Edited By kamal, Updated: 14 Jun, 2019 02:24 PM
बाईपास के लिए जिले के किसानों की अधिग्रहण की गई भूमि का मुआवजा उन्हें न मिलने के कारण धरने पर बैठे किसानों...
यमुनानगर(त्यागी): बाईपास के लिए जिले के किसानों की अधिग्रहण की गई भूमि का मुआवजा उन्हें न मिलने के कारण धरने पर बैठे किसानों को जिला उपायुक्त ने गत सप्ताह 13 जून तक का समय दिया था। जिला उपायुक्त ने आश्वासन दिलवाया था कि 12 जून तक किसानों की अदायगी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से करवा दी जाएगी लेकिन 13 जून तक भी जब अदायगी नहीं हुई तो किसानों ने गुरुवार को एक बार फिर किसानों की महापंचायत हाईवे के किनारे धरना स्थल पर बुलाई।
हालांकि इससे पूर्व किसानों ने एक सप्ताह के लिए अपना धरना समाप्त कर दिया था और कहा था कि यदि उनकी अदायगी न हुई तो 13 जून की महापंचायत में वे आर-पार की लड़ाई का ऐलान करेंगे। किसान यूनियन का कहना था कि किसानों का मुआवजा 20 दिन के भीतर मिल जाना चाहिए। यदि 20 दिन के भीतर किसानों का मुआवजा न मिला तो फिर जो भी घटनाक्रम होगा उसकी जिम्मेवारी शासन व प्रशासन की होगी।
कार्यक्रम में संगठन सचिव हरपाल सिंह, गुरनाम सिंह, कर्म सिंह, गुरविन्द्र सिंह, महीपाल, रमेश, गुरनाम, रिखी राम, राजेश, संदीप, दलबीर व हरप्रीत आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे। जिला प्रशासन से इस प्रकार आश्वासन मिलने के बाद भारतीय किसान यूनियन ने जिला प्रशासन को साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि यदि 20 दिन में उनका आरबीटेटर द्वारा बढ़ाया गया मुआवजा किसानों के खाते में न डाला गया तो 3 जुलाई को भारतीय किसान यूनियन का कोई भी एक नेता जिला उपायुक्त के कार्यालय में ही आमरण अनशन पर बैठ जाएगा। इतना ही नहीं किसानों ने साथ में यह भी चेतावनी दी है कि इस एक किसान नेता के साथ 5 अन्य किसान भी आए दिन जिला उपायुक्त कार्यालय में आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। इसकी जिम्मेवारी जिला प्रशासन की होगी।
कुछ इस प्रकार है मामला
जिले के लगभग 28 गांव के 400 से अधिक किसानों की भूमि का अधिग्रहण बाईपास बनाने के लिए किया गया था। जिस समय भूमि अधिग्रहण किया गया तो उसके बाद किसानों को संतोषजनक मुआवजा नहीं मिला, जिसके कारण किसानों का केस आरबीटेटर के पास गया। 6 साल के लंबे अरसे के बाद आरबीटेटर ने इस मामले में सुनवाई करते हुए किसानों की जमीनों की मुआवजे में वृद्धि की।आरबीटेटर द्वारा 6 माह पहले किसानों के हक में अपना फैसला सुनाया गया था।
लेकिन 6 माह बीत जाने के बाद भी जब किसानों को फैसले के अनुसार पैसा नहीं मिला और किसानों की आर्थिक स्थिति बिगडऩे लगी तब किसानों में गुस्सा आया और उन्होंने अपने पैसे के लिए धरने प्रदर्शन शुरू कर दिए। इससे पूर्व भी किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मुख्यालय चंडीगढ़ में भी प्रदर्शन किया जा चुका है।
किसान हाईवे के किनारे ही धरने पर बैठ गए थे, जिन्हें पिछले सप्ताह जिला उपायुक्त ने एक सप्ताह का आश्वासन देकर उठा दिया था लेकिन अब एक सप्ताह के बाद भी जिला प्रशासन ने एक बार फिर 2 सप्ताह का समय मांग लिया। अब देखना यह है कि 2 सप्ताह बाद जिला प्रशासन किसानों को मुआवजा दिलवाता है या फिर किसान उपायुक्त कार्यालय में आमरण अनशन पर बैठते हैं।