सावधान! ढाबों का खाना कर सकता है आपको बीमार

Edited By Isha, Updated: 23 Sep, 2019 03:06 PM

careful eating dhabas can make you ill

फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की सुस्ती लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रही है। शहर के कई स्थानों में खाद्य सामग्री बनाकर उसे खुले में बेचा जा रहा है और खाद्य सामग्री बनाते समय साफ सफाई का भी ध्यान नहीं..........

यमुनानगर (सतीश): फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की सुस्ती लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रही है। शहर के कई स्थानों में खाद्य सामग्री बनाकर उसे खुले में बेचा जा रहा है और खाद्य सामग्री बनाते समय साफ सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता, खासकर ट्विन सिटी के ढाबों पर। लोग भी मुंह का स्वाद देखते हुए इन चीजों को बड़े शौक से खाते हैं। इस बात से अनजान कि यह सामग्री उनकी सेहत से खिलवाड़ कर रही है।

खाद्य सामग्री को लेकर रविवार को शहर के अतिव्यस्त इलाका दोनों बस स्टैंड का मौका मुआयना किया तो तो लोगों को परोसी जाने वाली खाद्य सामग्री बीमारी खुली पड़ी थी। बस स्टैंड के नजदीक खाद्य सामग्री बनाने वाली तमाम ढाबों-दुकानों पर साफ सफाई का जरा भी ध्यान नहीं रखा जाता। विभाग की लापरवाही से बस स्टैंड पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ होता है। यही हाल शहर के अन्य ढाबों का भी है। शहरवासियों का आरोप है कि संबंधित विभाग चैकिंग कर सैंपल भरने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

बस स्टैंड पर खाद्य सामग्री को बिना ढके खुले में रखकर बेचा जा रहा है। बर्तन धोने के स्थान पर भी गंदगी का आलम दिखा। कुल मिलाकर बस यही कहा जा सकता है। बस स्टैंड और अन्य ढाबों का खाना आपको बीमार कर सकता है।  बस स्टैंड के बाहर दर्जन भर ढाबों में लोगों की सेहत से खिलवाड़ होता है। लोगों को परोसी जाने वाली खाद्य सामग्री बेहद घटिया तरीके से व गंदगी के स्थान पर बनाई जा रही थी। अस्पताल में दाखिल मरीजों के परिजनों को मजबूरीवश इन्हीं ढाबों से खाना खाना पड़ता है।

डिस्काऊंट यानी गुणवत्ता से समझौता
शहर में इन दिनों कुछ कम्पनियां ढाबों से होम डिलीवरी दे रही हैं। इनका डिलीवरी का समय भी तय है। ऐसे में ढाबा संचालक सामान को बनाने में जल्दी करता है और इधर ये कम्पनियां 50 प्रतिशत तक डिस्काऊंट दे रही हैं। ऐसे में डिस्काऊंट के बदले गुणवत्ता से समझौता होगा, जाएगा तो ग्राहक की जेब से ही। प्रशासन भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। 

अधिकतर ढाबों में नहीं है किचन और पानी
शहर के अधिकतर ढाबों में किचन ही नहीं है। ऐसे में ये लोग खुले में ही खाना बना रहे हैं। कुछ ढाबा संचालकों ने तो पेड़ की छांव तले ही खुली रसोई बना ली है। अब चाहे खाद्य सामग्री में पक्षियों का मल जाए या फिर कारीगरों का पसीना। कुछ कारीगर तो सामग्री बनाते समय धूम्रपान भी करते है। इसके अलावा अधिकतर ढाबों के पास जल और सीवरेज का कनैक्शन नहीं है। ये लोग बाहरी किसी टोंटी से पानी लेकर आते हैं, फिर गंदे पानी से ही बार बार बर्तनों को धोते रहते हैं। कुछ जगह तो हालात ऐसे हैं कि गंदे और साफ बर्तन एक ही जगह रखे हुए हैं। 

सैंकड़ों ढाबे हैं शहर में
शहर की रेलवे और जगाधरी रोड पर कई ढाबे हैं। वर्कशाप रोड हो या फिर शहर के दोनों बस स्टैंड यहां पर भी ढाबों की भरमार है। रेलवे स्टेशन के नजदीक भी कई ढाबे हैं। 
इंडस्ट्रीयल एरिया यमुनानगर-जगाधरी मे भी कई ढाबे हंै। इसके अलावा कुछ लोगों ने तो लकड़ी के खोखे बनाकर बीच गंदगी के ढाबे खोल रखे हैं। 

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