विपक्षी नेताओं विजय सरदेसाई और अमित पालेकर ने भी मुख्यमंत्री की नीतियों और योजनाओं के बारे में गंभीर सवाल उठाये

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 20 Sep, 2024 07:41 PM

opposition leaders raised questions on the policies of the chief minister

विपक्षी नेताओं विजय सरदेसाई और अमित पालेकर ने भी मुख्यमंत्री की नीतियों और योजनाओं के बारे में गंभीर सवाल उठाये हैं और पत्र लिखा है।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले, गोवा में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के लिए परेशानी खड़ी हो रही है। कुछ सत्ता दल के नेताओं और विधायकों ने दिल्ली में पार्टी के हाई कमान के साथ अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने  विपक्षी दलों द्वारा केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियों को सरकार के खिलाफ दी गई शिकायतों और आरोपों को आधार बनाया है।

 

गोवा सरकार पर कैश फ़ॉर जॉब, भूमि मूल्यांकन में विसंगति, जिला खनिज फाउंडेशन फंड घोटाला, भूमि हड़पने का आरोप, निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (आईपीबी) विधेयक के जरिये स्थानीय पंचायतों और नगरपालिकाओं को कमजोर करने का आरोप है। इसके लिए विपक्ष सीएम पर सवाल उठा रहा है और सत्ता धारी विधायक विपक्ष के आरोपों को आधार बना सीएम की विफलता पर आलाकमान के सामने उन्हें घेर रहे हैं। गोवा में भाजपा नेताओं ने सदस्यता अभियान में भाजपा सदस्यों की कम उपस्थिति की शिकायत की है, और इसे सावंत की घटती लोकप्रियता से जोड़ा है। उनका कहना है कि सावंत कई विवादों में उलझे हुए हैं। जो गोवा में भाजपा के भविष्य पर  खतरा हो सकता है।  एक पार्टी विधायक ने दिल्ली में कहा कि हमारी पार्टी ने दिवंगत मनोहर पर्रिकर जैसे नेताओं के साथ एक मानक स्थापित किया था और पर्यटन अर्थव्यवस्था पर निर्भर एक छोटे राज्य में हमें हमेशा इसी लाइन पर सोचना होगा।

 

विपक्षी नेताओं विजय सरदेसाई और अमित पालेकर ने भी मुख्यमंत्री की नीतियों और योजनाओं के बारे में गंभीर सवाल उठाये हैं और पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोपों में से एक दिल्ली शराब घोटाले जैसा  है, जिसके कारण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी। सरदेसाई ने कहा कि गोवा सरकार ने मिठाइयों (लड्डू) पर अकेले 40 लाख रुपये का खर्च किया। इसके अलावा, 2022 से वीआईपी को परिवहन के नाम पर कुल 4.32 करोड़ रुपये और पांच-सितारा होटल में ठहरने पर 1.33 करोड़ रुपये का खर्च हुआ।

 

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पर भूमि हड़पने का आरोप लगाया गया है, जो राज्य में व्यापक भूमि धोखाधड़ी पर नकेल कसने में विफल रहे हैं।  इसके बावजूद विशेष जांच टीम (एसआईटी) और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) वीके जाधव की अध्यक्षता वाले आयोग का गठन किया गया, लेकिन केवल 93 मामलों में से 22 में ही एफआईआर दर्ज की गई है। गोवा में निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (आईपीबी) विधेयक एक विवादित मुद्दा है, जिसका उद्देश्य स्थानीय पंचायतों और नगरपालिकाओं पर आईपीबी को व्यापक शक्तियां देना है। इस विधेयक का विधानसभा में विरोध हुआ, जहां विपक्षी सदस्यों ने तर्क दिया कि यह स्थानीय शासन को कमजोर करेगा और इको-सेंसिटिव ज़ोन्स में भूमि उपयोग परिवर्तन को बढ़ावा देगा।

 

सरदेसाई ने सावंत और उनके कैबिनेट सहयोगी अटानासियो मोनसेरेट पर ज़ुअरी एग्रो केमिकल्स लिमिटेड (ज़ेडीएसीएल) की भूमि में 50,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। इसके अलावा, विपक्षी विधायकों ने बताया है कि सावंत द्वारा इसे संज्ञान में लेने और अवैध अनुमतियों को वापस लेने के वादे के बावजूद, प्लॉटों का निर्माण और बिक्री जारी है। भूमि के मूल्यांकन में विसंगति - 1971 में 25 पैसे प्रति वर्ग मीटर से लेकर वर्तमान में 1,19,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक - एक बड़े घोटाले की आशंका को और बढ़ाती है।  मुख्यमंत्री के प्रशासन के तहत कैश फ़ॉर जॉब घोटाले ने भर्ती प्रक्रियाओं में गहरे भ्रष्टाचार को भी उजागर किया है। कांग्रेस सांसद कैप्टन विरियाटो फर्नांडीस ने सावंत के निर्वाचन क्षेत्र, संकेलिम की एक महिला पर सरकारी नौकरी, खासकर पुलिस विभाग में पोस्टिंग हासिल करने के बदले में रिश्वत लेने का आरोप लगाया।

 

इसके अलावा, सरदेसाई ने दक्षिण गोवा कलेक्ट्रेट में लोअर डिवीजन क्लर्क (LDC) की भर्ती में एक और घोटाले का खुलासा किया। हाल की रिपोर्टों से पता चला है कि गोवा के खनन प्रभावित क्षेत्रों में जन कल्याण और विकास के लिए निर्धारित जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के फंड को कथित तौर पर सावंत से जुड़े एक निजी नर्सिंग होम में भेज दिया गया था।

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