दिव्यांग पूजा ने देश की 6 प्रतिभाओं में बनाई जगह, अवॉर्ड से मिली हौसलों को उड़ान

Edited By Updated: 10 Apr, 2017 02:16 PM

divyaung pooja has won the award

वह पिता की गोद में सवार होकर हर रोज बैंक जाती है लेकिन अपने परिवार का सबसे बड़ा सहारा भी वहीं है। दिव्यांगता उसकी कमजोरी नहीं बल्कि उसके लिए चुनौती

रेवाड़ी(मोहिंदर भारती):वह पिता की गोद में सवार होकर हर रोज बैंक जाती है लेकिन अपने परिवार का सबसे बड़ा सहारा भी वहीं है। दिव्यांगता उसकी कमजोरी नहीं बल्कि उसके लिए चुनौती है, जिसे वह हर रोज पार करती है। शहर के मोहल्ला नई आबादी की रहने वाली पूजा गुप्ता उन लोगों के लिए उदाहरण है जो जरा सी तकलीफ में घबरा जाते हैं। शत प्रतिशत विकलांग पूजा ने अपने हौंसलों व हिम्मत से बैंक अधिकारी की नौकरी हासिल की और हाल ही में वह प्रदेश की एक मात्र बेटी भी बनी, जिसे चेन्नई की एबिलिटी फाउंडेशन संस्था की ओर से एबिलिटी अवॉर्ड 2017 से सम्मानित किया गया। 
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देश की छह प्रतिभाओं में बनाई जगह 
नई आबादी निवासी अजय गुप्ता की बड़ी बेटी पूजा जन्म के समय बिल्कुल ठीक थी लेकिन 6 माह के बाद उसे अजीब तरह की बीमारी होने लगी। उसके हाथ व पैर में सेंसेशन बिल्कुल कम होती चली गई। उसके हाथों व पैरों ने धीरे-धीरे काम करना ही बंद कर दिया। चिकित्सकों को दिखाया तो पता चला वह एटेक्सिया नामक बीमारी से ग्रसित है। चिकित्सक इसे जींस की प्रॉब्लम मानते हैं तथा इस बीमारी का कोई उपचार नहीं है। असाध्य रोग से पीड़ित होने के बावजूद पूजा ने हार नहीं मानी। पढ़ाई में अव्वल रहने वाली पूजा ने शहर के अहीर कालेज से एमकॉम तक की पढ़ाई की। बैंक के प्रोबेशनरी ऑफिसर की परीक्षा दी और सफलता हासिल करते हुए 28 जुलाई 2014 को बतौर पीओ पीएनबी बैंक की मुख्य शाखा में नौकरी ज्वाइन की।
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स्कूल व कालेज में नियमित तौर पर पढ़ाई करने वाली पूजा बैंक की नौकरी में भी उतनी ही समर्पित है। हर रोज सुबह पिता अजय गुप्ता व चाचा बृजभूषण गुप्ता उसे बैंक तक पहुंचाते हैं। इसके आगे का सफर दिनभर पूजा खुद ही तय करती है। बैंक अधिकारी पूजा अन्य कर्मचारियों की तरह ही बैंक का हर काम निपटाती है। अंगुलियों के बीच में पेन फंसाकर चलाती है तो लेपटाप व मोबाइल का भी अकड़ी हुई अंगुलियों के सहारे व कोहनी से इस्तेमाल करती है। घर में मां सुनीता गुप्ता उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती है। बुजुर्ग माता-पिता व 2 छोटे भाईयों का सहारा आज पूजा ही है।  
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अवार्ड से मिली ऊंचाई 
सिर्फ पूजा ही नहीं सबसे छोटा भाई निखिल भी इसी बीमारी से पीड़ित है। हालांकि एक भाई लोकेश गुप्ता पूरी तरह से सामान्य है। लोकेश को मालूम चला कि चेन्नई की संस्था एबिलिटी फाउंडेशन दिव्यांगता को मात देकर कामयाब होने वाले लोगों को सम्मानित करती है। लोकेश ने अपनी बहन पूजा की कामयाबी की कहानी के बारे में संस्था को मेल कर दिया। संस्था के लोग जनवरी में रेवाड़ी आए तथा पूजा के सफर पर पूरी विडियोग्राफी की। 18 फरवरी को पूजा देश के उन छह दिव्यांगों में शामिल हुई जिन्हें संस्था की ओर से एबिलिटी अवार्ड 2017 से पुरस्कृत किया गया। उसे पुरस्कार के तौर पर ट्राफी, सर्टिफिकेट व 1 लाख की नकद राशि दी गई। पूजा प्रदेश की एकमात्र दिव्यांग रही जिसे यह सम्मान मिला। पूजा अब आईएएस की तैयारी कर रही है और उसका सपना है कि वह अपने जैसे दिव्यांगों के लिए संस्था चलाए। 
 

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