राजनीति में कभी भी- कुछ भी संभव, हर किसी को इसके लिए रहना चाहिए तैयार : विज

Edited By Isha, Updated: 10 Apr, 2024 06:23 PM

anything is possible anytime in politics everyone should be ready for it

हरियाणा की मौजूदा राजनीति में बेबाकी- खुद्दारी और सदा त्याग की भावना के प्रतीक रहने वाले शख्स का नाम लें तो वह हैं अनिल विज। समय के अनुसार अनिल विज हमेशा सटीक निर्णय लेने और गलत के साथ टकराने

चंडीगढ़  (चन्द्र शेखर धरणी):  हरियाणा की मौजूदा राजनीति में बेबाकी- खुद्दारी और सदा त्याग की भावना के प्रतीक रहने वाले शख्स का नाम लें तो वह हैं अनिल विज। समय के अनुसार अनिल विज हमेशा सटीक निर्णय लेने और गलत के साथ टकराने की क्षमता के साथ आगे बढ़े हैं। एक तरफ जहां देश की राजनीति में चापलूस और मौकापरस्त नेताओं की बड़ी फौज खड़ी नजर आती है, वहीं ईमानदारी और आत्म सम्मान के साथ राजनीति करने वाले लोग इक्का दुक्का का ही ढूंढने पर मिलते हैं। अतीत के उस दौर में जब भारतीय जनता पार्टी के झंडा उठाए लोग जगह-जगह हंसी के पात्र बनते थे, उस समय में अनिल विज सरीखे नेताओं ने पार्टी के लिए खूब संघर्ष किया। पार्टी की देश समर्पित भावना से प्रभावित विपक्ष में रहने के दौरान विज तत्कालीन सरकारों के खिलाफ हर लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आए। वरिष्ठ नेताओं की नजर में अनिल विज बेहद ऊर्जावान और संगठन समर्पित नौजवान थे। निजी लालचों से सदा दूर रहे अनिल विज का मिजाज सदा सख्त आज भी पहले जैसा ही है। 

अगर गहनता से नजर डालें तो आमतौर पर चुनावों में बड़ी भारी भरकम रकम चुनाव लड़ने के लिए सभी राजनीतिक दलों के अधिकतर नेताओं द्वारा खर्च की जाती है। क्या नेता अपनी जेब से यह बड़ा खर्च समाजसेवा के उद्देश्य के लिए करते हैं, ऐसा संभव नहीं लगता। देश के अधिकतम नेताओं की चल अचल संपत्ति पर अगर विश्लेषण करें तो ताकत में रहने से पहले और बाद की संपत्ति में एक जमीन-आसमान का अंतर साफ नजर आ जाएगा। क्योंकि पदासीन होने के बाद अधिकतर नेताओं की मानसिकता दोनों हाथों से वैध अवैध धन कमाने की रहती है। वहीं प्रदेश में अनिल विज एक ऐसे नेता हैं जो बिना खर्च या यूं कहें कि बहुत कम चुनावी खर्च कर बड़े अंतर से विरोधी को परास्त करते हैं। अनिल विज मनोहर सरकार में एक ताकतवर मंत्री के रूप में जनता के बीच रहे और उनका रिकॉर्ड रहा कि उन्होंने प्रदेश भर के कोने-कोने से आए लोगों की बड़ी समस्याएं चुटकी में हल की। हर दर से मायूस पीड़ित को इनसे इंसाफ मिलता रहा है। इनके विभाग में दशकों से रही कर्मचारियों की समस्याओं का जड़ से इलाज करने का काम अनिल विज ने किया।


थैंक यू - धन्यवाद कहलवाना भी उचित नहीं समझते हैं विज

 मंत्री रहने के दौरान अनिल विज का जनता दरबार जग जाहिर था। प्रदेश भर से पीड़ित उम्मीद लेकर अनिल विज के निवास अंबाला पहुंचते थे, जहां उनकी सुनवाई भी होती थी और कार्रवाई भी। जो विज के दरबार पहुंचा ऐसा कभी नहीं हुआ कि विज ने उनकी बात ना सुनी हो। फिर चाहे जनता दरबार पूरी रात ही क्यों न चलाना पड़ा हो। ऐसे में यह भी साफ है कि जनता उनकी कार्यशैली से काफी खुश थी। कार्य होने के बाद बहुत से लोग मिठाई लेकर विज के पास पहुंचते थे और ऐसा भी बहुत बार हुआ जब अपने विभाग में कर्मचारियों के हितों के लिए गए उनके फैसले से खुश होकर कर्मचारी संगठन मिठाई लेकर विज से मिलने पहुंचे हो। लेकिन विज ने अपनी सिक्योरिटी को साफ आदेश जारी किए हुए थे कि उनके पास कोई भी मिठाई लेकर ना आए यानि मिठाई बाहर ही रखकर ही जाना अनिवार्य था। क्योंकि अनिल विज का साफ कहना था कि उन्होंने किसी पर कोई एहसान नहीं किया वह केवल और केवल अपना काम करते हैं। अनिल विज किसी से थैंक यू या धन्यवाद भी कलवाना उचित नहीं समझते थे। आज अनिल विज मंत्री नहीं है लेकिन अंबाला कैंट के विधायक आवश्यक हैं। आज भी उनका जनता दरबार कैंट की जनता के लिए रोजाना लगता है। 


