39 एम.एम. बारिश से 40 साल का रिकॉर्ड ध्वस्त, किसानों के लिए आफत बन कर बरसी बरसात

Edited By Isha, Updated: 17 Nov, 2020 10:53 AM

39 mm 40 year old record collapsed due to rain

गेहूं की बुआई के सीजन में बरसात किसानों के लिए आफत लेकर आई। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जिले में 24 घंटे में 39 एम.एम. बरसात हुई। नवम्बर की भारी बारिश ने 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इससे पहले वर्ष 1981 में...

करनाल : गेहूं की बुआई के सीजन में बरसात किसानों के लिए आफत लेकर आई। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जिले में 24 घंटे में 39 एम.एम. बरसात हुई। नवम्बर की भारी बारिश ने 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इससे पहले वर्ष 1981 में एक दिन में 33 एम.एम. बरसात दर्ज की गई थी। 1981 में ही नवम्बर के पूरे महीने में 70 एम.एम. बारिश का रिकार्ड है। रविवार को पूरी रात मेघ जमकर बरसे। खेतों में पानी जमा होने से धरतीपुत्रों की टैंशन बढ़ गई है। गेहूं की बुआई का काम अधर में लटक गया। अब करीब 10 दिन तक बुआई नहीं हो सकेगी। निचले खेतों में पानी जमा होने से किसानों को गेहूं की फसल खराब होने का डर सताने लगा है। जिन किसानों ने 12 से 15 दिन पहले गेहूं की बुआई की थी उनकी फसल को इस बारिश से नुक्सान नहीं हुआ है। 
सीजन के बीच में बारिश से बासमती धान की कटाई भी प्रभावित हो गई। हवा के कारण फसल खेतों में बिछ गई। यह बरसात जहां किसानों के लिए आफत बनकर आई, वहीं वायुमंडल में बढ़ते धूलकण को कम करने में मददगार साबित हुई। बरसात के बाद एयर क्वालिटी इंडैक्स में पहले से सुधार देखने को मिला। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की मानें तो हवा में जमा फानों व पटाखों का धुआं इससे धुल गया। 

बासमती की कटाई प्रभावित 
सीजन के बीच में बारिश से बासमती धान की कटाई भी प्रभावित हो गई। हवा के कारण फसल खेतों में बिछ गई। यह बरसात जहां किसानों के लिए आफत बनकर आई, वहीं वायुमंडल में बढ़ते धूलकण को कम करने में मददगार साबित हुई। बरसात के बाद एयर क्वालिटी इंडैक्स में पहले से सुधार देखने को मिला। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की मानें तो हवा में जमा फानों व पटाखों का धुआं इससे धुल गया।

ओलों ने बढ़ाई ठिठुरन 
जिले के कुछ इलाकों में हल्की ओलावृष्टि भी हुई। बारिश सहित कई ग्रामीण इलाकों में ओले पड़े, जिससे मौसम में ठिठुरन बढ़ गई। मौसम में गिरावट के बाद सोमवार को अधिकतम तापमान 26.6 डिग्री सैल्सियस दर्ज किया गया। सुबह-शाम ठंड बढ़ गई है। न्यूनतम तापमान 14.4 डिग्री सैल्सियस रिकॉर्ड किया गया। ठंडी हवाओं ने लोगों की कंपकंपी छुड़ा दी। दोपहिया वाहन चालकों को इससे परेशानी का सामना करना पड़ा। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो आगामी दिनों में ठंड अपना असर दिखाएगी। बरसात के बाद तापमान में तेजी से गिरावट आएगी।

ए.क्यू.आई. घटकर 250 पर आया  
बारिश ने जहां किसानों की टैंशन बढ़ा दी, वहीं इसने प्रदूषण का स्तर घटा दिया। कुछ दिन पहले हवा में धुएं की वजह से आंखों में जलन होती थी। बरसात के बाद इससे राहत मिल गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिजनल ऑफिसर शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि दीवाली के आस-पास करनाल का एयर क्वालिटी इंडैक्स (ए.क्यू.आई.) 310 तक पहुंच गया था। रविवार रात की बरसात के बाद यह 250 पर आ गया। हवा पहले से शुद्ध हो गई है। ए.क्यू.आई. यदि 50 तक है तो अ'छा माना जाता है। 51 से 100 तक यह मोडरेट की कैटेगरी में आता है। हवा में धूलकण की मात्रा 101 से 200 तक है तो खराब की स्थिति मानी जाती है। ए.क्यू.आई. इससे अधिक है तो यह सेहत के लिए ठीक नहीं होता। 

आगामी दिनों में खिलेगी धूप 
रविवार रात को बरसात के बाद सोमवार को भी दिनभर बादल छाए रहे। सूर्य व बादलों के बीच लुक्का-छिपी का खेल जारी रहा। हवा की गति ने मौसम में ठंडक घोल दी। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिनों में धूप खिलेगी। मंगलवार से मौसम भले ही साफ रहेगा, लेकिन ठंड दिन-प्रतिदिन प्रचंड होती जाएगी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की अगेती फसल में ठंड फायदेमंद रहेगी। बिजाई के बाद जो गेहूं निकल चुकी है उसमें नुक्सान नहीं होगा। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि गेहूं के खेतों में जमा पानी को निकाल दें। 

बदलते मौसम में ब'चों का रखें ख्याल : डा. अभिनव
मैडीकल कॉलेज के डा. अभिवन डागकर का कहना है कि हवा शुद्ध होगी तो इसका फायदा होगा। इससे खांसी, जुकाम, छाती रोग व अस्थमा के मरीजों में कमी आएगी। हवा शुद्ध होगी तो कोरोना के संक्रमण से लडऩे में मदद मिलेगी। लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। ठंड से बचाव जरूरी है। बदलते मौसम में ब'चों का विशेष ख्याल रखें। 
 
नवम्बर में अधिकतम व न्यूनतम तापमान 
वर्ष    अधिकतम    न्यूनतम 

2009    31        5.1
2010    30.6        7.0
2011    31.0        7.4
2012    30.4        6.8
2013    29.0        6.6
2014    31.7        6.5
2015    31.0        9.0
2016    32.0        8.2
2017    30.0        6.2
2018    30.0        8.6

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