इंजीनियर से संत बने रामपाल का दिलचस्प है कच्चा चिट्ठा(Video)

Edited By kamal, Updated: 16 Oct, 2018 06:56 PM

16 अक्तूबर को एक लोक का अंत हो गया। हिसार की अतिरिक्त जिला एवं सत्र कोर्ट ने सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। जो कभी इंजिनियर बनकर मशीनें बनाने के सपने देखता था, अब वो जेल में अपने पुराने स्वर्णिम दिनों को याद कर उन्हें...

हिसार(कमल वधावन): 16 अक्तूबर को एक लोक का अंत हो गया। हिसार की अतिरिक्त जिला एवं सत्र कोर्ट ने सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। जो कभी इंजीनियर बनकर मशीनें बनाने के सपने देखता था, अब वो जेल में अपने पुराने स्वर्णिम दिनों को याद कर उन्हें संजोएगा और कहलाएगा, उम्रकैदी रामपाल...।
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सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल को उसके कर्म की सजा मिल गई और एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इतना ही नही उनके 15 समर्थकों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बता दें चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या मामले में रामपाल समेत 15 लोगों को 11 अक्टूबर को अतिरिक्त जिला एवं सत्र कोर्ट हिसार ने दोषी करार दिया था। हालाकि रामपाल के वकील एपी सिंह का कहना है कि अदालत के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती देंगे।
PunjabKesariरामपाल मामले में 136 बार हुई सुनवाई 
रामपाल पर दो मर्डर केस दर्ज किए गए थे। सतलोक आश्रम का रामपाल केस नंबर 429 और 430 के हत्याओं के मामलों में कुल 136 बार सुनवाई हुई। तीन साल 10 महीने और 22 दिन तक चली सुनवाई में 11 अक्तूबर को सभी आरोपी दोषी करार दिए गए। केस नंबर 429 के तहत मामला दर्ज होने से लेकर फैसले तक अदालत में कुल 64 बार सुनवाई हुई। केस नंबर 430 में फैसले तक कुल 72 सुनवाई अदालत में हुई। केस नंबर 429 में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपियों को उम्रभर कैदी की सजा सुना दी।
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आखिर क्या था ये पूरा मामला
पहला मामला दिल्ली में बदरपुर के पास मीठापुर के शिवपाल की शिकायत पर जबकि दूसरा मामला उत्तर प्रदेश में ललितपुर जिले के सुरेश ने दर्ज कराया था। दोनों ने रामपाल के आश्रम के अंदर अपनी पत्नियों की हत्या की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि दोनों महिलाओं को कैद करके रखा गया और बाद में उनकी हत्या कर दी गई। हत्या के आरोपों के अलावा इन पर लोगों को गलत तरीके से बंधक बनाने का आरोप लगाया गया था। 
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हाईप्रोफाइल था समर्थकों का ड्रामा 
नवंबर 2014 में हत्या के आरोपों के बाद पुलिस रामपाल को गिरफ्तार करने उनके आश्रम में पहुंची तो लगभग 15 हजार अनुयायियों ने रामपाल के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए। जिसके बाद पुलिस ने 12 एकड़ जमीन में फैले आश्रम को घेर लिया था। आश्रम में पुलिस और रामपाल समर्थकों के बीच टकराव हुआ था। इस दौरान 5 महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई। कई दिन चले इस ड्रामे से पुलिस और सरकार की काफी किरकरी भी हुई। 
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रामपाल पर ये हैं बड़े मामले
1. मध्‍य प्रदेश निवासी रजनी की आश्रम में मौत मामले में हत्‍या का केस

2.सतलोक आश्रम में भगदड़ के दौरान पांच भक्‍तों की मौत पर रामपाल और उसके 13 सहयोगियों पर हत्‍या का दूसरा केस.

3. रामपाल सहित उसके 942 समर्थकों पर देशद्रोह का केस। 

4. रामपाल और उसके चार अन्‍य साथियों पर रास्‍ता रोक कर संगत को बंधक बनाने का मामला।

5. रामपाल और उसके साथियों पर नवंबर 2014 में सरकारी काम में बाधा डालने का मामला।

6. रामपाल और उसके 14 साथियों पर पुस्‍तकों के माध्‍यम से धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस।

7. सतलोक आश्रम में करीब 400 सिलेंडर पाए जाने पर आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम के तहत केस।

क्या थी रामपाल की एक तिलस्मी दुनिया 
खुद को कबीरपंथी और भगवान का रूप बताने वाला रामपाल, हिंदू धर्म के भगवानों को नहीं मानते थे। रामपाल का जन्म सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में हुआ। किसान के घर पैदा हुए रामपाल ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी की। नौकरी के दौरान रामपाल की मुलाकात 107 साल के कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज हुई और रामपाल, रामदेवानंद के शिष्य बन गए। 21 मई 1995 को संत रामपाल ने 18 साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सत्संग करने लगे। संत रामपाल के अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई। कमला देवी नाम की एक महिला ने करोंथा गांव में बाबा रामपाल दास महाराज को आश्रम के लिए जमीन दे दी। 1999 में बंदी छोड़ ट्रस्ट की सहायता से रामपाल महाराज ने सतलोक आश्रम की नींव रखी। 
   


 

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