Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 04 Dec, 2025 10:00 PM

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों के पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टसीपी) विभाग की एनफ़ोर्समेंट विंग गुरुग्राम ने डीएलएफ फेज-1 से 5 में अवैध निर्माण व रिहायशी संपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग से जुड़े मामलों पर विभागीय कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए एक...
गुड़गांव, (ब्यूरो): पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों के पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीसीपी) विभाग की एनफ़ोर्समेंट विंग गुरुग्राम ने डीएलएफ फेज-1 से 5 में अवैध निर्माण व रिहायशी संपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग से जुड़े मामलों पर विभागीय कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए एक विस्तृत पब्लिक नोटिस जारी किया है। यह नोटिस विभाग की अधिकृत वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
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ज्ञात हो कि विभाग द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों के तहत डीएलएफ फेज-1 से फेज- 5 में किए गए सर्वे के दौरान कुल 4183 प्लॉट/मकानों में विभिन्न प्रकार के उल्लंघन पाए गए थे। यह सर्वे रिपोर्ट- 22 जनवरी- 2025 को हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई थी। इसके अतिरिक्त 23 जनवरी से 04 अप्रैल-2025 तक किए गए नए निरीक्षणों की सूची भी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी गई है, जिससे निवासी इनका अवलोकन कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 अक्टूबर-2025 को अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि कई प्रभावित मकान मालिकों को न तो पक्षकार बनाया गया था और न ही उन्हें सुनवाई का अवसर मिला था। इसके मद्देनजर पुराने आदेश को निरस्त करते हुए हाईकोर्ट में याचिकाएं बहाल की गईं व राज्य सरकार को व्यापक स्तर पर सूचना जारी करने के निर्देश दिए गए। उसी अनुक्रम में हाईकोर्ट ने विभाग को सभी प्रभावित पक्षों की आपत्तियां सुनने व समुचित प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
प्रभावित मकान/प्लॉट मालिक, जिनके यूनिट सूची में शामिल हैं। उनसे कहा गया है कि वे अपनी आपत्तियां-31 दिसंबर-2025 तक डीटीपी एन्फोर्समेंट कार्यालय में जमा करवा दें। आपत्ति के साथ नाम, पता, संपर्क नंबर व निर्माण की वैधता से जुड़े आवश्यक दस्तावेज अनिवार्य रूप से संलग्न करना होगा। निर्धारित तिथि के बाद किसी भी प्रकार की आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। 31 दिसंबर तक आपत्तियां मिलने के बाद हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। कोर्ट के निर्देशों के अनुसार प्रक्रिया 45 दिनों में पूरी की जानी है। जिसकी अगली सुनवाई 15 जनवरी-2026 को निर्धारित है।
डीटीपी इंफोर्समेंट अमित मधोलिया ने कहा कि अवैध निर्माण व रिहायशी संपत्तियों में व्यावसायिक गतिविधियां हरियाणा डेवलपमेंट एंड रेग्युलेशन एक्ट का प्रत्यक्ष उल्लंघन हैं। कार्रवाई पूरी तरह हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जाएगी। मकान मालिको को जवाब के समय बिल्डिंग प्लान, ओक्यूपेशन सर्टिफिकेट व घर का फोटो जमा करना अनिवार्य हैं।