Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 26 Oct, 2024 03:40 PM
युद्ध, अन्याय, अराजकता और शोषण मुक्त विश्व बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है।
गुड़गांव, ब्यूरो : युद्ध, अन्याय, अराजकता और शोषण मुक्त विश्व बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है। इस परिवर्तन के लिए अब आम जनता को खुद सामने आना होगा और अपने बच्चों की समृद्धि और सुरक्षित भविष्य के लिए संघर्ष करना होगा। उक्त बातें विश्व आध्यात्मिक संसद के अध्यक्ष डॉ पी. आर. त्रिवेदी ने कहा है। वह विश्व परिवर्तन मिशन द्वारा आयजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
सम्मेलन के एक सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रशांत भूषण ने कह कि संयुक्त राष्ट्र संघ का सुधार करके उसको विश्व सरकार का दर्जा देना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युद्ध रोकने में संयुक्त राष्ट्र संघ पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। इसलिए तीसरे विश्व युद्ध का इंतजार नहीं करना चाहिए।
सम्मेलन के संयोजक श्री विश्वात्मा ने कहा कि देश की सरकार को चाहिए कि वह राष्ट्रीय हितों के साथ-साथ मानवीय हितों पर भी काम करे। इसके लिए एक नया मंत्रालय बनाए जो शांति और भागीदारी पर वैश्विक संधि (गैप) अकेली पूरे दुनिया को देशों को तैयार करें और लोगों को उनके वैश्विक अधिकार दिलाने हेतु काम करे।
राजनीतिक सुधारों पर दर्जनों पुस्तकों के लेखक श्री विश्वात्मा ने कहा कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ विश्वास के संबंधों का धुआं सुलग रहा है। इसलिए भारत सहित दक्षिण एशिया के देश कभी भी युद्ध का क्षेत्र बन सकता हैं। इसलिए अब वैश्विक शांति के लिए काम करना हम सब की प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि समय रहते युद्ध रोकने के लिए काम न किया गया तो भारत और उसके पड़ोसी देशों की हालत यूक्रेन जैसी हो सकती है।
पर्यावरणविद् प्रबोध राज चण्डोल ने कहा कि भारत के लोग मिलकर आवाज देंते हैं तो भारत सरकार को सुनना पड़ता है। इसी प्रकार अगर भारत सरकार एक नया मंत्रालय बनाकर उसको मानवीय हितों पर काम करने के लिए लगाएं तो वह मंत्रालय पूरे विश्व के अधिकांश देशों की सरकारों को एकजुट कर सकता है। तब देश की सामूहिक आवाज युद्ध और अंतर्राष्ट्रीय शोषण का फायदा उठाने वाले देशों की सरकारों को भी सुनना पड़ेगा।
सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के उपाध्यक्ष आत्मा सिंह लुभाना ने कहा कि लोगों का और राष्ट्रों का शोषण रोकने और शांति स्थापित करने के लिए भारत सरकार पूरे विश्व के देश को गोलबंद करने का काम शुरू करें। इसके पहले भारत के नागरिकों को अपनी चारित्रिक उन्नति करके वसुधैवकुटुंबकम के आदर्श पर स्वयं को गोल बंद करना होगा। इसी के लिए विश्व परिवर्तन मिशन ने नई दिल्ली में दो दिनों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया।
इस सम्मेलन में एक वक्त के रूप में बोलते हुए श्री मेराज साहब ने कहा कि भागीदारी और शांति पर वैश्विक संधि, संक्षेप में "गैप" के नाम से एक नए मंच की घोषणा की गई। यह भी घोषणा की गई थी अब आगे से विश्व के अंतरिम संसद का संचालन यही संगठन करेगा। यह मंच वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श पर काम करेगा और देश और दुनिया भर के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक सुधारकों को एक मंच देगा।
श्री शिवाकांत गोरखपुरी ने कहा कि इस मंच का संवैधानिक और सांगठनिक ढांचा इस प्रकार का विकसित किया जाएगा, जो भविष्य में वैश्विक राजकाज की प्रणाली के लिए प्रेरणा स्रोत बने और विश्व समाज को विभाजित करने के लिए किए जाने वाले हमलों से अपनी सुरक्षा कर सके। इसीलिए यह मंच सांगठनिक कार्य संस्कृति के बजाय संसदीय कार्य संस्कृति की पद्धति पर काम करेगा। और यही कारण है कि गैप के अंतर्राष्ट्रीय निकायों को दक्षिण एशिया की अंतरिम संसद, प्रराष्ट्र की अंतरिम संसद और संपूर्ण विश्व यानी धरती की अंतरिम संसद कहा जाएगा। यह तीनों निकाय क्रमशः गांव संरक्षक संसद, परिवार संरक्षक संसद और मानव संरक्षक संसद के रूप में काम करेंगे। संसद सदस्यों की नियमानुसार भर्ती के बाद यह तीनों निकाय अपनी-अपनी अंतरिम सरकारों का गठन करेंगे। यह तीनों केंद्रित निकाय मानव, परिवार और गांव जैसी विकेंद्रित इकाइयों के आर्थिक अभिभावक के रूप में काम करेंगे।
सम्मेलन के वक्ता श्री हितेश चंदेल ने कहा कि संसद सदस्यों के निर्वाचन में वोट का अधिकार हासिल करने के लिए देश ही नहीं, पूरी दुनिया के लोगों को ऑनलाइन आवेदन करना चाहिए और ऑनलाइन प्रशिक्षण लेकर "ग्लोबल चेंज मेकर" के रूप में काम करना चाहिए। सम्मेलन के पहले दिन उत्तर प्रदेश सरकार मेंपूर्व मंत्री राजेश यादव, अवार्ड के महासचिवश दुर्गा प्रसाद सिंह, पूर्व डीआईजी आरपीएस यादव, वसुदेव कुटुंबकम ग्रंथ के लेखक श्री सुरेंद्र पाठक, ठाकुर राजेश सिंह, सरिता पाण्डेय, राजेश बोरा, श्री जयकेश त्रिपाठी, गुरनाम सिंह चढ़ूनी आदि ने संबोधित किया।