मनोहर लाल के इस्तीफा देने के दौरान मै भी कार में उनके साथ राजभवन साथ गया था : विज

अनिल विज का एक डायलॉग कि पार्टी जहां भी खडा करेगी वहीं से छक्के लगाऊंगा यानि सदा पार्टी के आदेशों की पालना करने वाले अनिल विज एक ऐसे शख्स रहे हैं। जिन्होंने कभी किसी पद के लिए पार्टी से कोई मांग नहीं की। मंत्री पद और विभाग के लिए कभी पार्टी कार्यालय या बड़े नेताओं के पास चक्कर नहीं लगाए। एक तरफ जहां लालची- तिगड़मबाज और चापलूस नेता समय-समय पर संगठन में वरिष्ठ पद पाने - मंत्रिमंडल में नाम लिखवाने या मंत्री बनने के बाद मलाईदार विभाग लेने के लिए भागदौड़ और जुगाड़ में लगे नजर आते हैं, वहीं अनिल विज का मिजाज बेहद स्वाभिमानी है, उनके लिए आत्म सम्मान सर्वोपरि है और अपनी क्षमता- काबिलियत और वरिष्ठता पर उन्हें बेहद विश्वास है। क्षेत्र की जनता के प्यार और आशीर्वाद ने उन्हें सबसे वरिष्ठ विधायक का खिताब दिया है और अपने क्षेत्र में वह एक अजय योद्धा है। प्रदेश की 15 से 18 सीटों पर एक बड़ी संख्या उनकी मुरीद है। प्रदेश भर के कोने-कोने से जनता उनसे इंसाफ पा चुकी है। बता दें कि उन्होंने हाल ही में बनी नायाब सरकार में मंत्री पद लेने से साफ इनकार कर दिया था। अनिल विज ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस्तीफा देने के दौरान वह भी कार में बैठकर राजभवन उनके साथ गए थे, तब भी उन्हें इतने बड़े बदलाव की सूचना नहीं दी गई यानि उन पर विश्वास नहीं किया गया। इसी कारण उन्होंने कैबिनेट में शामिल होना ठीक नहीं समझा। हालांकि मीडिया में यह खूब प्रकाशित और प्रसारित हुआ कि विज को उपमुख्यमंत्री बनाने की भी पेशकश पार्टी ने की थी, वहीं विज ने बदलाव की कोई जानकारी होने से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि मैंने कहा था कि जब मुझे बदलाव की जानकारी नहीं दी गई, जब आप मुझ पर भरोसा नहीं करते तो आपके साथ काम करना आसान नहीं होगा। तब मैं यह कह कर बाहर आ गया था। मीडिया को कोई जानकारी नहीं देनी थी, पार्टी की बात थी, मैंने खुद मंत्री बनने से इनकार किया था।


मंत्री रहने के दौरान एकमात्र विज ही रोजाना जाया करते थे चंडीगढ़ 
 

मनोहर सरकार के दौरान अनिल विज ही एकमात्र ऐसे मंत्री रहे हैं जो रोजाना हरियाणा सचिवालय में पहुंचते थे और अपने संबंधित विभागों की रोजमर्रा की फाइलें निकालते थे। रोजाना अधिकारियों से विभिन्न कार्यों की अपडेट लेते थे और उनसे बैठकें करते थे। अगर कहें कि सचिवालय में अनिल विज की मौजूदगी के कारण रौनक रहती थी तो गलत नहीं होगा। बता दें कि विज को शक्ति प्रदर्शन का कभी कोई शौक नहीं रहा। साधारण जनजीवन जीने वाले विज ने चंडीगढ़ में सरकारी आवास भी नहीं लिया था। वह रोजाना अंबाला अपने निवास से चंडीगढ़ सचिवालय में आया जाया करते थे। अब अनिल विज केवल विधायक है। हालांकि उनके मिजाज और और रोजमर्रा में इससे कोई फर्क नजर नहीं पड़ा। वह आज भी अपने क्षेत्र की समस्याएं रोजाना लोगों से सुनते हैं। इस बारे अनिल विज ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने मुझे दो कमेटियों का अध्यक्ष बनाया है। सोमवार और बुधवार को चंडीगढ़ में बैठके किया करूंगा। 


