मुरथल गैंगरेप केस में SIT ने हाईकोर्ट में सौंपी सील्ड रिपोर्ट

Edited By Punjab Kesari, Updated: 14 Jul, 2017 08:54 AM

sit in murthal gangrepe case sealed report submitted in high court

मुरथल गैंगरेप में वीरवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आई.जी.ममता सिंह के नेतृत्व में गठित एस.आई.टी. की तरफ से सील बंद स्टेटस रिपोर्ट सबमिट करवाई गई।

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र):मुरथल गैंगरेप में वीरवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आई.जी.ममता सिंह के नेतृत्व में गठित एस.आई.टी. की तरफ से सील बंद स्टेटस रिपोर्ट सबमिट करवाई गई। इसकी एक कॉपी एमिक्स क्यूरी अनुपम गुप्ता को प्रदान की गई। रिपोर्ट पर एक नजर के आधार पर गुप्ता ने कहा कि इसमें कोई नया तथ्य नहीं है। वहीं दूसरी ओर मूनक नहर को नुक्सान पहुंचाने के मामले में सी.बी.आई. काऊंसिल सुमित गोयल ने कोर्ट को बताया कि मूनक नहर मामले में दर्ज चारों एफ.आई. आर.को लेकर सी.बी.आई. ने अलग से केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस पर रिपोर्ट पेश करने हेतु 3 महीने का समय मांगा गया। वहीं हरियाणा सरकार ने फरवरी, 2016 में हरियाणा में हुए जाट आरक्षण को लेकर दर्ज आपराधिक केसों में से 137 केसों को वापस लेने की मांग की। इनमें 19 जिलों व एक मंडल में दर्ज केस शामिल हैं।

अहम केसों में जांच के बजाय केस वापस लेने पर ध्यान:HC
अनुपम गुप्ता ने सरकार द्वारा केस वापस लेने की मांग के विरोध में कहा कि एक ओर हाईकोर्ट इस गंभीर मामले की मॉनीटरिंग कर रही है,वहीं दूसरी ओर सरकार केस वापस लेना चाहती है। सरकार द्वारा पॉलिसी के तहत यह कार्रवाई करने के जवाब में जस्टिस एस.एस.सारों ने कहा कि अगर कोर्ट पॉलिसी के मुताबिक चलने लगे तो कानून को भूलना पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि आप कानून का अपमान करने वाली पॉलिसी कैसे ला सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि आप अहम केसों की जांच को लेकर कार्रवाई करने की बजाय ध्यान केस वापस लेने की ओर किए हुए हैं। गुप्ता ने कहा कि जिन केसों को सरकार वापस लेने की सोच रही है,उनमें से कुछ को प्रकाश सिंह कमेटी ने गंभीर प्रवृत्ति का बताया था। इन केसों में रोहतक के महम में दर्ज 9 केसों का हवाला दिया गया। इस पर एमिक्स क्यूरी अनुपम गुप्ता ने कहा कि अथॉरिटी ने संभवत: हर केस को पृथक रूप से देखने की बजाय सामूहिक रूप से देखा है। हालांकि सरकारी वकील ने इस बात का विरोध किया।

अंतिम फैसला ट्रायल कोर्टस का 
सरकार ने कहा कि इन केसों को वापस लेने के संबंध में डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटीज की सिफारिश की गई है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला ट्रायल कोट्र्स का होगा। हाईकोर्ट को बताया गया कि डिस्ट्रिक्ट कोर्टस के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नीज (डी.ए.) ने भी इस संबंध में अपनी राय दी है। हालांकि सरकार डी.ए. की राय का कोई सबूत सुनवाई दौरान पेश नहीं कर सकी। ऐसे में हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने फटकार लगाते हुए डी.ए. की राय पेश करने को कहा है। केस की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी। 

भाईचारा बना रहे इसलिए की सिफारिश: सरकार 
केस वापस लेने के पीछे सरकार ने दलीलें दी कि इन केसों में आरोपियों ने रिप्रैजैंटेशंस दी थी कि वह इन केसों में आरोपी नहीं है। इनकी रिप्रैजैंटेशंस पर प्रशासनिक और पुलिस अथॉरिटीज ने विचार किया जिसमें अपराध की प्रवृत्ति व इसकी गंभीरता पर भी विचार किया गया था जिसके बाद केस वापस लेने की सिफारिशें देते हुए कहा गया कि केस वापस लेने से समाज में विभिन्न समुदायों में भाईचारा पैदा होगा और अनावश्यक अदालती विवाद कम होंगे। कहा गया कि पब्लिक पॉलिसी के तहत यह निर्णय लिया गया है। केस वापस लेने के पीछे सुप्रीम कोर्ट की राजिंद्र कुमार जैन केस की जजमैंट का हवाला भी दिया गया। 

2061 में से 137 केस वापस लेने की सोच रही सरकार 

जिला              केस वापस            कुल
गुरुग्राम               22                  29
फरीदाबाद              2                    2
पंचकूला                1                    1
अम्बाला               3                    6
कुरुक्षेत्र                 5                  10
कैथल                   6                  87
यमुनानगर            4                   6
रोहतक               16              1212
सोनीपत              7                 192
पानीपत              2                   23
झज्जर              15                  172
हिसार                 5                   155
हांसी                   4                     --
सिरसा                4                       9
भिवानी               4                     36
जींद                  10                    65
रेवाड़ी                 11                   12
नारनौल               9                   10
पलवल                 2                    9
दादरी                   5                  25
 

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