17 साल की उम्र में समाज सेवा करने का उठाया बीड़ा, कहा- पैसा नहीं पुण्य कमाना लक्ष्य

Edited By Manisha rana, Updated: 01 Apr, 2025 12:38 PM

at the age of 17 he took the initiative to do social service

आज के बदलते दौर में समाज सेवा की बातें सिर्फ किताबें और भाषणों में ही अच्छी लगती है लेकिन धरातल पर कितने लोग उसे करते हैं उसे आप भी भली भांति जानते हैं।

यमुनानगर (परवेज खान) : आज के बदलते दौर में समाज सेवा की बातें सिर्फ किताबें और भाषणों में ही अच्छी लगती है लेकिन धरातल पर कितने लोग उसे करते हैं उसे आप भी भली भांति जानते हैं। लेकिन एक 17 साल की लड़की जिसका नाम नाज पटेल है उसने महाराष्ट्र से 1400 किलोमीटर दूर ताजेवाला में एक आश्रम खोला और उसका उद्देश्य बेघर, बेसहारा, लाचार और दिव्यांग लोगों की दिल से सेवा करना था। वह अब तक 300 से ज्यादा लोगों का ट्रीटमेंट करा कर उनके घर पहुंचा चुकी है। अब उनकी पहचान नाज़ पटेल से नहीं बल्कि गुरु मां के नाम से है क्योंकि उनकी गुरु मां का साल 2022 में 102 साल की उम्र में इसी आश्रम में देहांत हो गया था। 

पुण्य कमाने के लिए उठाया समाज सेवा करने का बीड़ा

महाराष्ट्र से 1400 किलोमीटर दूर जाकर नाज़ पटेल ने यमुनानगर जिले के ताजेवाला गांव में यमुना नहर के किनारे अवेस्ता फाउंडेशन जिसे आश्रम कहा जाता है वह खोला। आश्रम खोलने का मतलब बेसहारा, बेघर, बीमार, लाचार और दिव्यांग लोगों की मदद करना है। नाज पटेल जिन्हें अब गुरु मां की उपाधि मिल चुकी है।अब उनकी उम्र 36 साल है लेकिन 17 साल की उम्र से ही उनमें समाज सेवा का ऐसा जज्बा जागा की उन्होंने अपने भविष्य की परवाह न करते समाज सेवा का रास्ता चुना। गुरु मां बताती हैं कि लोग पैसा कमाना चाहते हैं लेकिन मैं पुण्य कमाना चाहती थी, इसलिए मैंने 17 साल की उम्र में समाज सेवा करने का बीड़ा उठाया। 

माता-पिता की हो चुकी मौत 

उन्होंने बताया कि जिस तरह रतन टाटा लोगों की मदद करते थे, वही मेरे प्रेरणा स्रोत है। गुरु मां महाराष्ट्र की रहने वाली है। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है लेकिन उसके मां-बाप अब इस दुनिया में नहीं रहे। जब हमने उनसे पूछा कि किस तरह आपने समाज सेवा शुरू की तो वह बताती है कि मेरे पड़ोस में मेरे अंकल की तबीयत खराब हो गई। उसको खाना देने की जिम्मेदारी मेरी थी, लेकिन कुछ दिन बाद में अपने नानी के घर पानीपत आ गई लेकिन 4 दिन बाद मुझे पता लगा कि उनकी खाना न देने की वजह से मौत हो गई जिससे मुझे काफी गिल्टी महसूस हुआ। उन्होंने बताया कि फिर मैंने अपने घर में जरूरतमंद लोगों को आसरा दिया और धीरे-धीरे मेरे घर में काफी लोग इकट्ठा हो गए। 

300 से ज्यादा बेघर लोगों का ट्रीटमेंट कर पहुंचा घर 

कुछ दिन बाद मैं अवेस्ता फाउंडेशन नाम से दिल्ली में अपना संगठन को रजिस्टर कराया और अब ताजेवाला में मेरा यह दूसरा सेंटर है। गुरु मां बताती है कि ताजेवाला में मैं अभी तक 300 से ज्यादा बेघर लोगों को ट्रीटमेंट कराने के बाद उनको उनके घर सुरक्षित पहुंचा चुकी हूं। वह बताती है कि हमारा संगठन आर्थिक तौर से इतना मजबूत नहीं है लेकिन ऊपर वाले की कृपया और लोगों के सहयोग से आश्रम चल रहा है।


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