CM के आश्वासन को ठेंगा दिखाने से भी नहीं चूके जी.एल. शर्मा:अग्रवाल

Edited By Updated: 19 Apr, 2017 11:50 AM

gl did not miss the cm assurance sharma agarwal

पूंजी निवेशकों को न्याय दिलाने के लिए जब मुख्यमंत्री यहां के डी.सी. को यूनिटेक की प्रापर्टी और देनदारियों का बही खाता तैयार करने के

गुडग़ांव (गौरव):पूंजी निवेशकों को न्याय दिलाने के लिए जब मुख्यमंत्री यहां के डी.सी. को यूनिटेक की प्रापर्टी और देनदारियों का बही खाता तैयार करने के निर्देश दे रहे थे ठीक उसी दौरान हरियाणा डेयरी विकास प्रसंघ के चेयरमैन जीएल शर्मा यूनिटैक की जमीन खरीदने और बिकवाने में लगे थे ताकि यूनिटेक के निदेशकों को पूंजी निवेशकों का रुपए लौटाने के दबाव से बचाया जा सके। 

यह रहस्योदघाटन करते हुए विधायक उमेश अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल बेशक जीएल शर्मा को अपना विश्वास पात्र मानते हों लेकिन मौका मिलते ही अपने संरक्षको की ही पीठ में छुरा घोंपने में जीएल शर्मा कोई कसर नहीं छोड़ते। ग्रीवैंसिस कमेटी की पिछले साल हुई 4 बैठकों में मुख्यमंत्री ने युनिटैक के पूंजी निवेशकों को आश्वासन दिया था कि उनका रुपया डूबने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने तब तत्कालीन डी.सी. टी.एल. सत्यप्रकाश को आदेश दिया कि वे यूनिटेक की जमीन, संपत्ति और देनदारियों का लेखा जोखा इकटठा कर रिपोर्ट तैयार कर उन्हें पेश करें ताकि पूंजी निवेशकों को न्याय दिलाया जा सके।

मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद जीएल शर्मा ने यूनिटैक से अपनी गोटियां बैठानी शुरू कर दी। उन्होंने न केवल यूनिटैक की करीब 100 एकड़ जमीन बिकवाने में भूमिका निभाई बल्कि कुछ जमीन खुद भी ख्रीदी। जमीन बिकवाने सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया गया। यूनिटैक की बादशाहपुर क्षेत्र की जितनी भी जमीन जी.एल. शर्मा ने बिकवाई या खरीदी उसकी रजिस्ट्री सर्किल रेट पर करवाई जबकि खरीद-बेच बाजार भाव से महंगे दामों में की गई। 

उमेश अग्रवाल ने कहा कि मैसर्ज यूनिटैक लिमिटेड, मैसर्ज क्रिमसन डवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड व मैसर्ज सबलाइम प्रोपर्टीज की मुस्तील नंबर 77 व 78 की कुल 6 कनाल 11 मरला जमीन जी.एल. शर्मा (ग्यारसी लाल शर्मा) ने अपने ओल्ड डी.एल.एफ . का पत्ता दर्ज करवाते हुए खरीदी। इस जमीन की रजिस्ट्री सर्किल रेट के हिसाब से 2 करोड़ 64 लाख 66 हजार रुपये में कराई गई जबकि इसकी बाजार कीमत दस करोड़ रुपए से भी अधिक है। जी.एल. शर्मा को मुख्यमंत्री ने जनता को दिए आश्वासन की कोई परवाह नहीं थी। उन्हें केवल अपने फायदेे से सरोकार रहा। अपने फायदे और लालच से मतलब रखना उनकी फि तरत में शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिहं से जुड़कर जीएल शर्मा ने जितना फायदा उठाया उससे गुरुग्रााम के ही नहीं पूरे दक्षिण हरियाणा के लोग परिचित है और जब उनकी राजनितिक महत्वकांक्षा की पूॢत नहीं हुई तो 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ  जो ताडंव किया उससे भी यहां के सभी लोग परिचित है। यूनिटैक की जमीन खरीद बेच के मामले में भी जब उन्हें मोटा मुनाफा दिखार्द दिया तो उन्होंने मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा की भी परवाह नहीं की। ये उनके आरोप नहीं है, ऐसी स'चाई है जो सरकारी रिकार्ड में दर्ज है। मुख्यमंत्री इसकी स्वयं जांच करवा सकते हैं ताकि उन्हें आइनें के पीछे की सूरतें भी साफ  नजर आ सके।  

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