दिल्ली के बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि, 6-13 आयु वर्ग के बच्चों में आरएसवी,फ्लू और निमोनिया जैसे लक्षण

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 06 Jan, 2025 07:16 PM

increase in respiratory diseases among delhi children

दिल्ली में रहनेवाले 6-13 आयु वर्ग के बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि दिखाई दे रही हैं। जिसमें श्वसन संबंधी सिंसिटियल वायरस (आरएसवी) जैसे वायरल संक्रमण, फ्लू, निमोनिया और त्वचा और श्वसन दोनों को प्रभावित करने वाली एलर्जी संबंधी समस्याएं...

गुड़गांव ब्यूरो :दिल्ली में रहनेवाले 6-13 आयु वर्ग के बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि दिखाई दे रही हैं। जिसमें श्वसन संबंधी सिंसिटियल वायरस (आरएसवी) जैसे वायरल संक्रमण, फ्लू, निमोनिया और त्वचा और श्वसन दोनों को प्रभावित करने वाली एलर्जी संबंधी समस्याएं शामिल हैं। बच्चों में अस्थमा के बढ़ने की घटनाएं बढ रही है।

 

अधिकांश बच्चे बहती नाक, भूख में कमी, खांसी, छींकने, बुखार, शरीर में दर्द, थकान, कफ के साथ खांसी और गले में खराश जैसे लक्षणों के साथ ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं। इस बिमारी से बच्चों का बचाव करने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना, पौष्टिक आहार का सेवन, घर से बाहर जाते वक्त चेहरे पर मास्क परिधान करना,सामाजिक दूरी बनाना और नियमित जाचं कराना जरूरी हैं। इसके अलावा माता-पिता को याद से अपने बच्चों को टीकाकरण कराना जरूरी हैं। टीकाकरण कराने बच्चों को बिमारी से बचा सकते हैं।

 

दिल्ली में वायु प्रदूषण और धुंध की खतरनाक वृद्धि सिर्फ़ एक दिखाई देने वाली धुंध नहीं है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक मूक ख़तरा है। वाहनों के उत्सर्जन और औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाली जहरीली गैसों के हवा में जमा होने से बच्चों में सांस संबंधी बीमारियों और त्वचा संबंधी समस्या बढ़ती दिखाई दे रही हैं।

 

गुडगाव स्थित मदरहुड अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर (एनसीआर) नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स डॉ. संजय वजीर ने कहॉं की, “दिल्ली में वायु प्रदूषण और धुंध बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डाल रहा हैं, जिससे सांस और त्वचा संबंधी बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। आरएसव्ही, इन्फ्लूएंजा और निमोनिया जैसे वायरल संक्रमण बड़े पैमाने पर फैल रहे हैं, जो 6-13 वर्ष की आयु के बच्चों में बहती नाक, लगातार खांसी और बुखार जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। एलर्जी से संबंधित समस्याएं त्वचा और श्वसन प्रणाली दोनों को प्रभावित कर रही हैं।

 

अस्थमा के कारण कई बच्चों को सांस लेने में दिक्कत आ रही हैं। भूख कम लगना, लगातार छींकने, शरीर में दर्द, कफ के साथ खांसी, थकान और गले में खराश जैसे समस्या बच्चों में दिख रही हैं। त्वचा की समस्याओं में शुष्क त्वचा, चकत्ते और एलर्जी शामिल हैं, जिनका समय पर इलाज करना ज़रूरी है। हाल ही में स्कूल बंद होने से मामलों की संख्या में थोड़ी कमी आई है, लेकिन हम अभी भी प्रतिदिन 2-3 मरीजों का इलाज कर रहे हैं।”  

 

डॉ. संजय ने कहा, “माता-पिता के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपचार योजना का पालन करना, स्व-दवा से बचना, अपने बच्चों को अच्छी स्वच्छता का अभ्यास कराना, विटामिन से भरपूर संतुलित आहार लेना और पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है। बच्चों में कोई भी लक्षणं दिखाई दिए तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेना काफी जरूरी हैं। बच्चों को न्यूमोकोकल और इन्फ्लुएंजा टीका लगाना चाहिए। बच्चों को सांस लेने में कठिनाई न हो इसलिए घर पर एयर प्यूरीफायर लगाना जरूरी हैं। जिन बच्चों को पहले से अस्थमा है, उन्हें दवा और इनहेलर अपने पास रखना चाहिए। त्वचा की समस्याओं के मामले में डॉक्टरद्वारा बताए गए उत्पादों का उपयोग करना आवश्यक है। जब बाहर हवा की गुणवत्ता खराब हो तो बच्चों को घर के अंदर रहना चाहिए।”

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