नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ हरियाणा में उठ रही आवाज, किए जा रहे ये दावे

Edited By Shivam, Updated: 11 Dec, 2019 09:24 PM

केन्द्र सरकार द्वारा देश में नागरिक संशोधन बिल लागू करने का प्रस्ताव राज्यसभा में रखा गया, जिसका विपक्ष द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा है। नागरिकता संशोधन बिल खिलाफ विरोध की आवाज अब हरियाणा प्रदेश में भी उठने लगी है। प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य...

नूंह/ रोहतक (अनिल/ दीपक): केन्द्र सरकार द्वारा देश में नागरिक संशोधन बिल लागू करने का प्रस्ताव राज्यसभा में रखा गया, जिसका विपक्ष द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा है। नागरिकता संशोधन बिल खिलाफ विरोध की आवाज अब हरियाणा प्रदेश में भी उठने लगी है। प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र नूंह में मेवात विकास सभा ने पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में मेवात विकास सभा की मीटिंग बुलाकर कैब तथा एनआरसी के खिलाफ पंचायत रखी। इसके साथ ही रोहतक में एसयूसीआई  (कम्युनिस्ट) ने नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

मेवात में आयोजित पंचायत में जिले के विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए लोग पहुंचे, यह पंचायत 3 घंटे तक चली। जिसमें कैब तथा एनआरसी के खिलाफ कड़े निर्णय लिए गए। संगठन के प्रधान सलामुद्दीन ने बताया कि कैब का कानून सरकार ला रही है जो आज राज्यसभा में पेश हुआ है। वह देश की आत्मा के खिलाफ है, देश के जो संविधान व मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। इसी को लेकर मेवात विकास सभा ने सारे इलाके की पंचायत बुलाई और सभी की राय ली गई कि इसके खिलाफ सभी को एक लंबा आंदोलन लडऩा है।

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सलामुद्दीन ने बताया कि यदि यह कानून पास हो जाता है तो इसको वापस लाना है, क्योंकि यह ऐसी ताकतों का फैसला है जो देश को जोडऩे के खिलाफ है। आज जो फैसला हुआ है 11 दिसंबर से 18 दिसंबर तक लगातार आंदोलन मेवात में चलता रहेगा। तथा 18 तारीख को नूंह के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में एक पंचायत की जाएगी। मेवात दिवस हर साल 19 दिसंबर को मनाते थे उसे 18 दिसंबर को गम और गुस्से के रूप में मनाएंगे। 19 तारीख को मेवात के लोग जंतर-मंतर पर जाकर पूरे देश और दुनिया के सामने यह बताएंगे हम इसके खिलाफ हैं।

उधर, रोहतक में एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) ने नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ में रोहतक में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। छोटूराम पार्क से लेकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा तक पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता व नेता प्रदर्शन में शामिल रहे। एसयूसीआई का कहना है कि एनआरसी  बिल के द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है, इसलिए ये बिल खिलाफ है। 

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पार्टी का मानना है कि 'नागरिकता संशोधन बिल' जनतंत्र की मूल भावना और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के विपरीत है। धर्म के आधार पर यह नागरिक और नागरिक में फर्क करता है। इस बिल के लागू होने से सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा मिलेगा। पहले ही एनआरसी के द्वारा असम में 19 लाख लोगों को ‘विदेशी’ घोषित किया गया है। उनमें से कई लोग घबराहट से मानसिक रोगी बन चुके हैं। 

पार्टी का दावा है कि प्रमाणित रिपोर्ट बताती हैं कि निराश-हताश होकर उनमें से 72 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। वास्तव में, यह आंकड़ा इससे भी अधिक है। भाजपा सरकार की घोषणा के अनुसार हरियाणा समेत 130 करोड़ देशवासियों को अब भारतीय नागरिक होने की अपनी सत्यता साबित करनी होगी। दशकों से इस देश में निवास कर रहे लोगों से नागरिकता के दस्तावेज मांगने का कोई औचित्य नहीं है। एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) नेताओं ने नागरिकता संशोधन बिल व एनआरसी को तत्काल रद्द करने की जोरदार मांग की।

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