राज्य में अचल संपत्तियों की बाजार दर के निर्धारण के लिए एक नई नीति

Edited By Isha, Updated: 08 Jul, 2021 12:37 PM

a new policy for determination of market rate

हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में अचल संपत्तियों की बाजार दर के निर्धारण के लिए एक नई नीति बनाई गई है, जिसके तहत एक समान स्थायी समिति का गठन किया जाएगा। समिति राज्यभर में सरकार के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय...

चण्डीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में अचल संपत्तियों की बाजार दर के निर्धारण के लिए एक नई नीति बनाई गई है, जिसके तहत एक समान स्थायी समिति का गठन किया जाएगा। समिति राज्यभर में सरकार के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों की संपत्तियों की दरें तय करेगी। समिति का गठन राजस्व विभाग द्वारा किया जाएगा जिसे नई नीति के तहत नोडल विभाग के रूप में नामित किया गया है। संबंधित मंडलायुक्त स्थायी समिति के अध्यक्ष होंगे।

समिति के अन्य सदस्यों में विभागाध्यक्ष द्वारा मनोनीत मुख्यालय/जिले में एक विभागीय अधिकारी, जिसके प्रभार में भूमि या भवन का निपटान किया जाएगा, आयकर विभाग, भारतीय स्टेट बैंक और बीमा कंपनी द्वारा अधिसूचित/पंजीकृत मूल्यांकनकर्ता शामिल होंगे और संबंधित जिला के जिला राजस्व अधिकारी इसके सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेगा। अध्यक्ष समिति की बैठक में भाग लेने के लिए किसी अन्य अधिकारी/विशेषज्ञ को समिति का सदस्य बनने के लिए सहयोजित/आमंत्रित कर सकता है।

जिला स्तर पर एक समान समिति गठित करने की आवश्यकता के बारे में बताते हुए राजस्व विभाग के वित्तायुक्त और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने कहा कि इसकी आवश्यकता दो बिंदुओं पर महसूस की गई थी। सबसे पहले, कुछ विभागों द्वारा अचल संपत्तियों की बाजार दर का मूल्यांकन करने के लिए ऐसी समितियों का गठन किया गया होगा और जिन्होंने अलग-अलग मापदंड अपनाए होंगे, जिसके कारण अनेक कानूनी जटिलताओं के लिए दरवाजा खुल गए। दूसरी ओर इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में कई विभागों को छोटे आकार की अनुपयोगी भूमि, जिसमें इनके परित्यक्त पथ आदि शामिल हैं, को निजी निकायों को हस्तांतरित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जो उनकी भूमि पर स्थित हैं। यह न केवल परियोजनाओं के तेजी से विकास में रुकावट डालता है बल्कि राज्य के राजस्व को भी प्रभावित करता है।
 

अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
नीति के तहत अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में बताते हुए श्री कौशल ने कहा कि नीति के अनुसार भूमि रिकॉर्ड यानी कि जमाबंदी, म्यूटेशन, खसरा गिरदावरी, अक्ष शिजरा, फील्ड बुक की प्रतियां संबंधित उपायुक्त द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी। मंडल आयुक्त की राजस्व टीम द्वारा वेब-हैलरिस पोर्टल से स्वामित्व, खसरा संख्या सहित संपत्ति का शीर्षक ऑनलाइन सत्यापित किया जाएगा।यह सुनिश्चित करेगा कि जमाबंदी के स्वामित्व कॉलम के अनुसार भूमि विशिष्ट करुकान (लंबाई और चौड़ाई यानी फील्ड बुक) के साथ पूर्ण खसरा संख्या (ओं) में है और किसी भी तरह से साझे में नहीं है।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आयकर विभाग, भारतीय स्टेट बैंक और हरियाणा से संबंधित बीमा कंपनियों के पंजीकृत मूल्यांकनकर्ताओं में से मूल्यांकनकर्ताओं को अधिसूचित/सूचीबद्ध किया जाएगा। विभाग पैनल में शामिल मूल्यांकनकर्ताओं के लिए आचार संहिता भी अधिसूचित करेगा और संहिता का उल्लंघन होने पर उन्हें पैनल से बाहर कर दिया जाएगा। पैनल में शामिल मूल्यांकनकर्ता विभाग/संस्था/निगम के संबंधित कानून, नियमों, नीति एवं निर्देशों के अनुसार उनसे संबंधित संपत्ति का मूल्यांकन करेंगे और आग्रह की तिथि से 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। समान स्थायी समिति रिपोर्ट प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर बैठक करेगी और मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किए गए मूल्यांकन का औसत निकालेगी।

बाजार मूल्य का विवरण मांगना
नीति के अनुसार अध्यक्ष उस क्षेत्र, जहां भूमि स्थित है, में बिक्री विलेख के पंजीकरण के लिए भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 में निर्दिष्ट बाजार मूल्य का विवरण प्राप्त करेगा। उपरोक्त प्रक्रिया के अनुसार निर्धारित कीमतों का तुलनात्मक विवरण तैयार किया जाएगा। यदि संबंधित बिल्डर/निजी संस्था संदर्भित भूमि के विक्रय विलेखों के पंजीकरण के लिए भारतीय स्टाम्प अधिनियम के तहत निर्धारित नवीनतम कलेक्टर दरों की दोगुनी राशि या एक ही प्रकार की भूमि/अचल संपत्ति से संबंधित राजस्व सम्पदा में पूर्ववर्ती वर्ष के दौरान या उच्चतम राशि के दो विलेखों का औसत, जो भी अधिक हो, का भुगतान करने के लिए तैयार हो तो  पंजीकरण हेतु संबंधित विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के अनुमोदन से उचित निर्णय लिया जा सकता तथा नीति में निर्धारित अन्य प्रक्रिया लागू नहीं होगी। कौशल ने कहा कि यदि भूमि के अंतिम मूल्य को अंतिम रूप दे दिया जाता है, तो संबंधित सरकारी विभाग/बोर्ड आदि द्वारा पंजीकरण अधिनियम, 1908 (1908 का केन्द्रीय अधिनियम 16) के तहत निष्पादित हस्तांतरण विलेख पंजीकृत किया जाएगा।  

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