Edited By Shivam, Updated: 05 Jun, 2018 04:28 PM
प्राइवेट लैब की रिपोर्ट पर पैथोलोजिस्ट या एमबीबीएस डॉक्टर के हस्ताक्षर अनिवार्य करने के आदेशों के विरोध में प्रदेश की प्राइवेट मेडिकल लैबोरेट्री के टैक्नीशियन हड़ताल पर चले गए हैं, जिसकी वजह से आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि...
रोहतक (दीपक भारद्वाज): प्राइवेट लैब की रिपोर्ट पर पैथोलोजिस्ट या एमबीबीएस डॉक्टर के हस्ताक्षर अनिवार्य करने के आदेशों के विरोध में प्रदेश की प्राइवेट मेडिकल लैबोरेट्री के टैक्नीशियन हड़ताल पर चले गए हैं, जिसकी वजह से आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि सरकारी हस्पतालों में तो जांच की मशीनें तो खराब ही मिलती है। लैब टेक्नीशियनों का कहना है कि सरकार जबतक अपना फैसला वापस नही लेती, तब तक उनकी यह हड़ताल जारी रहेगी।
दरअसल लैब संचालक सरकार के उस फैसले के विरोध में लामबंद्ध हुए है, जिसमें सरकार ने लैब रिपोर्ट पर एमबीबीएस डॉक्टर के काऊंटर साइन किए जाना अनिवार्य किया है। लैब संचालकों का कहना है कि उन्होंने सरकार द्वारा आयोजित परीक्षाएं पास कर डिप्लोमा लिया है और वह एक सीमित दायरे में मेडिकल टैस्ट करते हैं और बहुत ही छोटे से स्तर पर काम कर रहे हैं।
लैब संचालकों का कहना है कि पूरा महीना काम करने के बाद बामुश्किल 15 से 20 हजार रुपए कमा पाते हैं। ऐसे में अगर किसी एमबीबीएस डॉक्टर को लैब में रखा जाता है तो वे डॉक्टर की तनख्वाह भी पूरी नहीं कर पाएंगे।
निजी लैब संचालकों का आरोप है कि सरकार कार्पोरेट सेक्टर की शय पर इस प्रकार का कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो इलाज महंगा हो जाएगा, जो आम आदमी के लिए मुश्किल पैदा करेगी। लैब संचालकों ने सरकार से मांग की है कि वे लैब रिपोर्ट पर एमबीबीएस डॉक्टर के काऊंटर साइन करवाने के प्रावधान को समाप्त करे अन्यथा लैब संचालक सरकार से किसी प्रकार की लड़ाई लडऩे से पीछे नहीं हटेेंगे।