ग्रीन ब्रिगेड के दौर में उपचुनाव जीता था विज ने 

विज ने अतीत की यादें ताजा करते हुए बताया कि 1990 में जब ग्रीन ब्रिगेड सक्रिय थी तब बहुत जबरदस्त चुनाव था, कुछ दिन पहले ही महम काड भी हुआ था। बीजेपी के सामने बड़ी चुनौतियां थी। 
सुषमा स्वराज राज्यसभा चली गई थी, जिसके चलते उपचुनाव हुआ था। मैं तब बैंक में काम करता था और बाकि समय पार्टी का भी काम करता था। 1987 में अंबाला छावनी से सुषमा स्वराज के चुनाव में मै प्रभारी भी था। मैंने कभी भी चुनाव लड़ने की बात नहीं सोची थी। हाईकमान ने कई बार मुझे चुनाव लड़ने को कहा मैंने हमेशा इंकार कर दिया। मुझे जब चुनाव लड़ने के लिए कहते तो मैं दूसरों के नाम बता देता था। मुझे 1990 में संघ के प्रांत चालक प्रेम कुमार जैन ने चुनाव लड़ने के लिए कहा था। मैं संघ के आदेशों को ठुकरा नहीं पाया और अगले दिन ही इस्तीफा देकर नामांकन किया चुनाव लड़ा। तब चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और भजनलाल ने भी बूथ स्तर पर प्रचार किया था।

मनोहर लाल के साथ अच्छे संबंध है, थे और आगे भी रहेंगे : विज

मनोहर लाल के साथ संबंधों पर बोलते हुए विज ने कहा कि मैं अपना काम ईमानदारी से करता हूं। युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष भी रहा हूं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की कश्मीर केसरी यात्रा में हरियाणा प्रभारी था। सभी इंतजाम मैंने किए थे। मुझे जो काम दिया जाता है मैं उसे 100 फीसदी क्षमता के साथ करता हूं। मेरे काम में मुझे कोई सुझाव दे तो मैं उनके आधार पर बदलाव कर सकता हूं। लेकिन हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होता। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ अच्छे संबंध है, थे और आगे भी रहेंगे।
लेकिन कुछ मुद्दों पर बात करना मेरे स्वभाव में है। मैं वह बात कह देता हूं जो मेरे स्वभाव में है और मुझे जो ठीक लगता है।

400 से अधिक सीटें मोदी की झोली में डालने के लिए दिन-रात एक करूंगा : विज

 अनिल विज ने कहा कि वह पार्टी का पहले से कहीं अधिक काम करेंगे। पार्टी का प्रचार करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झोली में 400 से अधिक सीटें डालने के लिए दिन-रात एक करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले भी परिस्थितियां कैसी भी रही मैं लगातार पार्टी के लिए काम करता रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में कभी भी- कुछ भी संभव है, इसके लिए हर किसी को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने अपने को पार्टी का समर्पित वर्कर बताते हुए कहा कि मुझे पार्टी जो भी भूमिका देगी उस पर दिलो जान से काम करूंगा। मैंने कभी भी मन में कोई इच्छा नहीं पाली। अगर ऐसा होता तो हरियाणा विधानसभा का सबसे वरिष्ठ विधायक होने के नाते पहली बार हमारी सरकार बनने पर ही दावा कर सकता था, लेकिन मैंने कभी किसी नेता के सामने जाकर कोई इच्छा जाहिर नहीं की। क्योंकि मेरा मानना है डिजर्व डोंट डिजायर। इसलिए मैंने कभी किसी मंच पर- मीटिंग में या किसी नेता के सामने मुझे कुछ बनाने की इच्छा नहीं की। उन्होंने कहा कि हाईकमान का हर फैसला मेरे लिए मान्य है।

मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री ने जो सोचा होगा वही हुआ होगा : विज

  मंत्रिमंडल में अनिल विज को शामिल न करने के क्या कारण रहे के सवाल पर विज ने कहा कि कोई कारण तो होगा। वही लोग जानते होंगे कि क्या कारण है। इस पर कोई एतराज नहीं है। मंत्रिमंडल में शामिल करवाना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है। लेकिन मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री ने जो सोचा होगा वही हुआ होगा। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे तौर पर देश की सभी 543 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। कार्यकर्ता भी यही मानकर काम कर रहे हैं। यही मानकर जनता भी वोट देगी और पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी को फतेह हासिल होगी।हमें किसी की भी नकारात्मक बातें बताने की जरूरत नहीं है। हमारे पास बीजेपी की सकारात्मक बातें बताने के लिए है। मोदी सरकार ने अपने दो कार्यकाल में गरीबों के लिए स्वास्थ्य योजना, फ्री गैस सिलेंडर, हर घर जल से नल, आयुष्मान कार्ड, धारा 370 का खात्मा, राम मंदिर का निर्माण, ट्रिपल तलाक का खात्मा, पाकिस्तान में घुसकर जवाब देना, महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण देना, चंद्रयान जैसी अनेक बातें जनता को बतानी है ।आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण दुनिया में भारत का सम्मान बड़ा है। 


 

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