एक अरसे के बाद किसी कैबिनेट मंत्री को मिला गृह मंत्रालय

Edited By Isha, Updated: 15 Nov, 2019 11:24 AM

after a long time a cabinet minister got home ministry

मनोहर लाल मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में कैबिनेट रैंक के 6  और 4  राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) बनाए गए हैं। लंबे अरसे के बाद किसी मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय अपने किसी कैबिनेट मंत्री को सौंपा है। पिछली

अम्बाला (रीटा/ सुमन): मनोहर लाल मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में कैबिनेट रैंक के 6  और 4  राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) बनाए गए हैं। लंबे अरसे के बाद किसी मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय अपने किसी कैबिनेट मंत्री को सौंपा है। पिछली सरकार में यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही था। आर.टी.आई.एक्टिविस्ट हेमंत कुमार के मुताबिक ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने गृह विभाग अपने पास ही रखे। 2005 में जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहली बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली तो उन्होंने भी गृह विभाग अपने पास रखा था। इससे पहले जब ओम प्रकाश चौटाला जुलाई 1999 और फरवरी 2000 में लगातार 2 बार मुख्यमंत्री बने तब भी उन्होंने किसी अन्य मंत्री को गृह विभाग नहीं सौंपा। 

इसी तरह 1979 व 1982 में जब भजन लाल मुख्यमंत्री बने तब गृह विभाग उन्होंने अपने पास रखा। प्रदेश के सबसे पहले मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा और इसके बाद राव बीरेंद्र सिंह ने भी गृह विभाग अपने पास रखा था। मई 1968 से नवम्बर,1975 और फिर जुलाई 1985 व जून,1987 के दौरान मुख्यमंत्री रहे बंसी लाल तथा दिसंबर 1975 से  अप्रैल 1977 तक मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता ने भी गृह विभाग अपने पास ही रखा था।


एक आध बार यह महत्वपूर्ण विभाग मुख्यमंत्री की बजाए किसी वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के पास भी रहा।1996 में जब बंसी लाल के नेतृत्व में हविपा  और भाजपा गठबंधन की सरकार बनी,तो उसमें हविपा के मनी राम गोदारा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। इससे पूर्व 1991-96 तक मुख्यमंत्री भजन लाल ने भी गृह विभाग अपने पास रखा लेकिन कुछ कारणों से  सुभाष बतरा को कुछ वर्षों के लिए गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2009 में तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दूसरी बार बनी अपनी सरकार में सिरसा से विधायक गोपाल कांडा को गृह राज्य मंत्री का पद दिया था। बेशक कुछ एक बार तत्कालीन मुख्यमंत्रियों ने राजनीतिक मजबूरियों के चलते गृह विभाग अपने मंत्रिमंडल में किसी वरिष्ठ सहयोगी को दिया लेकिन उस हालात में भी उनकी कोशिश रही कि सी.आई.डी. (गुप्तचर विभाग) उनके पास ही रहे।

देवी लाल ने वर्ष 1977-1979 दौरान जब भाजपा के वरिष्ठ नेता मंगल सेन को और इसके बाद चौटाला ने वर्ष 1989 -91 में सम्पत सिंह को व बंसी लाल ने 1996 में मनी राम गोदारा को प्रदेश में कैबिनेट रैंक का गृह मंत्री तो बनाया लेकिन सी.आई.डी. विभाग अपने कब्जे में ही रखा।

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