फसलों पर भारी पड़ सकता है कोरोना वायरस, दुविधा में पड़ा किसान

Edited By Isha, Updated: 03 Apr, 2020 03:50 PM

corona virus may affect crops farmers in dilemma

अप्रैल माह का शुभारंभ हो चुका है। गेहूं की फसल ने भी अपना रंग बनाना शुरू कर दिया है। अगर सरसों की फसल की बात करें तो सरसों की कटाई...

रानियां (सतनाम) : अप्रैल माह का शुभारंभ हो चुका है। गेहूं की फसल ने भी अपना रंग बनाना शुरू कर दिया है। अगर सरसों की फसल की बात करें तो सरसों की कटाई जोरों पर चल रही है। हालांकि इस बार मौसम के बदलाव के कारण दस दिन फसल लेट है। फिर भी किसान को इस बात की ङ्क्षचता है कि विश्व व्यापी महामारी कोरोना वायरस पर नियंत्रण नहीं हो रहा है और कोरोना वायरस के केस देश में लगातार बढ़ रहे हैं। जिस कारण से किसान काफी चिंता कर रहा है। किसान सोच रहा है कि अगर कोरोना पर नियंत्रण नहीं हुआ तो क्या उनकी की समय पर कटाई नहीं हो पाएगी और कटाई हो भी गई तो क्या सरकार उनकी फसल को नहीं खरीदेगी।

हालांकि हरियाणा सरकार ने किसान की फसल को खरीदने के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। सरसों की फसल की खरीद 15 अप्रैल से शुरू कर दी जाएगी और गेहूं की खरीद को बीस अप्रैल को खरीदना शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि जो किसान मई माह मेंं अपनी फसल को बेचेगा तो उसकी फसल का प्रति किं्वटल पर बोनस दिया जाएगा लेकिन किसानोंं को कोरोना वायरस की भयंकर बीमारी पर विश्वास नहीं है कि अगर समाप्त नहीं हो पाई तो कहीं सरकार अपनी तारीखों को आगे न बढ़ा दें और कहीं किसान जीते जी न मर जाए क्योंकि किसान की फसल ही किसान के लिए उसकी शान होती है और फसल को देख-देख कर ही किसान अनेक प्रकार के कर्ज उठा लेता है कि फसल के आने पर सबके कर्ज उतर जाएंगे लेकिन फसल ही नहीं रही तो किसान जी कर क्या करेगा।

ऐसा सोच कर किसान परेशान हुआ पड़ा है। किसान पर आधारित खेत मजदूर भी होते हैं जो फसल पर ही निर्भर रहते हैं। अगर किसानों के साथ किस्मत गलत करती है तो खेत मजदूर पहले ही मर जाता है। अगर पुराने समय की बात का ताजा करें तो पुराने समय में गेहूं की खेती करने वाले किसान अपने फसल की कटाई बैसाखी के त्यौहार के बाद शुरू करते थे। कट चुकी थी और क्षेत्र की मंडिया पीला सोना से लबालब भर गई थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बात की चिंता किसानोंं को खाए जा रही है। 

तेरा क्या होगा सब्जी वाले:
सब्जियों का भंडारण तो एक सप्ताह से ज्यादा नहीं होता और जैसे ही सब्जियां तैयार होती है तो उसका मंडीकरण हर रोज होना जरूरी है। अन्यथा सब्जियां खराब होनी शुरू हो जाती हैं। बंद के चलते स्थानीय मंडियों में इतनी सब्जियों की बिक्री कम रेटों में होगी। ऐसा मान के चलो की स्थानीय मंडी में किसान अपनी सब्जी को मुफ्त में देकर आएगा। अगर बंद ना हो तो यही सब्जियां साथ लगते राज्यों की मंडियों में जाएगी। जहां पर इन सब्जियों की काश्त नहीं होती तो वहां पर किसानों को अच्छे दाम मिलने के आसार होते हैं लेकिन अब बंद के चलते किसान काफी मायूस दिख रहा है और अपने खेतों में भी जाने को मजबूर है तो दूसरी तरफ कोरोना वायरस का डर किसान को झकझोर कर रहा है।किसान बुधराम, मक्खन राम, मुखत्यार सिंह, साधू राम, बलवीर सिंह, गुरबचन सिंह, राजू राम, सतनारायण सिंह, श्रीचंद ने बताया कि भले ही देश में कोरोना वायरस के चलते देश को बंद किया गया है। 

गेहूं की फसल के लिए मशहूर रकबा:
क्षेत्र में 2 बैल्ट पंजाबी व बागड़ी गेहूं की फसल तैयार करने में मशहूर हैं। पंजाबी बैल्ट में जहां सब्जियों की भरमार रहती है। वहीं बागड़ी बैल्ट में गेहूं की फसल तैयार करने में नंबर आ गया है। किसानों ने बताया कि पंजाबी बैल्ट में 50-55 मण कनक निकलती है। जहां पर बागड़ी बैल्ट में अच्छे खेतों में 60 मण का आंकड़ा भी पार कर जाता है। इन दोनों बैल्टों का फसल तैयार करने को लेकर मुकाबला रहता है। पहले पंजाबी बैल्ट में कनक की अच्छी पैदावार होती थी। लेकिन अब पंजाबियों का रूझान सब्जियों की ओर हो गया है और जमीन सख्त होने के कारण गेहूं की पैदावार रतीले खेतों से कम होती है। 

क्षेत्र की 9 मंडियों में आता है गेहूं:
मुख्य अनाज मंडी शहर की अनाज मंडी है। इसके अलावा क्षेत्र में 8 सब स्टेशन खारिया, जीवन नगर, करीवाला, बणी, कुत्ताबढ़, ढूढिय़ावाली, घोड़ावाली व चक्कां बनाए गए हैं। 
लेकिन क्षेत्र में इतना गेहूं होता है कि ये मंडिया उस समय छोटी पड़ जाती हैं जब सरकार के द्वारा गेहूं की खरीद नहीं की जाती है और खरीदने के बाद फिर उसका उठान नहीं हो पाता है। मंडिया खचाखच भर जाती है। आवागमन रूक जाता है। किसी तरह कोई सुविधा नहीं रहती। लोग सड़कों, कच्चे रास्तों पर गेहूं डालने पर मजबूर हो जाते हैं। 

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