गेहूं बर्बादी पर गंभीर हुई सरकार, कई जिलों में PPP मोड पर बनेंगे गोदाम

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Jan, 2018 04:41 PM

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हरियाणा के गोदामों में हर साल हजारों मीट्रिक टन गेहूं की खराबी को रोकने के लिए खट्टर सरकार में गेहूं भंडारण की क्षमता बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने होमवर्क पूरा कर लिया है। पहली कड़ी में पब्लिक प्राइवेट...

चंडीगढ़ (पांडेय): हरियाणा के गोदामों में हर साल हजारों मीट्रिक टन गेहूं की खराबी को रोकने के लिए खट्टर सरकार में गेहूं भंडारण की क्षमता बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने होमवर्क पूरा कर लिया है। पहली कड़ी में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पी.पी.पी. मोड के तहत प्रदेश के कई जिलों में गोदाम बनाने की कवायद शुरू की जा रही है। इसके लिए विशेषज्ञ सलाहकारों की नियुक्ति की जाएगी जो गोदामों को लेकर सलाह देंगे। मौजूदा समय में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के लिए सबसे बड़ी दिक्कत अपने कर्मचारियों से निपटना है। लिहाजा विभाग की ओर से सलाहकार समिति को ये सभी काम दिए जाएंगे जिसमें कर्मचारियों की कारगुजारी पर नजर रखें। 

विभागीय अफसरों के पास यह सूचना है कि कर्मचारियों की मिलीभगत से हर साल पानी डालकर माल खराब करने के अलावा गोदामों से चोरी भी की जाती है। सबसे ज्यादा मामले साइलोज गोदाम (स्टील गोदामों) के आते रहते हैं जिसमें गोदामों में जानबूझकर माल खराब करने, पानी गिराकर वजन बढ़ाने और चोरी जैसी घटनाएं आम बात थी लेकिन घरौंडा, जुंडला, करनाल व इंद्री जैसे स्थानों पर छापेमारी के बाद में केस दर्ज करवाने और शामिल कर्मियों के निलंबन करने के बाद में इस पर पूरी तरह से रोक लग गई है। अफसरों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं में जीरो टोलरैंस की पॉलिसी अपनाई जा रही है, ताकि कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जा सके।

प्रदेश में 82.7 लाख मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता
हरियाणा में कवर्ड गोदाम क्षमता 82.7 लाख मीट्रिक टन है, जबकि 5.42 लाख मीट्रिक टन निजी फर्मों से किराए पर ली जा रही है। साइलोज की बात करें तो 2 लाख मीट्रिक टन की क्षमता है। आंकड़ों पर गौर करें, तो राज्य में कुल क्षमता 89. 49 मीट्रिक टन, जिसमें से  74.51 मी. कवर्ड व खुले में रखने की 7 लाख टन की व्यवस्था है। इसी तरह से 111 लाख मीटर कवर व ओपन दोनों ही हो गए हैं। इस तरह से 120 लाख मीट्रिक टन की व्यवस्था फिलहाल है। जबकि सरकार इसके बाद भी 30 से 40 लाख मीट्रिक टन वाले गोदामों को बनाने की योजना पर काम कर रही है।
 

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