38 साल बाद चंद्रग्रहण के साथ शुरू होंगे श्राद्ध, बन रहे कई महासंयोग

Edited By Updated: 28 Sep, 2015 09:37 AM

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आज से शुरू श्राद्ध कई महासंयोग के साथ हो रहे हैं। इस बार श्राद्धों की शुरुआत 38 साल बाद चंद्रग्रहण से होगी।

अंबाला शहर: आज से शुरू श्राद्ध कई महासंयोग के साथ हो रहे हैं। इस बार श्राद्धों की शुरुआत 38 साल बाद चंद्रग्रहण से होगी। वहीं 19 वर्ष बाद गज छाया का योग, सोमवार के दिन चंद्रग्रहण के कारण चूड़ामणि चंद्रग्रहण, 12 अक्तूबर को अमावस्या के कारण इस बार के श्राद्ध खास हैं। आज पूर्णिमा एकम का श्राद्ध एक ही दिन होगा। ज्योतिषियों का कहना है कि ऐसे योग में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान करने से उसका 5 गुना अधिक फल प्राप्त होता है। इस योग में पित्तरों के निमित्त श्राद्ध आदि करने से वे पूर्ण रूप से तृप्त होंगे।

ग्रहण का भारत में बुरा असर नहीं
भारतीय समय के अनुसार आज चंद्रग्रहण का प्रारंभ सुबह 6.37 से होगा जो सुबह 9.57 तक रहेगा जोकि भारत के गुजरात, राजस्थान क्षेत्रों में दिखाई देगा। जिस क्षेत्र में चंद्रमा सुबह 6.37 से पहले अस्त हो जाता है वहां ग्रहण दिखाई नहीं देगा। ज्योतिषियों के मुताबिक 28 सितंबर से शुरू हो रहे श्राद्ध पक्ष में पूरे समय सूर्य राहु की युति (दिशा बदलना) रहेगी जिसके कारण ग्रहण सहित अन्य योग भी श्राद्धों के दौरान बन रहे हैं।

1977 में भी बना था ऐसा संयोग
पंडित मनोज गोस्वामी के मुताबिक 1977 में 27 सितम्बर, मंगलवार को चंद्रग्रहण के साथ पितृ पक्ष की शुरूआत हुई थी, साथ ही उस समय सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण का योग भी बना था। उस समय श्राद्ध पक्ष में 2 ग्रहण होने से उसे अशुभ माना गया था। जबकि इस बार श्राद्ध पक्ष में तर्पण, श्राद्ध आदि से शुभ फल प्राप्त होंगे इसलिए इस दौरान पित्तरों को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले उपाय विशेष फल देंगे। वर्तमान में ग्रहों की स्थिति भी पितृ दोष निवारण के लिए उपयुक्त है। इसलिए इस बार का श्राद्ध पक्ष पित्तरों को प्रसन्न करने वाला और श्राद्ध करने वालों को सुख संपति देने वाला रहेगा।

19 साल बाद बनेगा गजछाया योग

पंडित मनोज गोस्वामी के अनुसार 19 साल बाद श्राद्ध पक्ष में सूर्य राहु की युति (एक साथ दिशा बदलना) से गजछाया योग बन रहा है। इसके लिए पहले 1996 में यह योग बना था। श्राद्ध पक्ष के पहले दिन उत्तरा भाद्र पक्ष नक्षत्र रहेगा। शुभ नक्षत्र तिथि में श्राद्ध पक्ष का शुरू होना शुभ फल में वृद्धि करेगा। सालों बाद इस बार 12 अक्तूबर को सर्वापितृ अमावस्या पर सोमवती का संयोग बन रहा है। इस दिन कन्या राशि में चतुग्रही योग रहेगा। हस्त नक्षत्र में चंद्रमा के साथ सूर्य का संयुक्त होना दिव्य योग बन रहा है। इस दिन पित्तरों के निमित तर्पण, पिंडदान करने से उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति होगी व मीन राशि वालों के लिए थोड़ा कष्टदायिक होगा।

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