इन मुस्लिम महिलाओं को नहीं पसंद तीन तलाक बिल, कहा- शरिया कानून नहीं छोड़ेंगे

Edited By Shivam, Updated: 03 Aug, 2019 03:01 PM

मुस्लिम महिलाओं के साथ तीन तलाक के नाम पर हो रहे अत्याचार को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल पास करवा दिया है, लेकिन इसी बिल के विरोध में ही कुछ मुस्लिम महिलाएं आ गई हैं। जिनका कहना है कि उन्हें तीन तलाक बिल का कानू स्वीकार्य नहीं है,...

नूंह(एके बघेल): मुस्लिम महिलाओं के साथ तीन तलाक के नाम पर हो रहे अत्याचार को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल पास करवा दिया है, लेकिन इसी बिल के विरोध में ही कुछ मुस्लिम महिलाएं आ गई हैं। जिनका कहना है कि उन्हें तीन तलाक बिल का कानू स्वीकार्य नहीं है, बल्कि उन्हें शरियत के कानून ही पसंद हैं, जिन्हें वे मरते दम तक नहीं छोड़ेंगी। इन महिलाओं ने पीएम मोदी को यह भी सलाह तक दे दी है कि इस्लाम के मामले में भाजपा सरकार दखलंदाजी न करे।

PunjabKesari, teen talaq

दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक पर बनाए गए बिल के विरोध में मेवात की महिलाओं ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।  मुस्लिम महिलाओं ने एक सुर में कहा कि उन्हें शरिया कानून पसंद है। इस्लाम में पैदा हुए हैं, तो इस्लाम के मुताबिक बने कानून को ही माना जाएगा। जमींयत उलमा साकरस के सदर मुफ्ती सलीम अहमद साकरस एवं हल्का मांड़ीखेड़ा के अध्यक्ष मौलाना साबिर कासमी ने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने तीन तलाक पर जो बिल पारित किया है, उसका मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड़ एवं मुस्लिम महिलाएं जमकर विरोध कर रही हैं।

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उन्होंनें कहा कि तीन तलाक पर कानून पारित कर केंद्र सरकार मुस्लिम महिलाओं के साथ अत्याचार कर रही है। उन्होंने इसके अलावा इस बिल में काफी सारी खामियां बताई। इसलिए उन्होंने मांग की कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनके सहयोगी केंद्रीय मंत्रियों को चाहिए कि वे शरियत और मजहब के मामलों में दखलअंदाजी न करें।

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महिलाओं ने कहा कि वे शरीयत के खिलाफ किसी सूरत में नहीं जा सकती। 1400 वर्षों से जो इस्लाम में चला आ रहा है और महिलाओं को पुरुषों के पीछे चलना सिखाया है, उन्हें वही रास्ता पसंद है। जब तक उनका जीवन है तब तक उन्हें ऐसे किसी बिल की जरुरत नहीं है। मेवात की धरती से महिलाएं पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को मैसेज देना चाहती हैं कि इस्लाम के मामले में भाजपा सरकार दखलंदाजी न करे। 

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