ाना चाहती है, लेकिन यदि देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भी मिलाकर एक कर दिया जाए तो भी विलय के बाद अस्तित्व में आई इकाई को दुनिया के शीर्ष दस बैंकों में स्थान नहीं मिलेगा। उनका कहना है कि देश पहले ही बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा है। नई बच्चों को बैंक में लगने का अवसर नहीं मिलेगा और जो नए लगे है उन्हें जल्द बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। जिसके चलते सभी बैंक कर्मी इस नीति के विरोध में हैं।
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सिरसा(सतनीम सिंह): देना बैंक और विजया बैंक को बैंक ऑफ़ बरोदा में मर्ज करने के विरोध में देश भर की तरह सिरसा में भी आज बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं। हड़ताली कर्मियों ने विजय बैंक और देना बैंक के बैंक ऑफ़ बरोदा में विलय का विरोध जताया है। वहीं कर्मचारी नरेश छाबरा ने सरकार पर इस विलय की आड़ में बैंको का निजीकरण करने का आरोप भी लगाया है। 
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रोहतक(दीपक भारद्वाज): तीन बैंको को समायोजित करने और वेतन वृद्धि को लेकर बैंको के कर्मचारी आज सड़को पर उतर आए। रोहतक में भी आज कर्मचारी बैंकों को ताला लगातक हड़ताल पर हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से बैंक घाटे में गए हैं, इसमें कर्मचारियों का कोई कसूर नहीं है। यही नही उनकी वेतन वृद्धि की मांग पर भी कोई निर्णय नही लिया जा रहा है। जिसकी वजह से उन्हें हड़ताल करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। अगर अब भी सरकार नही मानी तो वे अनिश्चितकाल की हड़ताल पर जा सकते हैं। 

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