Edited By Deepak Paul, Updated: 04 Jan, 2019 07:09 PM
अंबाला के एक छोटे से गांव अधोई से न्यूयॉर्क गए गुरिंदर सिंह खालसा एक काम से विश्व में सिख समाज का सर गर्व से ऊंचा हो गया। उन्हें अमेरिका के बफेलो एयरपोर्ट पर पगड़ी पहन कर जहाज पर चढ़ने से रोका गया था...
अंबाला (अमन कपूर): अंबाला के एक छोटे से गांव अधोई से न्यूयॉर्क गए गुरिंदर सिंह खालसा एक काम से विश्व में सिख समाज का सर गर्व से ऊंचा हो गया। उन्हें अमेरिका के बफेलो एयरपोर्ट पर पगड़ी पहन कर जहाज पर चढ़ने से रोका गया था और उन्होंने सिख समाज की शान "पगड़ी" उतारने से मना करते हुए फ्लाइट पर जाने से इंकार कर दिया। यूएसए सरकार से इसके जज्बे को देखते हुए आखिर वहां सिख समाज को पगड़ी की अनुमति दे दी। जिसके बाद वहां की एक मैगजीन ने गुरिंदर सिंह खालसा को 18 जनवरी 2019 को "रोज़ा पार्क ट्रेवलाइजर अवार्ड" देने का एलान किया है। इससे भारत में रह रहा उनका परिवार काफी खुश है।
दरअसल गुरविंदर सिंह को 2007 में न्यूयॉर्क के बफेैलो नियाग्रा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक टीएसए सिक्योरिटी एजेंसी द्वारा पगड़ी को उतार कर चैंकिग ब्लैट पर रखने को कहा था, लेकिन गुरविंदर सिंह ने इसे पगड़ी का अपमान बताते हुए पगड़ी को उतार कर चैकिंग ब्लैट पर रखने से मना कर दिया। जिसके बाद उन्होंने उस हवाई यात्रा को छोड़ दिया। लेकिन पगड़ी के मान की खातिर उन्होंने एक हस्ताक्षर अभियान चलाकर टीएसए की इस निति को बदलने की मुहीम शुरू की। नीति बदलने के लिए 20 हजार हस्ताक्षर करने थे, लेकिन उन्होंने 67 हजार हस्ताक्षर एकत्रित कर लिए। जिसके बाद अब सिख युवकों को एयरपोर्ट पर चेकिंग के दौरान पगड़ी नहीं उतारनी पड़ती ।
गुरिंदर सिंह खालसा के इतिहास को देखते हुए आखिर यूएसए माइनॉरिटी बिजनेस मैगजीन ने 18 जनवरी 2019 को उन्हें "रोजा पार्क ट्रैबलाज़र अवार्ड" देने का एलान किया है ।इस एलान के बाद भारत में रह रहा उनका परिवार बहुत खुश नजर आ रहा है और उनका कहना है कि उनके बेटे ने विदेश में भी सिख समाज के लिए लंबी लड़ाई लड़कर उनकी आन बान और शान को ऊंचा रखा।
गुरिंदर सिंह के चचेरे भाई का कहना है कि एक बार उनका भाई बफैलो इंटरनेशनल एयरपोर्ट के जहाज में पगड़ी पहन कर जाने लगा तो वहां सिक्योरिटी ने उसे पगड़ी उतारकर चेकिंग करने के लिए रोका। जिस पर गुरिंदर सिंह खालसा ने कहा कि पगड़ी सिखों की शान होती है और वह किसी भी हालत में पगड़ी को उतारकर चेकिंग नहीं करवाएगा। जिसके बाद सिक्योरिटी गार्ड द्वारा उनसे धक्का-मुक्की की गई और गुरिंदर सिंह ने उस जहाज में यात्रा करने से ही इंकार कर दिया और ठान लिया कि वे सिख समाज की शान पगड़ी के लिए लंबी लड़ाई लड़ेगा और इंसाफ लेकर रहेगा। उसके बाद उन्होंने पगड़ी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और आखिर यूएसए सरकार को झुकना पड़ा और उन्होंने अपने देश में किसी भी जगह पगड़ी पहनकर जाने की सिख समाज को इजाजत दे दी।