किस हाल में पाकिस्तान से आए 557 हिंदू?, 30 साल से नागरिकता का इंतजार...CAA ने दी उम्मीद की किरण

Edited By Saurabh Pal, Updated: 16 Mar, 2024 06:55 PM

150 hindu families from pakistan struggle for indian citizenship

हरियाणा के ऐलनाबाद में पिछले 35 वर्षों से करीब 150 परिवारों के 557 पाकीस्तानी हिंदू गुमनामी में जीवन व्यातीत कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा अब CAA के नोटिफिकेशन जारी करने से उन्हें एक उम्मीद किरण दिखी है...

सिरसा(सतनाम सिंह): हरियाणा के ऐलनाबाद में पिछले 35 वर्षों से करीब 150 परिवारों के 557 पाकीस्तानी हिंदू गुमनामी में जीवन व्यातीत कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा अब CAA के नोटिफिकेशन जारी करने से उन्हें एक उम्मीद किरण दिखी है। विजिटर वीजा के जरिये शरहद पार से हिन्दुस्तान पहुंचे ये लोग पिछले तीन दशकों से भारत की नागरिकता के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।

पाकिस्तानी परिवार दे रहे पीएम मोदी को धन्यवाद

इनके पास कोई भी आईडी प्रूफ नहीं है, जिसके चलते इन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नागरिकता संशोधन कानून के आने से लोगों में खुशी की लहर है। इनको उम्मीद है कि नए कानून के तहत इन्हें भारत की नागरिकता मिला जाएगी, दशकों से चले आ रहे दुख के बाद छट जाएंगे। नागरिकता संशोधन एक्ट के आने से इन परिवारों में खुशी की लहर है और ये लोग इसके लिये प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करते नजर आ रहे हैं।

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1990 से लेकर 1998 के बीच अपने मुल्क किया पालायन 

गौरतलब है कि सिरसा के ऐलनाबाद इलाके में रह रहे ये पाकिस्तानी हिन्दू परिवार पहले पाकिस्तान के भावलपुर और रहीम यार खान इलाके में रहते थे। सन 1990 से लेकर 1998 के बीच विजीटर वीजा के जरिये भारत पहुंचे थे।  यहां आने के बाद इन्होंने पाकिस्तान में उनके साथ धार्मिक व सामाजिक भेदभाव किये जाने का आरोप लगाते हुए भारत में रहने की अपील की थी। जिस पर इनके पासपोर्ट पर वीजा का समय बाढ़ाया जाता रहा रहा है, लेकिन इन्हें नागरिकता नहीं दी गई। पाकिस्तान से भारत आए ये करीब 150 परिवार हैं, जिनमें 557 लोग सिरसा के ऐलनाबाद इलाके में रह रहे हैं। भारत आने के बाद ये लोग यहीं बस गये और मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का जीवन यापन करने लगे। नागरिकता न मिलने से जहां इन्हें सरकार से कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली। वहीं इनके बच्चों को कोई रोजगार भी नहीं मिल पाया। यहां तक कि अपने रिश्तेदारों में राजस्थान जाने के लिये भी इन्हे पुलिस प्रशासन से परमिशन लेनी पड़ती थी।

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सुरता राम को उम्मीद कहला पाएंगे भारतीय

शरहद पार से आए कढाई-सिलाई का काम करने वाले सुरता राम का कहना है कि सीएए आने से उनमें उम्मीद जगी है। जिससे वे सरकारी सहूलियतों का लाभ उठा पाएंगे और अपने बच्चों का भविष्य बना पांऐंगे। अनेकों बार नागरिकता के लिये अप्लाई करने पर भी उन्हे पिछले तीन दशकों से नागरिकता नहीं मिली। लेकिन अब उन्हें उम्मीद है कि वे भी भारतीय कहला पाएंगे।

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 पाकिस्तान में रामचंद्र को झेलना पड़ा सामाजिक भेदभाव

पंजाबी जूती बनाने की दुकान चलाने वाले रामचंद्र का कहना है कि पाकिस्तान में उनके साथ धार्मिक और सामाजिक तौर पर भेदभाव होता था। जिसके चलते उनके परिजनों के दाह संस्कार तक नहीं करने दिये जाते थे। जिससे परेशान होकर उन्होंने भारत आने का फैसला लिया और भारत आ गए।

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 5 वर्ष की आयु में भारत आए थे गोपाल

5-6 साल की आयु में अपने परिवार के साथ भारत आये गोपाल को बिना नागरिकता के पढ़ाई लिखाई में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा और बाद में नौकरी भी नहीं मिल पाई। 34 साल के हो चुके गोपाल अब बिजली मैकेनिक का काम करके गुजर बसर कर रहे हैं।

गौरतलब हैं कि पाकिस्तान से तंग आकर भारत आए इन लोगों को यहां पर भी अपनी पहचान को लेकर अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन अब सीएए आने से उनमें नागरिकता मिलने की उम्मीद जगी हैं। 

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