Edited By Punjab Kesari, Updated: 06 Jun, 2017 04:30 PM
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के आह्मन पर मंगलवार को देश के अधिकांश निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स हड़ताल पर रहे। अपनी सुरक्षा की मांग को
हरियाणा:इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के आह्मन पर मंगलवार को देश के अधिकांश निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स हड़ताल पर रहे। अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर आज निजी अस्पतालों की अो.पी.डी बंद रही। दरअसल PNDT एक्ट के तहत छोटे-छोटे मामलों को लेकर डॉक्टर्स को तंग किया जाता है, जिसके विरोध में देशभर के डाक्टरों ने अपनी सुरक्षा की मांग की है। देश भर के डॉक्टर्स ने राजघाट पर धरना दिया। वहीं हरियाणा प्रदेश के कई चिकित्सकों ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया। हालांकि आपातकालीन सेवाओं के तहत अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
बहादुरगढ़(प्रवीन धनखड़):हरियाणा के बहादुरगढ़ में भी निजी अस्पलात की अो.पी.डी. बंद रही। डॉक्टर्स का कहना है अक्सर मरीजों के परिजन बिल देने के समय डॉक्टर से झगड़ा करते हैं और अस्पताल में तोड़फोड़ भी करते हैं। जिससे डॉक्टर में असुरक्षा की भावना घर कर गई है। PNDT एक्ट के बहाने अस्पताल और छोटे क्लीनिकों पर गलत नियम कायदे थोपने की कोशिश की जा रही है इसलिए डॉक्टर्स उस एक्ट में संसोधन की मांग भी कर रहे हैं। डॉक्टर्स के हड़ताल में जाने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
करनाल(कमल मिड्ढा):अपनी मांगों को लेकर आज सीएम सिटी करनाल में भी डाक्टरों द्वारा ओ.पी.डी. बंद रखी गई। सभी निजी डाक्टरों ने भी लघु सचिवालय में एकजुट होकर जिला उपायुक्त को देश के प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
भिवानी(अशोक भारद्वाज):भिवानी में भी निजी डॉक्टर्स हड़ताल पर थे। अधिकांश निजी अस्पतालों पर ताले लटके दिखाई दिए, जिसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। चिकित्सकों ने इससे पूर्व 16 नवम्बर को भी अपनी आवाज सरकार समक्ष रख चुके हैं। एक सप्ताह भिवानी में प्रदेश मुख्यमंत्री को भी चिकित्सक टीम समस्याओं को लेकर गुहार लगा चुकी है। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
बहरहाल सरकार डॉक्टरों की मांगों पर क्या रूख दिखाती है ये तो बाद की बात है। मगर इतना जरूर है कि चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ पूरी तरह मोर्चा खोल दिया है।
ये हैं आई.एम.ए. की प्रमुख मांगें
* डॉक्टर एवं मेडिकल सेक्टर पर हिंसा मारपीट एवं तोड़फोड़ के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए।
* डॉक्टर व उनके चिकित्सा प्रतिष्ठानों के रजिस्ट्रेशन को एकल विंडो के माध्यम से किया जाए व लाइसेंस राज को समाप्त किया जाए।
* इलाज व जांच की प्रक्रिया का अपराधिकरण न होने दिया। यानि इलाज एवं जांच में लापरवाही की शिकायत थाने में न होकर सीएमओ या एमसीआई को की जानी चाहिए।
* एमसीआई में सुधार किया जाए न कि एमसीआई को भंग कर नेशनल मेडिकल कमीशन को थोपा जाए।
* नेशनल एग्जिट टेस्ट के प्रस्ताव को खारिज किया जाए। उसके स्थान पर एक समान फाइनल एमबीबीएस परीक्षा कराई जाए।
* डॉक्टरों द्वारा इलाज व जांच लिखने की पेशेवर स्वतंत्रता मिले। इलाज की प्रक्रिया में सरकारी दखल बंद हो।
* केवल जेनरिक दवाओं को लिखने की बाध्यता न हो।
* जेनरिक व ब्रांडेड दवाओं के रेट में बहुत अंतर न हो।
* एलोपैथिक दवा लिखने के लिए केवल एलोपैथिक डॉक्टरों (एमबीबीएस व बीडीएस डॉक्टरों) को अधिकृत किया जाए।
* हेल्थ बजट बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत बढ़ाकर किया जाए। जो कि वर्तमान में लगभग एक प्रतिशत है।
* प्रस्तावित क्लीनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट को खारिज किया जाए। उसके स्थान पर वर्तमान सीएमओ रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को सुधार के साथ ऑनलाइन किया जाए।
* PCPNDT एक्ट के लिपिकीय त्रुटि को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाए।
* 6 हफ्ते के अंदर इंटरमिनिस्ट्रियल कमेटी के रिपोर्ट को लागू किया जाए।
* आवासीय क्षेत्र में चलने वाले क्लीनिक डायग्नोस्टिक सेंटर, नर्सिंग होम को जन उपयोग की सुविधा के तहत लेंड सिलिंग से मुक्त रखा जाए।