लावारिस शवों का संस्कार कर बने 2 भाई समाजसेवा की मिसाल

Edited By Deepak Paul, Updated: 22 Jan, 2019 01:01 PM

an example of two siblings in the rituals of unclaimed dead bodies

बहुत से ऐसे अभागे व्यक्ति होते हैं, जिनका इस संसार में पूरा परिवार होने के बावजूद वह अनजान ही इस संसार से चले जाते हैं। इसके इलावा कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जो हादसों का शिकार हो जाते हैं और उनके परिवार का पता नहीं लगता तो वह सब लावारिस घोषित हो...

करनाल(शैली): बहुत से ऐसे अभागे व्यक्ति होते हैं, जिनका इस संसार में पूरा परिवार होने के बावजूद वह अनजान ही इस संसार से चले जाते हैं। इसके इलावा कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जो हादसों का शिकार हो जाते हैं और उनके परिवार का पता नहीं लगता तो वह सब लावारिस घोषित हो जाते हैं।

कुछ का संसार में कोई परिवार या रिश्तेदार नहीं होता। इन सब रिश्तों को निभाने के लिए समाज के बेटे राजकुमार व चरणजीत बाली जो कि पिछले 25 वर्षों से करीब 10 हजार से अधिक शवों को कांधा दे चुके हैं, जिनका उनके साथ कोई संबंध भी नहीं होता लेकिन वह उनके बेटे, भाई, पुत्र बनकर ऐसे लावारिस शवों को जो कि महिलाएं एवं पुरुष भी होते हैं उनका दाह-संस्कार हिन्दू रीति के मुताबिक करते हैं।

उसके उपरांत उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए मंत्र उच्चारण से भजन संध्या भी करते हैं। सामूहिक किरया की जाती है और साल में 2 बार उनकी अस्थियों को लेकर हरिद्वार में विसर्जन भी किया जाता है। वहां उनके निमित्त भंडारे हवन-कीर्तन की भी व्यवस्था की जाती है।    

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