Edited By Deepak Paul, Updated: 20 Mar, 2019 04:39 PM
गरीबों को इलाज के लिए अस्पतालों में धक्के न खाने पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने आयुष्मान...
रेवाड़ी (महेंद्र भारती): गरीबों को इलाज के लिए अस्पतालों में धक्के न खाने पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत के नाम से एक योजना लागू की। इस योजना के तहत देश के करोड़ों गरीबों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए, लेकिन जब इलाज की बारी आई तो मरीजों को अस्पताल में चक्कर काट रहे हैं। साथ ही मरीजों इलाज के लिए अपनी जेबें डीली करना पड़ रही है। दरअसल मामला रेवाड़ी का है जहां आयुष्मान योजना के पैनल होने के चलते एक महिला को इलाज के लिए भर्ती करवाया गया। लेकिन बावजबद इसके अस्पताल प्रशासन ने मरीज की जांच व इलाज के नाम पर उनसे 15 हजार रुपये वसूल किए और बाद में यह कहकर रेफर कर दिया गया कि सरकार ने आयुष्मान कार्ड के नाम पर यह झुनझुना तुम्हें दिया है।
वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज जब इलाज के लिए भर्ती करवाया गया तब उसे मामूली सरदर्द व उल्टी की शिकायत थी। लेकिन जांच के बाद पता चला कि मरीज को दिमागी रोग है जिसके के लिए उसे सरकारी अस्पताल से सीटी स्कैन करवाने के लिए रेफर किया गया। लेकिन पड़ित के परिजन उसे निजी अस्पताल में ले गए। साथ ही कहना है कि पड़िता के बीमारी उनके पैनल के अतर्गत नहीं आता है। इसलिए पड़ित परजिनों से इलाज के लिए पैसे ले हैं। साथ ही बताया कि आयुष्मान के तहत उन्हें इलाज के पैसे मिलते हैं। जबकि टेस्ट का कोई पैसा नहीं मिलता।
मगर कुछ भी हो, अब इसे जागरूकता की कमी कहें या फिर सरकार के प्रचार की कमी। आयुष्मान कार्ड बनवाने के बावजूद मरीज अस्पतालों के धक्के खाने को विवश हैं। हालांकि यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जब इलाज के लिए मरीजों को अस्पताल के धक्के खाने पड़े। अब देखना होगा सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।