Edited By Punjab Kesari, Updated: 14 Nov, 2017 07:00 AM
यह पुस्तक वाणी एवं श्रवण दिव्यांग बच्चों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लिखी गई है। राज्यपाल ने कहा कि दिव्यांग देश व समाज पर बोझ नहीं हैं। जनगणना 2001 के मुताबिक भारत में 2 करोड़ 19 लाख व्यक्ति दिव्यांग थे। यह संख्या जनगणना 2011 में बढ़कर...
चंडीगढ़(बंसल):दिव्यांगों की सेवा मानवता की सच्ची सेवा है। व्यक्ति को बनाते समय भगवान से जो कमी रह गई थी दिव्यांगों की मदद करने वाले समाजसेवी उस कमी को पूरा करते हैं। इसलिए उनका काम भगवान से भी बढ़कर है। यह बात राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने राजभवन में समाजसेवी डा. शरणजीत कौर द्वारा लिखी पुस्तक
‘सोशल वर्क इंटरवैंशन विद स्पीच एंड हेयरिंग इमपेयर्ड’ बोधन में कही।
यह पुस्तक वाणी एवं श्रवण दिव्यांग बच्चों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लिखी गई है। राज्यपाल ने कहा कि दिव्यांग देश व समाज पर बोझ नहीं हैं। जनगणना 2001 के मुताबिक भारत में 2 करोड़ 19 लाख व्यक्ति दिव्यांग थे। यह संख्या जनगणना 2011 में बढ़कर 2 करोड़ 68 लाख हो गई। इतने अधिक लागों को यदि हम अक्षम मान लेंगे तो इससे देश को भारी हानि होगी। इससे पहले विख्यात विचारक व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विकलांग के स्थान पर दिव्यांग शब्द देकर पूरी दुनिया के दिव्यांगों का मनोबल बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ को भी दिव्यांगों के लिए ‘डिसेबल’ शब्द से आगे बढऩा चाहिए।