विपक्षियों के तीर और अपनों के रोड़े, खट्टर फिर भी रफ्तार से दौड़े

Edited By Punjab Kesari, Updated: 24 Jul, 2017 03:21 PM

haryana hisar manohar lal khattar opposition

तीन वर्ष पूर्व 26 अक्तूबर 2014 को बतौर सी.एम. कमान संभालने वाली खट्टर सरकार ने चुनौतियों को पार कर एक हजार दिन पूरे कर लिए हैं। इस अवधि में जहां विपक्षियों

हिसार(संजय अरोड़ा):तीन वर्ष पूर्व 26 अक्तूबर 2014 को बतौर सी.एम. कमान संभालने वाली खट्टर सरकार ने चुनौतियों को पार कर एक हजार दिन पूरे कर लिए हैं। इस अवधि में जहां विपक्षियों के तीर उनके खिलाफ चले वहीं अपने भी ‘रोड़े’ बने रहे। लेकिन अपनी कार्यकुशलता के बूते सी.एम. एक हजार दिन पूरे होने पर विकास का दंभ भर रहे हैं। इन तमाम परिस्थितियों के बावजूद सी.एम. की ‘रफ्तार’ सरकार की वर्तमान अवधि के बराबर ही रही। 

एक खास पहलू ये भी है कि सरकार ने लगभग दो वर्षों में करीब साढ़े 3 हजार विकास घोषणाएं की, लेकिन हजार दिनों के अंतराल में सरकार ने तीन गुणा से अधिक घोषणाओं को भी मूर्तरूप प्रदान किया है। ऐसा पहली बार हुआ कि हरियाणा में भाजपा अपने दम पर सत्ता तक पहुंची। सी.एम. का शुरूआती दौर उलझा रहा, एक तरफ विपक्षीदल इस बात पर घेरने को आमादा था कि मुख्यमंत्री को अनुभव नहीं है तो दूसरी ओर उनकी नियुक्ति को अपने भी पचा नहीं पा रहे थे। इसके अलावा उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण पहलू ये भी था कि बतौर मुख्यमंत्री खट्टर के लिए हरियाणा की भौगोलिक स्थिति व जातीय समीकरणों का भान नहीं था। ऐसे में उन्होंने पहले  2 वर्षों में सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में पगफेरा किया। इसके दोहरे लाभ हुए। एक तो वे हरियाणा के भौगोलिक व जातीय समीकरणों को समझने में कामयाब रहे। वहीं, इस दौरान लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं व जरूरतों को समझा। यही कारण है कि मौके पर ही उन्होंने जरूरत के हिसाब से घोषणाएं कीं। 

तीसरे वर्ष में काम और काम
सरकार एक हजार दिन पूरे होने पर ऐसे समय में रैली करने जा रही है, जिस दौरान सरकार हरियाणा की स्वर्ण जयंती समारोह भी मना रही है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी सरकार ने एक नवम्बर को गुड़गांव में एक रैली थी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी आए थे। इस बार भी सरकार तैयारी में जुटी है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का हरियाणा दौरा मुख्यमंत्री के लिए हर बार संजीवनी साबित हुआ है क्योंकि वे जब-जब हरियाणा में आए तो उन्होंने रिपोर्ट कार्ड देख खट्टर की पीठ थपथपाई। इसी की बानगी है कि सरकार ने एक हजार दिन की अवधि से पूर्व जो जो घोषणाएं की। उन घोषणाओं को मूर्तरूप प्रदान करना शुरू कर दिया है।  सरकार ने साफ कर दिया है कि तीसरा वर्ष सिर्फ काम और काम का है। मसलन अधिकारियों को फील्ड पर उतार कर जहां विकास कार्यों का जायजा लेने के निर्देश दिए हैं तो वहीं सचिवालय में बैठे अफसरों को भी हिदायत जारी कर कहा गया कि वे मीटिंगों के बजाय एक दिन नो मीटिंग-डे रखें।

भ्रष्टाचार पर रहा फोकस
राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि सरकार का भ्रष्टाचार पर खासा फोकस रहा। इसकी शुरूआत खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सी.एल.यू के मामले में बड़ा स्टैप लेते हुए इसे अपने सचिवालय से बाहर कर अफसरों पर छोड़ दिया। इसके अलावा तबादलों के मामले में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए इसी सरकार ने बिजली व शिक्षा विभाग सहित कई विभागों में ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी शुरू की। जमीन खरीद-बेच के मामले में किसानों के लिए एक पोर्टल तैयार किया। ऐसे बहुत से मामले हैं जिनमें साफ कहा जा सकता है कि सरकार भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए काफी सतर्क रही।

नई परिभाषा गढ़ी 
सादगी व शराफत के कारण चर्चा में रहे खट्टर भले ही शासन व प्रशासन में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ने में कामयाब रहे। फिर भी वे विपक्षी दलों के निशाने पर केवल इसलिए रहे कि उन्हें अनुभवहीन बताया गया। लेकिन उन्होंने खुद को साबित किया कि उनकी दृढ़इच्छा इतनी प्रबल है कि दिक्ततों को उनके सामने से हटना ही होगा। लिहाजा, उन्होंने नए प्रयोग किए व नई परिभाषा को गढ़ा। उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र में जाकर समान विकास का नारा देते हुए अतीत में चल रही भेदभाव की कमी को भी दूर करते हुए हरियाणा एक और हरियाणवीं एक का नारा दिया।
 

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